एशियाई खेलों के लिए पहलवान बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को ट्रायल में छूट देने के मामले में लगातार विवाद बढ़ रहा है। अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। पहलवान अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल की मांग की थी। इसके साथ ही बजरंग और विनेश को छूट देने को गलत बताया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ से त्वरित जवाब मांगा है और पूरे मामले में विस्तार से सुनवाई के लिए शुक्रवार (21 जुलाई) का दिन तय किया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ से पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को एशियाई खेलों के ट्रायल से छूट देने का आधार बताने को कहा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने फोगट और पुनिया को सीधे प्रवेश के खिलाफ अंडर-20 विश्व चैंपियन अंटीम पंघाल और अंडर-23 एशियाई चैंपियन सुजीत कलकल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कुश्ती संघ को गुरुवार के दिन ही जवाब दाखिल करने के लिए कहा।

न्यायाधीश ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, "अगर यह (चयन का आधार) उचित, निष्पक्ष और उचित है, तो यह मामले का अंत है।" अदालत ने कुश्ती संघ के वकील से यह बताने को कहा कि फोगाट और पुनिया के अच्छे खिलाड़ी होने के अलावा चयन का आधार क्या था। फोगट (53 किग्रा) और पुनिया (65 किग्रा) को मंगलवार को भारतीय ओलंपिक संघ की तदर्थ समिति ने एशियाई खेलों के लिए सीधे प्रवेश दे दिया, जबकि अन्य पहलवानों को 22 और 23 जुलाई को चयन ट्रायल के माध्यम से भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की करनी होगी।

पंघाल और कलकल ने छूट को चुनौती दी और एशियाई खेलों के लिए निष्पक्ष चयन प्रक्रिया की मांग की। अधिवक्ता हृषिकेश बरुआ और अक्षय कुमार ने याचिका दायर की। इसमें मांग की गई है कि दो श्रेणियों (पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किग्रा और महिलाओं की 53 किग्रा) के संबंध में आईओए तदर्थ समिति के निर्देश को रद्द कर दिया जाए और फोगट और पुनिया को दी गई छूट को रद्द कर दिया जाए। क्या है मामला? इसी साल 18 जनवरी के दिन भारत के 30 पहलवान कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। इन पहलवानों की अगुआई बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे पहलवान कर रहे थे। पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए और आश्वासन के बाद धरना खत्म किया, लेकिन न्याय नहीं मिलने पर दूसरी बार अप्रैल में पहलवान धरने पर बैठ गए। धरने की वजह से पहलवानों का अभ्यास प्रभावित हुआ और कुछ प्रतियोगिताओं से उन्हें अपना नाम भी वापस लेना पड़ा। ऐसे में जब जुलाई में एशियाई खेलों के लिए कुश्ती के ट्रायल की तारीख तय की गई तब धरने में बैठे पहलवानों ने इसे आगे बढ़ाने (लगभघ 10 दिन बाद आयोजित कराने) के लिए पत्र लिखा। 

कुश्ती संघ का संचालन कर रही एआईओ की तदर्थ समिति ने पत्र मिलने के बाद बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट को विशेष छूट दी। दोनों पहलवानों को एशियाई खेलों की टीम में सीधे जगह दे दी गई। वहीं, बाकी पहलवानों के लिए ट्रायल आयोजित किए जाएंगे। तदर्थ समिति का यह फैसला कई पहलवानों को रास नहीं आया। अंतिम पंघाल, विशाल कालीरमन जैसे पहलवानों ने इस पर विरोध जताया और बाद में अंतिम पंघाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निष्पक्ष ट्रायल की मांग की। अब सभी को इस मामले में सुनावई और कोर्ट के फैसले का इंतजार है।