हार्ट अटैक, चेतावनी संकेत और उपचार

(Advisornews.in)
वृंदा मनजीतः पेवी फुटबॉल का पहला सीजन खेल रहे एक 8 साल का बच्चे को अभ्यास के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट आया और वह दूसरी दुनिया में चला गया। 10 साल की एक लड़की का दिल धड़कना बंद कर देता है जैसे ही वह अपने लंबे समय से प्रतीक्षित बारी को आनंद लेने के विचार से स्लाइड करती है उसे हार्ट ऐटेक आता है और उसे दूसरी बार इस आनंद लेने का मौका नहीं मिलता। गणित की कक्षा में बैठा 14 वर्षीय छात्र अनुत्तरदायी होकर फर्श पर कभी न उठने के लिए गिर जाता है। एक 16 वर्षीय हाई स्कूल बास्केटबॉल खिलाड़ी खेल जीतने वाला शॉट लगाने के बाद कोर्ट पर कभी न उठने के लिए गिर जाता है।
आपने यह सारी खबरें तो देखी या पढ़ी ही होंगी!
सब के मनमें सवाल उठता है कि आखिर इतने छोटे बच्चों को हार्ट ऐटेक कैसे आ सकता है?
इसी तरह हेन्डसम एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला, अपनी युनिक आवाज के गायक क्रिष्नकुमार कुन्नथ जो के. के. के नाम से जाने जाते थे, दक्षिण भारतीय एक्टर चिरंजीवी सारजा, कपुर खानदान का सबसे छोटा एक्टर राजीव कपुर, एक्टर सिद्धांत वीर सूर्यवंशी अपनी गोल्डन करियर को छोटी उम्र में हार्ट ऐटेक आने से अलविदा कह गये।
कुछ नाम ऐसे भी हैं कि जिन्होंने हार्ट ऐटेक क्या होता है उसका अनुभव लिया वह भी अपनी जवानी में जैसे सैफ अली खान, सुनिल ग्रोवर, सुश्मिता सेन, रेमो डिसोज़ा आदि।
यदि और नाम लिखना शुरु करुंगी तो आधे से अधिक पन्ना उन नामों से भर जाएगा।
कुछ समय पहले तक युवा लोगों में अचानक कार्डियक अरेस्ट अधिक देखने को नहीं मिलता था, लेकिन ऐसा हो सकता है और हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हृदय रोग से होने वाली 17.9 मिलियन मौतों में भारत अंदाजन पांचवे स्थान पर है, खासकर युवा पीढ़ी में।
हार्ट अटैक क्या है?
हृदय तक खून पहुंचाने वाली जो नसें होती हैं इनमें समय के साथ साथ चिकनाई जमा होने लगती है और कई तरीके की रूकावटें आने लगती हैं। रक्त परिसंचरण इन कारणों से रुक जाता है और सीने में दर्द होने लगता है, जिसे हम एंजाइना कहते हैं। हृदय के जिस हिस्से को रक्त नहीं मिल पाता वो हिस्सा मर जाता है। उम्र के साथ नसें पतली हो जाती है। नसों के पतले होने का मुख्य कारण है हमारा खानपान। न खाने और न पीने वाली सभी चीजों का हम अक्सर सेवन करते रहते हैं। इन कारणों से नसों के अंदर वसा जमा हो जाता है इस कारण ब्लड फ्लो धीमा पड़ जाता है।
युवान-युवतियों में हार्ट अटैक के लक्षण क्या है?
कुछ युवाओं में छाती अथवा बाहों में जकड़न होने का एहसास होता है या कभी कभी दर्द भी होता है। इसके अलावा गर्मी न लगने पर भी पसीना आता है जिसे कोल्ड स्वेट कहते हैं। चलते चलते या बोलते बोलते सांस फूलने लगती है। सांस लेने में परेशानी होती है। चक्कर आते हैं। थकान या सुस्ती महसूस होती है। उपर बताए लक्षण प्रत्येक युवा में और सभी लक्षण दिखाई नहीं पड़ते इस वजह से यह विश्वास के साथ कहा नहीं जा सकता कि इस लक्षण से हार्ट अटैक आएगा। कभी कभी किसीको पेट में अधिक गैस हो जाने से हृदय पर प्रेशर आता है इससे भी गभराहट होती है परंतु यह हार्ट अटैक नहीं है।
युवाओं में हार्ट अटैक के कारण क्या हो सकते हैं?
आज तक जितने केस देखे गए हैं उनमें से किसी भी व्यक्ति को गलत आदत नहीं थी या युं कह सकते हैं कि वे लापरवाही भी नहीं करते थे। उल्टा उनकी जीवनशैली नियमित थी, वे अच्छा पौष्टिक भोजन लेते थे और नियमित व्यायाम भी करते थे। तो फिर?
खास बातें जो प्रत्येक युवा को जानना आवश्यक है
1. यदि आपको सिगारेट या शराब पीने की आदत है तो उसे तुरंत बंद करें क्योंकि यह हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है।
2. अपनी जीवनशैली को नियमित रखना अत्यंत आवश्यक हैः जैसे सुबह उठने और रातको सोने का समय निर्धारित करें, सुबह का नाश्ता अवश्य करें उसमें प्रोटीन अवश्य लें, शरीर के बंधारण के अनुसार व्यायाम करना भी जरूरी है, यदि काम का स्ट्रेस अधिक है तो नियमित जीवनशैली और थोड़ा मेडिटेशन, पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद लेने से स्ट्रेस कम हो सकता है।
3. यदि परिवार में किसी को डायाबिटीस, हाई बीपी की समस्या हों तो आप शुरु से ही अपने खानपान में बदलाव कर दें ताकि वह बीमारी आपको न लगे। यदि लग भी गई तो उसके सारे उपचार और सतर्कता अवश्य करते रहें।
अपने हार्ट को स्वस्थ रखने कि लिए क्या खाना चाहिए?
नियमितता और पोषण
सर्व प्रथम हृदय को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम तीन बार संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें। पूरी रात अर्थात आठ घंटे की नींद लेने के दरमियान हम कुछ खाते नहीं है, उपवास हो जाता है, इस उपवास को खत्म करने के लिए हम ‘ब्रेकफास्ट’ लेते हैं इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। कहते हैं नाश्ता राजा महाराजाओं की तरह करना चाहिए, दोपहर का भोजन 12 बजे तक कर लेना चाहिए जो नाश्ते से थोड़ा कम भारी हों और रात्रिभोज एकदम हल्का होना चाहिए क्योंकि रात्रिभोज के बाद हम सोने जाते हैं और शारीरिक व्यायाम कोई नहीं होता।
चोकलेट
इसके अलावा ऐसा पाया गया है कि डार्क चोकलेट जिसमें एन्टीऑक्सिडेंट का गुण होने से फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं की क्षति सीमित होती है। डार्क चोकलेट खाने से रक्त परिसंचरण बढ़ता है और वह जमता नहीं है।
सूखे मेवे
सूखे मेवे जैसे अखरोट, बादाम, पिस्ता, और किशमिश आदि का सेवन करना हृदय के लिए अच्छा माना जाता है। इनमें मोनोसेच्युरेटेड अर्थात फैटी एसिड होता हैं जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता हैं और आपको दिल की बीमारी से बचाता हैं।
फाइबर से भरपूर फल
फलों में फाइबर होता है जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। फलों में मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट फ्री रेडिकल्स से शरीर की रक्षा करते हैं जो कोशिकाओं की क्षति का कारण हो सकते हैं। कोशिकाओं की क्षति से कैंसर और अल्झाइमर जैसी बीमारियां हो सकती है। रोजाना अलग अलग रंग के तीन फल खाने चाहिए इससे हृदय और रक्तवाहिका से संबंधित रोगों का खतरा टलता है और इसे खाने से संतोष मिलता है और जंक फूड खाने का मन नहीं करता।
सब का पसंदिदा डेयरी उत्पाद
कम वसायुक्त डेयरी उत्पाद जैसे बिना मलाई वाला दूध और दही हृदय के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें पोटेशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायता करते हैं।
रोजाना दो बार ब्रश करें
आपको पढ़कर आश्चर्य होगा कि ब्रश करने का हृदय से क्या संबंध परंतु आप जो कुछ भी खाते या पीते हैं वह सर्व प्रथम मूंह, दांत और जीभ से होकर शरीर में प्रवेश करते हैं। दांतों की सफाई अच्छी तरह रखने से दांतों की समस्या नहीं होती। पायरिया जैसी मसूडों की बीमारी को दूर रखने से हृदय स्वस्थ रहता है।
सुस्त जीवनशैली
जीवन में हमेशा सक्रिय रहना चाहिए। अधिक समय तक टीवी के सामने बैठे रहने से या शारीरिक श्रम न करने से शरीर में रक्त परिसंचारण कम हो जाता है जिसका असर सीधा हृदय पर पड़ता है। यदि ओफिस में बैठे रहने का काम होता है तो बीच बीच में उठकर चलना चाहिए। लंबे सफर में भी बैठे रहना होता है ऐसे में नियमित व्यायाम करते रहना चाहिए।
पर्याप्त नींद
आपको पता ही है कि हम सोते, जागते, कार्य करते हैं तब भी हृदय अपना कार्य नियमित रूप से करता ही है। इसी हृदय को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त नींद भी जरूरी है। यदि आप पर्याप्त नींद नहीं लेते तो कार्डियोवास्क्युलर का जोखिम बढ़ सकता है। फिर आपकी उम्र क्या हैं और आपकी बाकी आदतें चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हों। 45 वर्ष से अधिक उम्र के कुछ 4000 लोगों के उपर किए गए एक अध्ययन के द्वारा निष्कर्ष निकाला गया कि आठ घंटे की नींद लेने वालों का स्वास्थ्य छः घंटे की नींद लेने वालों से अधिक अच्छा था।
वज़न नियंत्रण जरूरी
अत्यधिक वज़न रक्त परिसंचारण में बाधा डाल सकता है और धमनियों पर दबाव पड़ने के कारण हृदय को अधिक कार्य करना पड़ सकता है। एक अभ्यास के अनुसार पेट के आसपास की चर्बी के कारण हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है। चर्बी और कॉलेस्ट्रोल की वजह से नलियां ब्लोक भी हो सकती है इससे भी हृदय की कार्य करने की गति धीमी पड़ सकती है।
अधिक तनाव रखना
आजकल का समय स्पर्धा का है। सबको सबसे आगे नीकलना है। यदि अवलोकन करें तो सुबह समय पर स्कूल, कालेज या दफ्तर जाना है। कभी लेट नहीं जाना और कुछ साथ पढ़ने वाले या कार्य करने वालों से भी पहले ही पहुंचना है। नींद पूरी हुई या नहीं, जल्दी उठ गए, बेमन से नाश्ता किया न किया और नीकल पड़े। किसी को बस पकड़नी है तो किसी को ट्रेन। जो ड्राईव करके जाता है उसे ट्राफिक जाम या सिग्नल का तनाव होता है।
पढ़ने वालों को हमेशा अव्वल आना है इसलिए खूब मेहनत करते हैं, पढ़ते हैं और उपर से सोशियल मीडिया के समय में बहुत कुछ जानकारी भी हासिल करनी है। इसलिए तनाव में हैं।
नोकरी करने वालों को नोकरी बचाने के लिए पसंद हो या न हो काम करना ही है। टारगेट पूरा करना है। निरंतर तनाव में ही रहते हैं। नोकरी छूट गई तो एक और समस्या, तनाव, डीप्रेशन, एंक्जाइटी जैसी बीमारी चीपक जाएगी और हृदय का तो पूछो ही मत।
गृहिणी को भी हमेशा तनाव रहता है क्योंकि एक ओर महंगाई बढ़ रही है। घर कम पैसों में चलाना है। बच्चों की सारी ख्वाहिशें पूरी करनी है। सोसायटी में अपना सिक्का भी जमाना है, अच्छी साड़ी पहननी है, किटी पार्टी में छा जाना है। कार मेन्टेन करनी है आदि आदि।
स्ट्रेस कहां नहीं है? जहां देखो वहां स्ट्रेस ही स्ट्रेस है। पढ़ा-लिखा है उसे भी स्ट्रेस है तो अनपढ़ को भी है। गरीब को पैसा कहां से आएगा यह स्ट्रेस है तो अमीर को पैसा कहां इन्वेस्ट करने से वह सेफ रहेगा इस बात का स्ट्रेस है।
किसी भी शहर में जाकर देखें तो जगह जगह पर खाने पीने की दुकाने, ठेले खुले हैं वहां लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। इसी के साथ साथ आप देखें हर महिने दो महिने में एकाद बड़ा-छोटा अस्पताल खुलता है या क्लिनिक खुलती है, वहां भी उतनी ही भीड़ रहती है। डोक्टरों को अधिक रूपिया कमाने का स्ट्रेस है तो मरीज को कम पैसे में इलाज कराने का।
टेक्नोलाजी
आज के टेक्नोलाजी के समय में कोई ऐसा बंदा या बंदी नहीं है जिसके हाथ में मोबाइल न हो। सोशियल मीडिया पर कौन है, कौन क्या कर रहा है, खुद को कितनी लाइक मिली, दूसरे को कितनी मिली आदि देखने के लिए 24 घंटे कम पड़ते हैं। दूसरी ओर वित्तीय लेनदेन भी ओनलाइन हो जाने पर कई फ्रॉड़ दुकाने भी खुल गई। इसलिए यह एक अधिक स्ट्रेस देने वाली बात हो गई। सुरक्षित रहने के लिए ऑनलाइन ट्रान्जेक्शन करते हैं तो बचने के लिए सतत चौकन्ना रहने की आवश्यकता पड़ती है। स्ट्रेस का हर जगह अस्तित्व है।
जिंदगी खेलदिली से जिने के लिए है। अपने काम को इतना बोझिल मत बनाइए कि जिंदगी ही बोझ बन जाए।
हंसते रहिए, खेलते रहिए, परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताइए फिर आपका हार्ट स्वस्थ और सुंदर हो जाएगा उस पर किसी का अटैक नहीं होगा।
बॉक्स-1
हार्ट अटैक के बारे में जानने के लिए कुछ परीक्षणों को पूर्ण करना पड़ता है जैसेः-
ईसीजी – इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम एक नैदानिक परीक्षण है जो हृदय के माध्यम से जाने वाले विद्युत संकेतों को मापता है। जब हृदय अपने चैम्बर के माध्यम से रक्त पंप करता है तब इन संकेतों को मापा जाता है। इसे एक ग्राफ में दर्ज किया जाता है। कागज पर छपी तरंगों के आकार के माध्यम से डोक्टर मरीज के हृदय की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करता है।
ब्लड टेस्ट – कार्डियक एंजाइम की उपस्थिति का पता लगाने के लिए ब्लडवर्क की आवश्यकता होती है जो दिल के दौरे के दौरान उठाए जाते हैं। इन रीडिंग की मदद से, डोक्टर अटैक के आकार और समय की पहचान कर सकते हैं।
इकोकार्डियोग्राफी – यह हार्ट अटैक के दौरान और बाद में किया जाने वाला एक इमेजिंग परीक्षण है। इससे पता चलता है कि हृदय अच्छी तरह से पंप कर रहा है या नहीं। इससे यह भी पता चलता है कि अटैक के दौरान आपके दिल का कोई हिस्सा घायल हुआ है या नहीं।
एंजियोग्राम – यह धमनियों में रुकावट का पता लगाने के लिए एक इमेजिंग टेस्ट है। हार्ट अटैक का निदान करने के लिए इसका उपयोग बहुत ही कम किया जाता है। इसमें एक प्रकार की तरल डाई को ट्यूब की मदद से हृदय की धमनियों में इंजेक्ट किया जाता है।
कार्डिएक सीटी या एमआरआई – ये इमेजिंग परीक्षण आपके हृदय की मांसपेशियों के उपर हुए नुकसान की सीमाको प्रकट करते हैं।
दवाइयां - ब्लड क्लॉट के निर्माण को रोकने, दर्द को दूर करने, हार्ट रिदम को नियमित करने, रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने, ब्लड प्रेशर के स्तर को विनियमित करने, आदि के लिए दवाओं को निर्धारित किया जाता है। इन सब में दी जाने वाली आम दवाओं के बारे में जानना जरूरी है।
एस्पिरिन - यह आपातकालीन दवा रक्त के थक्के को कम करती है, जिससे संकीर्ण धमनी के माध्यम से रक्त प्रवाह सुनिश्चित होता है।
थ्रोम्बोलाइटिक्स - ये दवा दिल में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में बनने वाले थक्कों को हटाने में भी मदद करती हैं। समय पर थ्रोम्बोलाइटिक्स का सेवन जीवित रहने की संभावना को बढ़ाता है।
एंटीप्लेटलेट एजेंट - ये न केवल नए थक्कों को बनने से रोकती है बल्कि मौजूदा थक्के को भी बड़ा होने से रोकती हैं।
दर्द निवारक - आमतौर पर छाती के दर्द को कम करने के लिए मॉर्फिन का उपयोग किया जाता है।
बीटा ब्लॉकर्स - ये दिल की मांसपेशियों को आराम दिलाकर दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित कर हृदय की बेहतर कार्यप्रणाली सुनिश्चित करती हैं। भविष्य में दिल के दौरे को रोकने में बीटा ब्लॉकर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
ऐस इनहिबिटर - ये दवा दिल के तनाव के स्तर को कम करते हुए ब्लड प्रेशर को कम करने वाले एजेंटों के रूप में कार्य करती हैं।
स्टैटिन - ये दवा ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखती है।
बॉक्स - 2
हमारा हृदय अर्थात दिल एक मस्कुलर अंग है जो 24 घंटे में 1 लाख बार धड़कता है। हमारा दिल छाती के बाईं ओर होता है जो 24 घंटे मेंपूरे शरीर में 5000 गैलन रक्त पंप करता है। हृदय का मुख्य कार्य हमारे टिश्यू को ऑक्सिजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करना है।
किसी ने कहा था, ‘यदि अपनों के सामने अपना दिल खोला होता तो डोक्टर को नहीं खोलना पड़ता।’