सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
अंतः कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष के पद से त्याग-पत्र दे दिया है। उनके स्थान पर भिंड के लहार विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ विधायक गोविन्द सिंह को विपक्ष के नेता की कमान सौपी गई है। डॉ. गोविन्द सिंह वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के राजनीति के प्रभावी नेताओं का एक वर्ग दिग्गिविजय सिंह की अनुनायी होने के साथ प्रभावशील हो गया। 
डॉ. गोविन्द सिंह भी दिग्गिविजय सिंह के करीबी माने जाते है और मध्यप्रदेश की राजनीति मे उनका परिचय भी दिग्गिविजय सिंह के पद के नेताओं तौर पर किया जाता है। इसके पूर्व प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया जो विधायक कांतिलाल भूरिया के पुत्र है और महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल दिग्गिविजय सिंह समर्थक होते हुए ही कांग्रेस संगठन ने स्थापित किये गये है। दूसरे अर्थो में कहें तो कांग्रेस पूरी तरह से एक गुट के कब्जे में जा रही है हलाकि इन परिवर्तनों को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की सहमति प्राप्त है। 
दिग्गिविजय सिंह इन दिनों मध्यप्रदेश में लगातार दौरे कर अपनी सक्रियता का प्रमाण दे रहे है। उन्होंने दतिया के पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती उनके पूरे परिवार और 50 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दतिया में फर्जी एफआईआर के माध्यम से शिकायत दर्ज करने का मामला उठाया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज किये जा रहे फर्जी मुकदमों को लेकर वे कमलनाथ के नेतृत्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मिलने के लिए समय मांगेगे ऐसा उनका दावा है। पिछले महीनों में दिग्गिविजय सिंह ने जब शिवराज से अपने दम पर समय मांगा था तो उनसे मिलने से शिवराज ने मना कर दिया था। बाद में कमलनाथ के हस्तक्षेप के कारण उक्त घटना का सम्मान जनक निरूपण हो पाया था। संभवतः यही कारण है कि इस बार की प्रस्तावित मुलाकात में नेतृत्व की बागडोर कमलनाथ के हाथ में पहले से ही सौप दी गई है। 
कांग्रेस परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। परंतु इन परिवर्तनों में एक गुट की छाप लगातार नजर आ रही है, जिससे कांग्रेस के अंदर ही एक स्वाभाविक आक्रोश का पैदा होना तय माना जा रहा है। विन्ध्य क्षेत्र के प्रभावशाली नेता अजय सिंह राहूल और निमाड़ क्षेत्र के अरूण यादव, उमंग सिंघार जैसे नेताओं को संगठन में कही अधिक प्राथमिकता नहीं दी जा रही। यह स्पष्ट संकेत है एक निर्धारित लक्ष्य की और कांग्रेस को ले जाया जा रहा है, लक्ष्य प्राप्ति में यदि कोई देर है तो कांग्रेस के बहुमत में आने की आज की घटना क्रम को राजनैतिक जानकार कई सालों बाद दस जनपद में दिग्गिविजय सिंह  के प्रभावी होंने की कड़ी से भी जोड़कर देखते है। इन परिवर्तनों से कमलनाथ के राजनैतिक अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है पर यह तय कि भविष्य के मुख्यमंत्री के पद को सुरक्षित बनाये रखने की एक लगातार कोशिश है। 71 वर्षीय गोविन्द सिंह राजनैतिक रूप से परिपक्त है परंतु उनकी सीमाएं भिंड से शुरू होकर भिंड मे ही समाप्त हो जाती है। उनके नेतृत्व को प्रदेश व्यापी नहीं माना जा सकता है।