अकेले कमलनाथ एवं उनकी छवि पर्याप्त है-कांग्रेस के लिए
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): स्थानीय संस्थाओं की चुनाव के परिणामों की हुई उपलब्ध के बाद दो बातें स्पष्ट हो गई है। राज्य सरकार कितने भी दावे करें, प्रदेश की जनता पिछले 18 साल के शासन काल से इनती प्रसन्न नहीं है कि भाजपा को एक तरफा जीत का वरदान मिल सकें। भाजपाई यदि इन परिणामों से अश्वस्त है तो ये भविष्य के लिए एक बड़े संकट का विषय है। दूसरी और कांग्रेस पक्ष में यह तय हो चुका है कि कमलनाथ राज्य के सबसे वरिष्ठ और स्वीकार्य नेता हैं। उनकी छवि और उनकी छवि पर भरोसा करके मध्यप्रदेश में कांग्रेस बहुत कुछ वापस पा सकती है। परंतु शर्त यह है कमलनाथ स्वयं राजनीति करें और अपना कोई डमी प्रतिनिधि राजनीति में निर्णय लेने के लिए न उतार दें। यदि कमलनाथ जनता से जुडे रहे मध्यप्रदेश के आम मतदाता की मानवीय संवेदनाओं, जरूरतों और परेशानियों को पहचान सकें, महसूस कर सकें उन पर जन विश्वास न होने का कोई कारण नजर नहीं आता। पहली बार कमलनाथ ने स्वतंत्र रूप से राज्य में अपनी राजनैतिक शक्ति का व्यवहारिक रूप में प्रदर्शन किया है। आज परिणामों के दूसरे दौर के बाद कई कांग्रेसी कार्याकर्ताओं नेताओं की व्यक्तिगत टिप्पणी यही पाई गई की कमलनाथ की वरिष्ठता उनकी योजना और उनके सम्पर्क के सामने राज्य में कोई भी नेता खड़ा नहीं हो पाता। कमलनाथ को अब वह देहलीज पार करनी होगी जहां कांग्रेस के कथित स्थापित नेता उनके प्रतिनिधि बनकर बाजार में कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए नजर आएं।
कांग्रेस में इस बात की चर्चा भी जोरो पर है कि कमलनाथ की सक्रियता के लिए अब एक प्लेटफार्म तैयार है। कमलनाथ चाहे तो आम कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से प्रतिदिन सम्पर्क न करके भी लगातार सम्पर्क में बने रह सकते है। यदि कमलनाथ यह कर पाने में सफल होते है तो आगामी विधानसभा के परिणाम आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तित होंगे। चुनाव परिणामों के परिवर्तित होने का श्रेय कोई भी कथित प्रादेशिक नेता नहीं ले सकता, क्योंकि राष्ट्रीय छवि के प्रादेशिक नेताओं को इन चुनावों के दौरान अपने-अपने गांव-कस्बे या प्रभावी क्षेत्र में जीत नहीं मिली वे पूरे प्रदेश का नेतृत्व करने का दम कैसे भर सकते हैं। यह तय हो गया कि कमलनाथ को अपने दायरों को तोडना होगा, तभी राज्य में कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठता को पुनः प्राप्त कर सकती है। विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में पिछले कई वर्षो से सिक्का जमाये बैठे नेताओं की हैसियत इतनी रह गई है कि ये इन चुनाव में ही स्पष्ट कर दिया है। यदि अगले विधानसभा चुनाव में बेहतर युवा उम्मीदवारों को कमलनाथ के नेतृत्व में राज्य में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर मिला तो कमलनाथ कई सालों की कांग्रेस की गुटीय राजनीति को बदल करके एक नये कांग्रेस की रचना भी कर सकते है, जिसकी उसने एक लम्बे समय से किये जाने की उम्मीद कायम थी।
कमलनाथ की टीम का पुर्नगठन और उसमें से चाटूकारों को बाहर करके नई योजना बनाने वाले और क्रियान्वित करने वाले लोगों का शामिल होना भी जरूरी है। वास्तव में इन चुनावों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कमलनाथ की आड में तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और झूठे अधूरे सपनों को लेकर चलने वाली जमात कमलनाथ जैसे राजनेता के योग्य नहीं है। कमलनाथ स्वयं सक्षम है पर उसके लिए कमलनाथ को एक व्यवहारिक नेतृत्व की छवि को इस चुनाव के बाद विस्तारित करना होगा।
इन चुनाव में आम आदमी पार्टी का पैदा होना कांग्रेस की भविष्य की एक बडी चुनौती है। इतिहास बताता है कि आम आदमी पार्टी ने राजनीति को आम मतदाता के सामने हमेशा प्रमाणित करके समर्थन मांगा है। वर्तमान स्थितियों में यदि भविष्य में आम आमदी पार्टी के प्रसार को सिमित करना है तो कांग्रेस को अपने जीते हुए चुनाव क्षेत्रों में आम आदमी से बेहतर काम करके दिखाना होगा। अन्यथा भविष्य में आम आदमी पार्टी भाजपा से अधिक कांग्रेस के लिए नुकसान देह होगी और हम उस समय की कल्पना भी कर सकते है जब कांग्रेस को मध्यप्रदेश में भाजपा के सामने प्रमुख विपक्षी दल के रूप में आम आदमी पार्टी खड़ी हो जाएगी।