सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
वर्ष 2023 के लिए मध्यप्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़नी शुरू हो गई है। नये परिसीमन के आदेश के बाद जहां नई पंचायतों का गठन हो रहा है वहीं पंचायत और ग्रामीण स्तर तक राजनैतिक सक्रियता क्रमशः बढ़ती जा रही है। महसूस होता है कि भाजपा इन चुनावों में नये चेहरों का प्रयोग करेगी। संभावना तो यही है कि भाजपा की और से राज्य के नेतृत्व के लिए अनु. जाति, जनजाति का चेहरा भविष्य के लिए प्राथमिकता के आधार पर होगा। दूसरी और कांग्रेस में पुराने चेहरों पर ही चुनाव का दम आधारित कर दिया है। कमलनाथ और दिग्गिविजय सिंह की जोड़ी क्रमशः इस चुनाव में भी कांग्रेस के भाग्य का निर्धारण करेगी। तीसरी उम्मीद आम आदमी पार्टी से है, जो आने वाले चुनाव में प्रदेश भर के सभी राजनैतिक समीकरणों को परिवर्तित करने की कोशिश कर सकती है।
मध्यप्रदेश में भाजपा हर स्तर पर राज्य के अंतिम मतदाता तक पहुंचने के लिए शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व पर आतुर है। जितना श्रम सत्ता कर रही है उतना ही श्रम संगठन की और से भी नजर आ रहा है। यदि भाजपा भविष्य के चुनाव में अनु. जाति या जनजाति के किसी उम्मीदवार को सामने रखकर चुनाव लड़ती है तो उसका प्रभाव कही अधिक होगा। भाजपा के पास वरिष्ठ स्तर के नेताओं की कमी नहीं है, जो वर्षो से संगठन के प्रति आस्थावान रहे है। भाजपा इन चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामने रखकर भी खेल सकती है। सिंधिया का प्रभाव व्यवहारिक रूप में सिमित है और उन्हें भाजपा का परम्परागत कार्यकर्ता अभी भी पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाया है। परंतु सिंधिया का आभा मंडल और एक आधुनिक युवा होने की छवि भाजपा के विकास की परिभाषा को बल देती है। 
दूसरी और कांग्रेस अपने टूटे-फूटे संगठन को सुधारने में लगी है। पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के माध्यम से एक नई चेतना लाने की कोशिश की जा रही है। परंतु प्रभावशील नये चेहरे को स्थान देने की जगह इस बार की सक्रियता कमलनाथ की प्रबंधन की राजनीति और दिग्गिविजय सिंह की कूटनीतिक रणनीति को ही मिलना तय माना जा रहा है। कार्यकर्ता आज तक इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाया है। देखना है क्या भविष्य मे इसका लाभ कांग्रेस को आम मतदाता के मध्य मिल पाता है। 
तीसरी और आम आदमी पार्टी दो राज्यों में सरकार बनाने के बाद अपने कार्यक्रमों के साथ मध्यप्रदेश में पहली बार कदम रखने जा रही है। आम आदमी पार्टी चुनाव जीतेगी नहीं पर मतों के अंतर को कम-ज्यादा करने में उसकी व्यापक भूमिका होगी। दिल्ली और पंजाब के पार्टी के कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश के युवाओ के मध्य भी कई प्रश्न खड़े कर लिए है। वस्तुतः आम आदमी पार्टी अब तक राजनीति व्याप्त जमीदारी प्रथा के विरुद्ध जाकर राजनीति का क्षेत्र अति सामान्य युवाओं के लिए खोल रही है। अपने चुनावी घोषणा पत्रों के वायदों पूरा कर रही है, और प्रतिदिन की आम आदमी की परेशानियों से साक्षात्कार कर रही है। आम आदमी पार्टी की राज्य में उपस्थिति कांग्रेस और भाजपा के अब तक चले आ रही समीकरणों को बदलनें में कितनी सफल होती है ये चुनाव परिणाम ही बताएँगे, क्योकि मध्यप्रदेश की जमीन में प्रभावशाली तीसरा राजनैतिक दल पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है। 
मध्यप्रदेश का आगामी चुनाव आम जनता की समस्याओं उम्मीदवारों की लोकप्रियता और युवा, किसान, महिलाओं के प्रतिदिन की परेशानियों पर केन्द्रीत होगा। इस चुनाव के बाद वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव सामने है, इसलिए वर्ष 2023 में होने वाले तीन राज्यों के चुनाव सभी राजनैतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो गए है।