मध्यप्रदेश में चुने हुए जनप्रतिनिधियों की खरीद फरोख्त जनवरी 2020 से मुद्दा बनी हुई है। इसी खरीद फरोख्त की वजह से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी।शिवराज सिंह चौहान 15 महीने के विश्राम के बाद फिर से सत्ता पर काबिज हो गए थे।
कांग्रेस तब से आज तक भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाती आ रही है। मजे की बात यह है कि जंगल में साधु बाबा द्वारा सिखाए गए तोतों की तरह कांग्रेसी नेता खरीद लिया.. खरीद लिया.. तो चिल्ला  रहे हैं लेकिन अपने जनप्रतिनिधियों का बिकना रोक नहीं पा रहे हैं।
दूसरी तरफ खरीद फरोख्त से इंकार करने वाली भाजपा अपना कारोबार बेधड़क चला रही है। विधायक खरीदने से शुरू हुई उसकी मुहिम नगर पालिकाओं, जिला  और जनपद पंचायतों तक पहुंच गई है। 4 सितम्बर को मध्यप्रदेश भाजपा की प्रदेश समिति की बैठक में भी पंचायत चुनावों में शानदार जीत का उल्लेख हुआ। नेताओं ने एक दूसरे को बधाइयां भी दीं।
इसी बीच प्रदेश के गुना जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जो जनप्रतिनिधियों की खरीद फरोख्त की ओर खुला इशारा कर रहा है।
यह वीडियो है भाजपा की चांचौड़ा से पूर्व विधायक ममता मीणा का। वीडियो पर बात करने से पहले ममता मीणा का संक्षिप्त परिचय जान लीजिए।
ममता मीणा 2013 में गुना जिले की चांचौड़ा विधानसभा सीट से विधायक चुनी गई थीं। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और दिग्विजय के करीबी शिवनारायण मीणा को हराया था। ममता के पति रघुवीर सिंह मीणा पुलिस अधिकारी रहे हैं। उन्हें राज्य पुलिस सेवा से पदोन्नति देकर भारतीय पुलिस सेवा में भेजा गया था। रघुवीर प्रदेश के कुछ जिलों में एसपी भी रहे हैं।फिलहाल वे सेवानिवृत हो चुके हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह ने ममता मीणा को हरा दिया था। लक्ष्मण दिग्विजय के छोटे भाई हैं। इस समय से अपने इलाके की पूरी मुस्तैदी से सेवा कर रहे हैं।
चुनाव हारने के बाद खाली घर में बैठी ममता मीणा जिला पंचायत चुनाव में उतरीं। उन्होंने अपने पति रघुवीर सिंह को भी मैदान में उतारा। ममता जिला पंचायत चुनाव में इसलिए चर्चा में आईं क्योंकि उनका मुकाबला भारतीय राजस्व सेवा के एक वर्तमान अधिकारी की पत्नी से था।लेकिन ममता भारी पड़ीं।वे खुद तो चुनाव जीती हीं अपने पति को भी जितवा लिया।फिलहाल मीणा दंपत्ति गुना जिला पंचायत के सदस्य हैं।
अभी ममता मीणा चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि उनका एक वीडियो सामने आया है। जिसमें वे किसी गांव के एक घर में हंगामा करती दिख रही हैं। वे चिल्ला चिल्ला कर अपने पैसे मांग रही हैं।
बताया यह जा रहा है कि ममता ने जिला पंचायत में वोट के किसी को ढाई लाख रुपए दिए थे। उस आदमी ने वोट उनकी पार्टी को देने के बजाय कांग्रेस को दे दिया। अब ममता उस पर पैसा वापस करने का दवाब डाल रही हैं। जब वोट नही दिया तो नोट वापस दो, यह कहते हुए वे उस व्यक्ति के घर गईं थी।इसलिए वहां जमकर हंगामा भी किया। ममता मीणा पूरे इलाके में अपनी दबंगई के लिए जानी जाती हैं।
ममता ने यह माना है कि वीडियो उन्ही का है। बस वे बात को थोड़ा घुमाकर कह रही हैं। उन्होंने कहा है~ मैने चुनाव लडने के लिए पैसे दिए थे। लेकिन जीतने के बाद वोट कांग्रेस को दे दिया।मैने उसे पैसे उधार दिए थे। जब वोट नही दिया तो मैं तो अपना पैसा वापस लूंगी। क्यों नही लूं?
यह तो रही भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा की बात।जहां तक मध्यप्रदेश की बात है, विधायकों के पाला बदल का खेल जनवरी 2020 में शुरू हुआ था। तब कांग्रेस के दो दर्जन विधायक कमलनाथ की सरकार को छोड़ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे। तब करीब एक पखवाड़े तक कांग्रेस  विधायकों को बेंगलुरु और दिल्ली के रिसोर्ट्स में रखा गया था। भाजपा में जाने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के समर्थक विधायक भी थे। इनमें से कुछ अभी शिवराज की सरकार में मंत्री हैं। कुछ को निगम मंडलों में "एडजस्ट" किया गया है।
कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी।तब भी उन्होंने कहा था कि भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को 35 ~35 करोड़ में खरीदा है। आज भी वे और उनकी टीम यही आरोप लगा रही है। शिवराज की सरकार को "खरीदी हुई सरकार" बता रही हैं।
मजे की बात यह है कि इतने हंगामे के बाद भी कमलनाथ अपने विधायकों को रोक नहीं पाए। बाद में तीन और विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए और पद पाया।
यह क्रम लगातार जारी है। राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के 16 विधायकों ने पार्टी द्वारा समर्थित प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को वोट नहीं दिया। 11 विधायकों ने भाजपा की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया। जबकि 6 विधायकों ने जानबूझ अपना वोट खराब कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ कुछ भी नही कर पाए। जिला और जनपद पंचायतों में भी कांग्रेसियों का "पाला बदल" चलता रहा। जिलों कांग्रेसी भाजपा का झंडा थामते रहे और भोपाल में कांग्रेसी बिक गए बिक गए चिल्लाते रहे। राजधानी भोपाल में तो कांग्रेस के चार जिला पंचायत सदस्य खुलेआम भाजपा में चले गए। भाजपा ने अपना झंडा देकर इन्ही इनमें से एक को अध्यक्ष और दूसरे को उपाध्यक्ष बना दिया। चुनाव स्थल पर दिग्विजय सिंह खड़े खड़े चिल्लाते रहे और कांग्रेस भाजपाई बन गए।
 बाद में कांग्रेस ने एक स्वर से यही कहा...बिक गए.. बिक गए! भाजपा ने खरीद लिए।
 उधर आप भाजपा की गंभीरता देखिए! कांग्रेस के विधायक तोड़कर राज्य सरकार बनाई! कांग्रेस के सदस्यों के समर्थन से कई शहरों में नगरपालिका अध्यक्ष बनाए। 40 से ज्यादा जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाए! जनपद पंचायतों में ऐसा ही किया। यही नही इस "शानदार" के प्रदेश के नेतृत्व को श्रेय भी दिया। पर मजाल क्या जो इस बात का अहसास भी किसी को होने दिया हो कि कांग्रेसियों को उनके समर्थन के लिए "समर्थन मूल्य" दिया गया है या फिर अपने कार्यकर्ता का हक मारकर पद दिए हैं।
 लेकिन दबंग ममता मीणा ने घर में घुसकर ,हंगामा करके ,अपने पैसे मागकर पूरी पार्टी को ही कटघरे में खड़ा करा दिया है। अब कांग्रेसी हंगामा करेंगे।चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे। मीडिया में बयान देंगे! 
 हो सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 63000 करोड़ की "विधायक खरीद निधि" में पालिका और पंचायत के सदस्यों की कीमत भी जोड़ दें। पर क्या फर्क पड़ता है।
 भाजपा ममता मीणा को ही "डिसओन" कर देगी। कोई क्या कर लेगा! क्योंकि अभी भी बिकाउओं की लाइन लगी है। कांग्रेस के घर में तो ऐसे नेताओं की भीड़ है जो किले के भीतर रह कर किले के दरवाजे दुश्मन के लिए खोलने को तैयार बैठे हैं। क्या गुलाम क्या आजाद,क्या अजीज और क्या रकीब सब मौका मिलने के इंतजार में हैं।
 भाजपा की पोटली में भी  सबके लिए कुछ न कुछ तो है ही! वह हर माल खरीदने को तैयार है।
तो बताइए है न अपना एमपी गज्जब!!!!
अरुण दीक्षित की ओर से साभार