सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): किस राजनैतिक दल मध्यप्रदेश की जमीनी राजनीति पर कितना आधार है, विभानसभा चुनाव के पहले इसका शक्ति परिक्षण पंचायत और स्थानीय संस्थाओं के चुनाव में हो जायेगा । 18 जुलाई तक आने वाले सभी चुनाव परिणाम आने वाले विधानसभा में किसी भी राजनैतिक दल के बहुमत के आगडे़ं को निर्धारित कर देंगे। विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित किया जाने वाला यह शक्ति परिक्षण भाजपा के लिए अपनी संगठन शक्ति को परिक्षण करने के लिए एक अवसर होगा। दूसरी और कांग्रेस के लिए अपने मजबूत जनाधार वाले नेताओं का प्रभावशाली गुट ग्राम स्तर तक खोजने में मददगार होगा।
स्थानीय स्तर पर होने वाले चुनाव वस्तुतः स्थानीय समस्याओं और उनके प्रति जनाक्रोश की अभिव्यक्ति होता है। इसके बावजूद किसी भी राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं का समर्पण संगठन की शक्ति और संगठन के व्यवस्थापक के लिए जरूरी गतिविधियों का परिक्षण करने का मापदंड भी होता है। आने वाले चुनाव पूरे राज्य में स्थानीय संस्थाओं, पंचायत और नगर निकायों तक सभी कसोटियों को अच्छी तरह परीक्षित करेंगे।
कांग्रेस ने यह कह कर कि जिसे विजय की पक्की उम्मीद हो, वो टिकिट के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत करे हम उसे ही टिकिट देंगे, अपनी स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। वास्तव में कांग्रेस का प्रदेश संगठन इन स्थानीय चुनाव के लिए कभी तैयार नहीं था। वह जानता है कि राज्य में कार्यकर्ताओं का समूह बिखरा हुआ है और उनमें एकता स्थापित कर पाना असंभव कार्य है। उन परिस्थितियों में जहां प्रदेश का नेतृत्व ही आम कार्यकर्ता से सीधा सम्पर्क न करके सम्पर्क के लिए एक विवादास्पद माध्यम को बिचोलिया बनाकर खड़ा कर दे संवाद की स्थिति पैदा हो पाना असंभव है। वास्तव में वर्तमान स्थितियां पूरी तरह भाजपा के अनुकूल हैं, भाजपा संगठात्मक रूप में राज्य मंे ना सिर्फ पूरी तरह सक्षम है बल्कि छोटे-मोटे विवादों को छोड़ दे तो भाजपा कांग्रेस से कई अधिक मजबूत नज़र आती है। यही कारण था कि कांग्रेस लगातार स्थानीय निकाय चुनावों से अपनी दूरी बना रही थी। विधानसभा चुनाव के पूर्व इन चुनावों का आ जाना कांग्रेस के संगठन में एक नया विवाद भविष्य के लिए पैदा कर देगा। एक प्रश्न जो हमेशा अनुत्तरित रहा है, फिर उठकर खड़ा हो जायेगा कि प्रदेश में नेतृत्व आखिर किस हाथ में हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं को दो कांग्रेसी नेताओं के मध्य किसे अपना नेता मानकर स्वयं को उसके प्रति समर्पित प्रदर्शित करना है।
वास्तिविक स्थिति यह है कि न कहते हुए भी कांग्रेस कई भागों में विभक्त है। इसका आभास कांग्रेस के द्वितीय पंग्ति के नेताओं के समय-समय पर दिये जाने वाले बयानों से होता है। जिस बयनों का खण्डन कांग्रेस को ही अलग-अलग माध्यमों से करना पड़ता है, वास्तव में कांग्रेस दो भागों में विभक्त है। इसमें से एक अध्यक्ष राजनीतिक एवं आर्थिक मामलों के संचालन का जिम्मेवार है और दूसरा परिचालन और कार्यक्रमों के संचालन का जिम्मा उठा रहा है। इन दोनों में भी मतभेदों का सिलसिला कई बार सामने आ चुका है जो वर्तमान में कार्यकर्ताओं कों भ्रमित कर रहा है।
दूसरी और भाजपा भी अलग-अलग खेमों में बट कर अपने भविष्य की राजनीति की रचना कर रही है। परंतु यह विभाजन इतना बड़ा नहीं है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इसे नियंत्रित न कर सके। वैसे भी राज्य में होने वाले तीनों चुनाव भाजपा हाई कमान के लिए महत्वपूर्ण नहीं अति महत्वपूर्ण है। इन्ही से वर्ष 2024 की संभवित राजनीति की व्यूह रचना होगी।