(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
51 दिन तक लगातार पैदल चलने के बाद राहुल गांधी को कुछ तो समझ में आया होगा। कि भारत की जनता राजनैतिक दलों के साथ किस तरह का सम्पर्क चाहती है।  पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी उत्साही नजर आ रहे हैं, उनके चेहरे पर नाम मात्र की थकान नहीं। दूसरी ओर विपक्षी दल इस यात्रा के विरूद्ध कुछ नहीं कर पाने के दुख में छोटी-छोटी राजनैतिक चालों के माध्यम से यात्रा को व्यर्थ करार देने की कोशिश कर रहे है। केरल से चली हुई यात्रा अपनी शुरूआत के बाद ही भाजपा की कथित ओजस्वी वक्ता और स्वयं को भारत की नारी शक्ति का प्रतिक समझने वाली स्मृति ईरानी के प्रश्नों में उलझती हुई नजर आ रही थीं। स्मृति ने सवाल किया था कि यात्रा की शुरूआत विवेकानन्द के दर्शन करके नही की गई, पर कुछ ही घंटों में कांग्रेस द्वारा जारी किये विडियो ने यह साफ कर दिया यात्रा की शुरूआत में विवेकानंद को प्रणाम करने की औपचारिकता पूरी कर ली गई थी तब से आज तक नारी शक्ति की प्रतिक स्मृती ईरानी का ओजस्वी उद्भोदन यात्रा के संदर्भ में नहीं आया।
अब यह यात्रा क्रमशः मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रही है, यात्रा का स्वागत करने के लिये कांग्रेस भारी तैयारियां कर रही है। परंतु यह तैयारियां कर्तव्यबोध या कोई संदेश भेजने की दृष्टि से कम बारातियों का स्वागत करने की तर्ज पर की जा रही हैं। कई जिम्मेवारों को मध्यप्रदेश में यात्रा के प्रवेश होने के बाद से मध्यप्रदेश छोड़ने तक राहुल गांधी के हर कदम पर सुविधाएं और फूल बिछा देने की जिम्मेवारी सौपी जा चुकी हैं। राज्य के एक पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा मध्यप्रदेश की सीमा पर यात्रा का स्वागत करेंगे। मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान कोई राजनैतिक चेतना का जन्म शेष मध्यप्रदेश में होगा इसकी उम्मीद की जाना व्यर्थ नजर आ रहा है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक इतनी बड़ी यात्रा में पिछलें 51 दिन के दौरान राज्य में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जो यात्रा के संस्मरणों को मध्यप्रदेश में एतिहासिक बना दे।
कर्नाटक की तरह यात्रा के दौरान संभव है कि राहुल गांधी के चरण पड़ने की खुशी में युवाओं के साथ कई वरिष्ठ कांग्रेसी भी बीच सड़क पर नृत्य करते नजर आएं। जगह-जगह प्रायोजित आदिवासियों टोलियां अपनी पारम्परिक वेशभूषा में नृत्य करती नजर आयेंगी। वास्तव इस तरह के प्रायोजित आयोजनों से यात्रा की गरिमा और उद्देश्य गंभीरता के साथ प्रगट होंगे इसमें शंका की जानी चाहिए।
राहुल गांधी मध्यप्रदेश में पद यात्रा के दौरान बेहतर सुख सुविधाओं से परिचित है। राज्य में यात्रा के दौरान पड़ने वाले पड़ाओं में हर कांग्रेस के विशिष्ट नेता का यह कर्तव्य होगा। राहुल गांधी उज्जैन में महाकाल के दर्शन करेंगे। दूसरे शब्दों में कहे तो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बनाये गये महाकाल लोक में प्रवेश करके महाकाल के सामने सर झुकायेगे। इससे राज्य में कांग्रेस के हिन्दुत्व का प्रचार होगा और हिन्दू मतदाता अपने आप कांग्रेस के प्रति अधिक आस्थावान बनेगा।
इस तहर की यात्राओं का महत्व आम व्यक्ति से नेतृत्व का सीधे जुडना होता है। इन यात्राओं की परिभाषा में यह समाहित होता है कि यात्रा करने वाले व्यक्ति को अलग-अलग क्षेत्रों की उसकी संस्कृति और सभ्यता की न सिर्फ जानकारी मिले बल्कि व्यक्तिगत संवाद के माध्यमों से नेतृत्व आम व्यक्ति परेशानी उसकी भाषा में उसकी भावनाओं के साथ समझ सकें। जिसका उपयोग उसे भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति की योजनाओं को बनाते हुये लेना है। यदि यात्रा का प्रयोजित स्वरूप सुनहरे मंडपों, शहनाई, बडे-बडे लंगर आयोजित करके किया जाता है तो इससे यात्रा का महत्व कम ही होता है। 
वैसे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ यात्रा के हल पहलु पर बराबर निहाग रख रहे है। उनके द्वारा बनाई गई टीमें यात्रा पथ को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये काम पर लग चुकी है। प्रश्न यह है कि क्या एक साल बाद होने विधानसभा चुनाव के लिये इस यात्रा की उपयोगिता को राज्य भर में आदर्श रूप में स्थापित किया जाता सकता है। ऐसा तभी संभव है जब मालवा, निवाड के क्षेत्र से होकर गुजने वाली यह यात्रा समूचे प्रदेश में मतदाताओं की निष्ठा और आस्था का केन्द्र बन सकें। यात्राओं को यह आयोजन निश्चित तौर पर कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति में एक बार पुनः व्यापक प्रचार-प्रसार देगा। इस यात्रा से राहुल गांधी का आकार राष्ट्रीय राजनीति में पडेगा इतना ही नहीं अब तक राजनीति में अपरिपक्व माने जाने वाले राहुल गांधी यात्रा पूरी करने के बाद समूचे देश में एक स्वीकार्य नेता के रूप में उभर सकते है। भाजपा अभी तक उन्हें अप्रशिक्षित, गैर अनुभवी करार देती है। पर इस यात्रा के पूर्ण होने के बाद भाजपा को भी राहुल गांधी के व्यक्तित्व पर पुनः चिन्तन करना पडेगा। फिलहाल मध्यप्रदेश में शहनाई, बेंड, तम्बु, कनात, अच्छे रसोईयों की मांग मालवा निमाड से लेकर राज्य की छुती राजस्थान की सीमाओं तक बड़ी है। हर व्यक्ति राहुल गांधी को चेहरा दिखाकर कांग्रेस की राष्ट्रीय रानीतिक में अपना स्थान सुरक्षित करने के लिये आतुर है।