म.प्र. में सिंधिया भाजपा का - स्थायी नेतृत्व बने
(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में एक नये दौर की शुरूआत होने जा रही है। सागर जिले के एक भाजपा के पुराने कार्यकर्ता के निष्काशन का आदेश उसकी आखों में आंसू ले आया। उनसे खुले रूप से अपनी तीन पीढ़ियों के और सर्व और भाजपा के प्रति समर्पण को दोहराया। साथ ही यह आरोप लागया कि भाजपा में आये हुये दामादों के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का दौर जारी हो चुका है।
महाकाल के मंदिर में जब प्रधानमंत्री महाकाल के पूजन के लिये प्रवेश करते हैं तो उनके साथ संघ की पृष्ठभूमि या भारतीय जनसंघ का कोई पुराना नेता नहीं कांग्रेस छोड़कर कुछ दिन पहले भाजपा में आये हुये ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति देखी जाती है। गृहमंत्री अमित शाह जब ग्वालियर प्रवास पर जाते हैं तो भव्य राज विलास पेलेस का अवलोकन करने जाते है। जहां सिंधिया की पत्नी और उनका परिवार एक चक्रवती सम्राट की तरह अमित शाह का न सिर्फ स्वागत करते है बल्कि उन्हें एक गाइड के तरह राज विलास के वैभव से परिचित करते है।
आखिर यह हो क्या रहा हैं। क्या भाजपा संघ के संस्कारों से दूर एक नई भारतीय जनता पार्टी का गठन कर रही है। जहां संघ और जनसंघ के प्रति समर्पित लोगों के साथ अब उन अवसरवादी लोगों को प्राथमिता दी जायगी। जिनका इतिहास निष्ठायें बदलने के मामले में अग्रणी रहा है। सिंधिया ने जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के सामने ग्वालियर के नेता नरेन्द्र सिंह तौमर और मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को स्वयं आगे बढ़ाया। वह यह यह संकेत दे रहा है कि आगे बढ़ने की प्रक्रिया अब उन प्रभावशील नव आगन्तुकों के माघ्यम से की जायेगी जो भाजपा के नये स्वरूप में अपने पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव को आगे बढ़ने की एक बैसाखी बना सकें।
मध्यप्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद इन घटनाओं के बाद रातोरात बढ़ गया है। भोपाल में शासकीय मंत्री बंगले को तोड़कर बनाया गया उनका महल इन दिनों नूतन गतिविधियों का केन्द्र बना हुआ है।
चना गुड खा कर गांव-गांव थेला लेकर घुमने वाले समर्पित संघीय कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे है कि भविष्य की राजनीति की दिशा और दशा क्या होगी। सिंधिया के भाजपा में नेतृत्व योग्य बनने का सीधा परिणाम यह होगा कि भाजपा से राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रति समर्पित एक पूरी पीढ़ी अस्त हो जायेगी। उम्मीद यह की जानी चाहिये कि भाजपा आलाकमान आगामी विधानसभा चुनाव के लिये सिंधिया के बनाये हुये रास्ते पर मजबूती से चलेगा जिससे देश में भाजपा को अधिक बल मिल सकें।
यह अलग बात है कि सिंधिया के जितने मंत्री, शिवराज मंत्री मण्डल में कार्यरत है उनके प्रति भाजपा के कार्यकताओं और छोटे नेताओं के दिल में आक्रोश का भाव है। लगभग एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि कांग्रेस को तोड़कर भाजपा ने लाये गये यह नेता संघ की मर्यादाओं को तोड़ कर केवल अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। उन नेताओं को भी खास चिंता है जिन्होंने उप चुनाव के दौरान अपनी सीटे इन नेताओं को समर्पित कर दी थी। सही आकलन यह है कि अभी तक सिंधिया समर्थक स्वीकार कर पाने में भाजपा का बडा वर्ग असफल रहा है। परंतु प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के द्वारा अपने नेता को सम्मान दिये जाने के कारण अप्रवासी नेता प्रसन्न है। यह मान कर चलते है कि अगला विधानसभा चुनाव सिंधिया के नाम पर होगा और महाराष्ट्र की तर्ज पर ही राज्य की सत्ता जीत के बाद सिंधिया को वैसे ही सौपी जायेगी जैसे राणे को सौपी गई।
वास्तव में विधानसभा का अगला चुनाव दिग्विजय सिंह और कमलनाथ विरूद्ध ज्योतिरादित्य सिंधिया होने जा रहा है ऐसे लक्षण है। सिंधिया को अपना आकार बड़ा करने के लिये उन सभी राजसी मर्यादाओं को छोड़कर सामान्य व्यक्ति बनना पड़ा। जो ग्वालियर राजघराने की परम्पराओं के रूप में वर्षो से मध्यप्रदेश ढो रहा था। सिंधिया इस कसोटी में कितने खरे उतरेंगे उन विपरित परिस्थितियों में जहां भाजपा का नेतृत्व अब उनके सर पर हाथ रख रहा है, पर कार्यकर्ता उनके विरूद्ध जाने को तत्पर है यह समय बतायेगा। फिलहाल सिंधिया किसी भाजपा नेता से अधिक मध्यप्रदेश में अधिक मजबूत और स्थायी नहर आ रहे है।