दोनों दलों में - असंतोष की चिंगारी सुलगी
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): स्थानीय संस्थाओं के निर्वाचन को लेकर मध्यप्रदेश के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में गहमा गहमी जारी हैं। कांग्रेस ने पहल करते हुए महापौर पद के प्रत्याशियों की सूची पहले जारी कर दी। दूसरी और भाजपा अभी महापौर पद के लिए अपने प्रत्याशी के नामों पर विभिन्न स्तरों पर चर्चा कर रही हैं।
कांग्रेस द्वारा घोषित किये गये महापौर प्रत्याशी में से 80 प्रतिशत उम्मीदवार कमलनाथ के उम्मीदवारों के रूप में प्रचारित किये गये। यह बात अलग है कि इसमें अजय सिंह राहूल, अरूण यादव के पक्ष के प्रत्याशियों को भी शामिल किया गया। उल्लेख किया गया कि भोपाल और देवास दो क्षेत्रों में ही दिग्विजय सिंह के अनुमोदित किये गये प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि मैदानी स्थिति इसके विपरित है। राजनैतिक सू़त्र यह मानते है कि सूची मे हस्ताक्षर कमलनाथ ने किये है पर केवल यही सूची नहीं पार्षदों तक की सूची की तैयारी केवल दिग्विजय सिंह के स्तर पर की जा रही है। तैयार की गई सूचियां हस्ताक्षर के पुनः पार्टी अध्यक्ष को प्रस्तुत की जायेगी और यह दावा किया जायेगा कि कांग्रेस की एकता को मजबूत रखने के लिए अधिकतम उम्मीदवारों का चयन स्वयं पार्टी अध्यक्ष द्वारा किया गया है।
अब तक जारी की सूची में इंदौर से घोषित प्रत्याशी संजय शुक्ला एक मात्र मजबूत उम्मीदवार के रूप में नजर आते हैं, भोपाल से घोषित प्रत्याशी श्रीमती विभाग पटेल पूर्व में महापौर रह चुकी है और राजधानीवासियों ने उनके विकास मॉडल और उसकी सफलता को व्यवहारिक रूप में पांच साल तक बर्दाश्त किया है। विभा पटेल की दावेदारी के प्रयोजक के रूप में श्री दिग्विजय सिंह जी का नाम सामने आया है। उल्लेखनीय है कि भोपाल संसदीय क्षेत्र से ही दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव बुरी तरह हार चुके हैं।
उम्मीदवारों के चयन की इस प्रक्रिया से कांग्रेस में स्पष्ट संकेत जा चुके है कि वास्तव में पार्टी और निर्वाचन में प्रमुख भूमिका किसकी है। विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले प्रत्याशी अपने बायोडाटा दिग्विजय सिंह जी के नाम पर देना बेहतर समझ रहे हैं। इन स्थितियों में जब स्थानीय संस्थाओं के चुनाव विधानसभा के प्रतिबिम्ब के रूप में देखे जा रहे है, कांग्रेस में एक नया अंसतोष पैदा हो रहा है।
दूसरी और कांग्रेस के प्रत्यशियों की सूची जारी होने के बाद भाजपा अब गंभीरता से उम्मीदवारों का चयन कर रही है। प्राप्त ख़बरों के अनुसार भाजपा इन चुनाओं में लोक प्रिय कार्यकर्ताओं को चयनीत करने की कोशिश कर रही है, जिनका पिछला रिकार्ड आम व्यक्ति के सामने बेहतर रहा हो। उम्मीदवारों के स्थान पर भाजपा की सत्ता और संगठन बूथ स्तर तक अपने आप को सक्रिय बनाने और कार्यकर्ताओं को जागरूक करने में लगा हुआ है।
मध्यप्रदेश में निर्वाचनों में आम आदमी पार्टी और ओवेसी की पार्टी का पैदा होना चुनाव के समीकरणों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। दोनों ही दल चुनिन्दा जिलों में अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाना चाहते है, जिससे राज्य में अपनी उपस्थिति का एहसास वे जाहिर कर सकें। इन दोनों ही दलों के अतिरिक्त निर्दलीय और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे दल भी इस राजनीतिक प्रक्रिया में अपनी सक्रिय साझेदारी निभाने के लिए तत्पर है। निर्वाचन की यह प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और दोनों ही प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद संभवित चुनाव परिणामों का आकलन करना संभवतः असंभव नहीं रहेगा।