(Advisiornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश कांग्रेस के संगठनों के निष्क्रिय होने से राज्य में विपक्ष की गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जो स्वयं पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के पुत्र है ने युवा कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई को निष्क्रिय होने के कारण बंद कर दिया गया है। वैसे भी सक्रियता की स्थिति में अभी तक युवा कांग्रेस ने राज्य में कोई ऐसा कोई काम या आन्दोलन खड़ा नहीं किया था। जिससे प्रदेश की युवा शक्ति एकजुट होकर कांगे्रस के झंडे के निचे नजर भी आ सकें। वंशवाद की राजनीति के चलते कांतिलाल भूरिया के पुत्र को आदिवासी करार देकर यह पद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा सौपा गया था। 
प्रदेश के युवा एवं अन्य संगठनों की निष्क्रियता पर कई बार प्रश्न चिन्ह लगे हैं। इन संगठनों का मूल कार्य पार्टी की रीतियों-नीतियों को समाज के सबसे निचले स्तर तक ले जाने के लिये कार्य करना होता है। इसके लिए यह युवा संगठन पूरे राज्य में ग्रामीण स्तर तक स्थानीय लोगों के बिच छोटे कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, और एक समय सीमा के बाद इन संगठनों के द्वारा अपनी शक्ति का प्रादेशिक स्तर पर प्रदर्शन किया जाता है।
इन गतिविधियों से कांग्रेस की साख और उसका संदेश समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता है और कहा जाता है कि इसी से कांग्रेस जिन्दा रहती है। अब कांग्रेस के सभी संगठन पिछले कई महीनें से निष्क्रिय है। राहुल गांधी की यात्रा मध्यप्रदेश में प्रवेश की सूचना ने इन संगठनों को मजबूरी में कुछ गतिविधियां करने के लिये बाध्य कर दिया है। वर्षो से अपंग पडे़ रहे इन संगठनों में इतनी शक्ति अब शेष नहीं है कि वे राहुल गांधी की राष्ट्रीय पद यात्रा के किये किसी रचनात्मक विचार के साथ कोई प्रयास कर सकें।
मध्यप्रदेश में एक समय युवक कांग्रेस नामक का संगठन अत्यधिक सक्रिय होता था। इस संगठन में पदाधिकारियों का आना जाना किसी भी शहर या कस्बे में हलचल पैदा कर देता था। शासन की नीतियों की विरूद्ध महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, राष्ट्रीय छात्र संगठन जैसे कई संस्थान वर्ष भर सक्रिय रहते थे और उनकी गतिविधियों का लाभ प्रदेश कांग्रेस कमेटी को नये सदस्यों और सक्रिय पदाधिकारियों को चुनने में मिलता था। वर्तमान में युवा कांग्रेस की भंग की गई कार्यकारणी के पिछे निष्क्रियता सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। राहुल गांधी की यात्रा बड़वानी से ही प्रवेश करेगी और यह क्षेत्र युवा कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष और उनके विधायक पिता के प्रभाव का क्षेत्र माना जाता है। चुकी अब यह संभव नहीं है कि लुली-लगंडी युवा कांग्रेस को रातोरात खड़ा किया जा सके। इसलिये यह बहाना ही पर्याप्त होगा कि यात्रा के पूर्व ही निष्क्रिय संगठन को भंग कर नये पदाधिकारियों की चयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
वास्तव में युवा कांग्रेस, कांग्रेस के इतिहास में मध्यप्रदेश में कभी इतनी अपाहिज या निकम्मी नहीं थी जितनी पिछले दौर में नजर आई है। केवल पार्टी का झंडा गाड़ी में लगा देना और पदाधिकारियों की नियुक्तियों को जिला एवं कस्बा स्तर तक नियुक्त कर देना युवा कांग्रेस का काम नहीं था। स्थिति यह है कि युवा कांग्रेस या किसी भी संगठन के प्रदेश प्रभारी यदि राज्य के किसी भी हिस्से में दौरे पर जाये तो स्टेशन पर उन्हें लेने वालों की संख्या स्टेशन पर उपस्थित कुलियों के बराबार होती है। इन हालात में उस शहर या कस्बे में कांग्रेस की उपस्थिति की और सक्रियता की कल्पना कर पाना असंभव नहीं है। कांग्रेस अपने संगठन पर कितना ध्यान देती है इसका पैमाना अब मात्र चुनाव परिणाम रह गये है। संभवतः इसलिए कभी कांग्रेस का विशाल संगठन बन कर प्रदेश में सक्रिय रहने वाला हर दर्जे का कांग्रेसी कार्यकर्ता अपने लिये कांग्रेस से दूर हटकर नये मार्ग की खोज कर रहा है।