बहुत कुछ कह रहे है-स्थानीय चुनाव
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश में स्थानीय संस्थाओं के चुनाव ने सत्य को प्रमाणित कर दिया है। इस बार के चुनाव वास्तव में दोनों राष्ट्रीय दलों और क्षेत्रीय दलों के मध्य सिमित होकर रह गये थे। आधे चुनाव परिणामों की समिक्षा करने के उपरांत यह स्पष्ट नजर आता है कि मध्यप्रदेश में तीसरे राजनैतिक दल की संभावना सच में है। यदि आम आदमी पार्टी ने अपने एक मात्र विजयी महापौर के माध्यम से दिल्ली और पंजाब की तरह कोई काम करके दिखा दिया और जनता की आकांशाओं पर खरी उतर गई, तो आने वाले कल में पूरे राज्य में सिंगरौली से चली विकास की हवा एक आंधी की तरह आ सकती है।
इन चुनावों में बार-बार कहे जाने वाले एक जुमले को कांग्रेस में सत्य सिद्ध कर दिया है कि दिग्विजय सिंह के बिना भी कमलनाथ राज्य में बहुत कुछ है। यदि अपनी रणनीति के तहत कमलनाथ यदि आज तक चले होते, तो कांग्र्रेस में एक नये राजनैतिक अस्तित्व का जन्म हो चुका होता। कमलनाथ अपनी राजनीति को सबके विकास के लिए और आधुनिकता की ओर बढ़ने वाले कदम के रूप में विकसीत करना चाहते है। वे तकनीकी के माध्यम से राज्य की बहुसंख्यक जनता को सर्वेक्षण और कम्प्यूटर के माध्यम से एक स्थान पर लाना चाहते है। बातों में कम समय खर्च करके अधिक से अधिक अवसरों की खोज करना उनकी प्रवृत्ति है। परंतु जब कांग्रेस के रूढ़िवादी नेता कमलनाथ के माध्यम से अपने स्वार्थ सिद्ध के लिये अपनी चालों को चलने लगते है तो न कार्यकर्ता बचता है और नाही कमलनाथ की सोच।
इस चुनाव ने यह दिखा दिया है कि कमलनाथ की सोची हुई योजनाओं को यदि वे स्वयं अपनी जिम्मेवारी पर जमीन से जोड़कर आम व्यक्ति को क्रियान्वयन में शामिल कर ले तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मजबूत होने से कोई नहीं रोक सकता। अन्यथा सिंगरौली से पैदा हुई आम आदमी पार्टी क्रमशः कांग्रेस के वोट बैंक को ही निगल जायेगी और राज्य में भी कांग्रेस की वही स्थिति रहेगी जो वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर है।
आम आदमी पार्टी भाजपा की राजनैतिक चालों में कोई विशेष प्रभाव नहीं डाल सकेगी। धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा और आम आदमी पार्टी का रास्ता बिलकुल अलग है। यह तय है कि जैस-जैसे आम आदमी पार्टी विस्तार करेगी और कांग्रेस का जनता से सम्पर्क कम होता जायेगा कांग्रेस में दो मुहें और दोगले नेताओं की जमात शक्तिशाली बनी रहेगी। राज्य में आप के प्रकोप को कांग्रेस को ही झेलना होगा।