(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
कांग्रेस के लिये बहुप्रतीक्षित प्रियंका गांधी की ग्वालियर यात्रा आज अंततः पूरी हो गई। प्रियंका गांधी ने ग्वालियर में उम्मीद के अनुसार सिंधिया के विरोध में कोई मोर्चा नहीं खोला। उन्होंने सिंधिया के पलायन को विचारधारा पलटने के संदर्भ से जोड़ दिया। प्रियंका गांधी ने अपने भाषण की शुरूआत बृजभाषा के संबोधन से की। उन्होंने मणिपुर में 77 दिनों से हो रही हिंसा ओर अत्याचार के बारे में प्रधानमंत्री के कुछ न कहने पर भी टिप्पणी की। प्रियंका ने कहा कि हम नेताओं में सरलता, सभ्यता और सच्चाई खोजते हैं हम चाहते है कि हमारे नेता में ऐसे गुण हो। परंतु आरोप प्रत्यारोप, एक दूसरे के बुराई करने के बीच में असली मुद्दे डूब जाते हैं। उन्होंने 18 वर्ष के भाजपा शासन के बाद पैदा हुये अहंकार पर टिप्पणी करते हुये आम सभा में टमाटर, गैस सिलेण्डर, महंगाई महिलाओं पर अत्याचार और शोषण जैसे मुददों को अपना हथियार बनाया। 
कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि इस सभा के दौरान सिंधिया के गढ में ही प्रियंका गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस कदर धोयेंगी कि भविष्य में सिंधिया की राजनीति पर उसका व्यापक प्रभाव पडेगा। ग्वालियर की सभा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि पिछले बार कमलनाथ की सरकार गिरने के पीछे सबसे बड़ा कारण सिंधिया और उनका समर्थकों का कांग्रेस से बीजेपी में पलायन करना था। इस हिसाब से देखे तो यह एक बड़ा अवसर था, जब पहली बार कांग्रेस हाई कमान ग्वालियर के मेला ग्राउण्ड में कांग्रेसी नेताओं द्वारा इकट्ठी की गई विशाल भीड़ के सामने सिंधिया से मानसिक अलगाव के कांग्रेस हाई कमान के निर्णय की घोषणा प्रियंका गांधी से करवाना चाहता था। राजनीति के जानकार ग्वालियार में हो रही राजनैतिक घटनाओं और प्रियंका गांधी द्वारा दिये गये भाषण के कई अर्थ निकाल रहे है। कई जानकार यह मानते है कि सिंधिया के साथ व्यक्तिगत रिश्तों के चलते संभावनाओं का एक स्रोत अभी खुला छोड़ा गया है। इस सभा को आयोजित करने में कमलनाथ जी द्वारा जितनी रूचि व श्रम किया गया है वह सराहनीय था। आम सभा में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के प्रति आशावान था और भविष्य में उनके नेतृत्व में नई सरकार के गठन की परिकल्पना कर रहा था। ग्वालियर क्षेत्र में कमलनाथ की इतनी विशाल उपस्थिति आम कार्यकर्ता के रूप में रही। जिसने यह प्रमाणित कर दिया कि कम से कम ग्वालियर क्षेत्र में कमलनाथ जिस पैठ को बनाना चाहते थे वह आज कायम हो चुकी है। ग्वालियर में ऐसा कोई शीर्ष नेता नहीं है जो कमलनाथ के समानान्तर खड़ा हो सके। आगामी चुनाव में ग्वालियर क्षेत्र के 36 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस जो भी उपलब्धि हासिल करती है उसका श्रेय कमलनाथ को ही जायेगा। प्रियंका गांधी ने अपने उदबोधन में कमलनाथ जी से यह अनुरोध भी किया अगली सरकार बनने के बाद दिव्यांगजनों को मिलने वाला 600 रूपये महीना भत्ता जरूर बढा दिया जाय। 15 महीनों की सरकार ने शुरूआत में ही कमलनाथ जनता से किये अपने और हाई कमान के वायदे पूरे करने में सक्षम रहे। यह बात अलग है पूरे किये वायदों का आम जनता के सामने खुलासा नहीं हो सका। आंकडों में उलझी हुई राजनीति यह प्रमाणित नहीं कर सकी कि 15 महीनों की सरकार बनने का भी मुख्य आधार केवल कमलनाथ है। ग्वालियर की इस रैली में कमलनाथ के समूचे प्रदेश में व्याप्त होने की मुनादी कर दी है। यह भी तय हो चुका है कि आधुनिक प्रजातंत्र के भरोसे अपनी दूरदर्शिता से केवल कमलनाथ ही मध्यप्रदेश का श्रेष्ठ संचालन कर सकते है।