सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश में इस वर्ष हुई बारिश के कहर ने, पूरे राज्य के निर्माण ऐजेंसियों की पोल खोल दी। प्रदेश के विकास के नाम पर बनाये गये कई छोटे-बडे बांध प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से बनाये गये कई पूल अपने जीवन के पांच सावन देखने के पहले ही धराशाही हो गये। यदि यह बारिश नहीं हुई होती तो इन पूल और बांधों की कम से कम इतनी उम्र अभी तो शेष थी, कि वर्तमान सरकार के निर्माण कार्य संबंधी भ्रष्टाचार पर भी पर्दा डला रहता। राज्य में जिस तरह विकास की गंगा सचिवालयों के कागजों से लेकर प्रचार माध्यम तक फेल कर आम व्यक्ति में भ्रम पैदा कर रही है उसका खुलासा इस बरसात ने कर दिया।
मध्यप्रदेश राज्य भ्रष्टाचार के मामले में देश में ही नहीं अंतर्राष्टीय स्तर पर अपना एक विशेष स्थान रखता है। यह बात अलग है कि सत्ताधारी दल विपक्ष प्रशासनीक तंत्र निर्माण संबंधी कार्यो के तकनीकी अधिकारी और स्वयं निर्माण ऐजेंसियां राज्य के विकास के लिये किये जाने वाले प्रत्येक कार्य से अपना हिस्सा किसी न किसी रूप में निकाल लेती है। परिणाम यह होता है कि पिछले दिनों हुई प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में राज्य का आम आदमी, किसान और मजदूर विकास के कागजी खम्बों के गिरते ही असहाय हो जाता है।
अरबों रूपये की लागत से बनें इन निर्माण कार्यो को धाराशाही होता देखकर भविष्य की एक नई चिन्ता पैदा होती है, कि इन गिरे हुये पुलों और बांधों के सुधारने के नाम पर अब आम आदमी को टेक्स के रूप में कितना वित्तीय भार वहन करना पडेगा। वैसे भी मध्यप्रदेश जैसे राज्य में आम आदमी की आवाज सुनने के लिये कोई भी प्रभावशील तंत्र नहीं है। इन स्थितियों में जब विकास की गाधा लिखने वाले पूल पुलियें पानी की धारा के साथ बह रहे हों और प्रदेश स्तर पर गांव से गांव का सम्पर्क टूट रहा हो, भ्रष्टाचार की इस कथा को कौन याद रखता है। धार में एक बांध टूट गया, सरकार का आश्वासन है कि जांच करेंगे, जांच का यह कथन रटारटाया वाक्य है। सरकार किसी की भी हो आम आदमी की आक्रोशित भावनाओं को तत्काल दबा देने का यह महत्वपूर्ण मंत्र है।
ऐसी जांचों से राज्य के इतिहास में कभी कोई परिणाम निकला हो, किसी को दण्ड मिला हो, सबने मिलके योजना बनाई, स्वीकृति की प्राप्त धनराशि का बराबरी का बटवारा किया और फिर बालू से प्रदेश के विकास के लिये समर्पित कर दिया। यह कहानी मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना से आज तक हर शासनकाल में दौहराई जाती है। इस बार भी जांच को भी कुछ दिनों तक मीडिया में ख़बरें लीक होगी, यह संभावना होगी की षड़यंत्र मे शामिल भ्रष्टाचारियों को कठोर दण्ड मिलने वाला है, और फिर अचानक समाप्त हो जायेगा और इन बांध और पुलों से कमाई गई दौलत का उपयोग अलग-अलग श्रेणी के लोगों द्वारा अपनी व्यक्तिगत स्वार्थी की पूर्ति के लिये कर लिया जायेगा।