सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
अगले विधानसभा चुनाव को सामने रखते हुए भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में कांग्रेस से कहीं ज्यादा तैयार और संगठित नज़र आ रही है। समाज के प्रत्येक वर्ग तक अपनी पहुंच बनाने के लिए भाजपा हर स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संगठित कर क्षेत्रवार योजनाएं बनाकर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रही है। जहां एक और कांग्रेस प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पदों पर कब्जा बनाये रखने की नियत रखने वाले नेताओं की महत्वकांशा से दबी पड़ी है। वही भाजपा में हर स्तर पर जमीनी लड़ाई की तैयार कम से कम योजना बनाकर पूर्ण कर ली है।
इन स्थितियों में जब एक दल योजनाओं के स्तर पर अपनी पूरी रणनीति बना लेता है और कार्यकर्ताओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षण और मार्ग दर्शन निर्वाचन के 16 महीने पहले प्रदान कर देता है तो लड़ाई उसके लिए अधिक आसान हो जाती है। भाजपा ने राज्य के स्वय सेवी संगठनों पर अब निगाह डाली है, स्वय सेवी संगठन ग्रामीण स्तर तक अपने कार्यक्षेत्र में सामान्य मतदाता से न सिर्फ निरन्तर सम्पर्क में रहते है बल्कि उनके दिन-प्रतिदिन के क्रियाकलापों में भागीदार भी रहते है। स्वय सेवी संगठन अलग-अलग विचारधारा के हो सकते है पर कार्य पद्यति में उनकी प्राथमिकता आम व्यक्ति के साथ प्रतिदिन मिल के उनकी जीवन को बेहतर जीवन बनाने की बेहतर कोशिश रहती है।
एक समय था कांग्रेस के विचारवान नेता इन संगठनों के महत्व को समझते थे और इन्हें अपने कार्यकर्ता से ऊपर उठकर प्रोत्सहान देते थे। यही आधार था मध्यप्रदेश जैसे दुर्गम राज्य में गांव-गांव तक पार्टी की नीति और सिद्धांतों को जीवित रखने का। कांग्रेस में यह परम्परा समाप्त हो चुकी है कांग्रेस नेतृत्व स्वय सेवी संगठनों पर अब एक अनुदान प्राप्त कर उसे झूठे प्रमाण-पत्रों के आधार पर निगल जाने वाले संस्थनों के रूप में देखता है। यही कारण है कि कांग्रेस के सफेद पोश नेता ही अब इन संगठनों की जिम्मेवारी लेने के लिए उचित माध्यम समझे जाते है।
इसके विपरित भाजपा ने पिछले दिनों में स्वय सेवी संगठन की समस्याओं को और उनके प्रभाव को बारीकी से परखा है। अलग-अलग बैठकों के माध्यम से जिला एवं ग्रामीण स्तर से लेकर राज्य स्तर तक इन संगठनों के पदाधिकारियों से निरन्तर सम्पर्क और आंशिक सहयोग जैसी प्रक्रिया को अपनाया है। इतना ही नहीं भविष्य में सरकार बनने पर इन संगठनों को निरन्तर मदद करने का वायदा भी किया गया है। कांग्रेस में अपनी 15 माह की सरकार ने इन संगठनों के लिए जिम्मेवार बनाये गये जन अभियान परिसर को घास नहीं डाली। वास्तव में सोशल मिडिया के इस युग में यदि अंतिम व्यक्ति तक सही अर्थो में कोई राजनैतिक दल अपनी भावनाओं और कार्यक्रमों को पहुंचाना चाहता है तो सबसे प्रभावशील माध्यम ये स्वय सेवी संगठन ही है। भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी के पदाधिकारी इन दिनों इस संगठनों के साथ लगातार वार्तालाप करके आम मतदाता तक भाजपा को पहुंचाने के प्रयासों को बल दे रहे है। दूसरी और औपचारिकता निभाते हुए कांग्रेस स्वय सेवी संगठनों को चंद प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी योजना के संक्षिप्त वार्तालाप करके अपने उज्वल भविष्य की कल्पना कर रही है। वास्तव में स्वय सेवी संगठन का नेटवर्क मजाक की वस्तु नहीं है, परंतु कमरों के कैद कांग्रेस को इसके महत्व के बारे में कभी ज्ञान नहीं हो रहा है, चुनाव परिणाम इस संगठन के महत्व को आने वाले दिनों में पूरी तरह प्रगट करेंगे।