मप्र एवं छग में आप की आहट बढ़ी
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): कुछ भी नहीं कहते हुए मध्यप्रदेश में अगले विधानसभा निर्वाचन के पूर्व पहली बार एक सशक्त राजनैतिक दल जीवित होने की तैयारी कर रहा है। परिस्थितियां इशारा कर रहीं है कि मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति को प्रदर्शित करने में सफल हो सकती है। मुद्दों पर राजनीति करने वाले इस नये दल ने दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। अब इसके कदम हिमाचल, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों की और बढ़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ और उसके बाद मध्यप्रदेश को अपना प्रमुख कार्य क्षेत्र बना सकती है। यह स्पष्ट संकेत इन राज्यों में उठने वाले नये राजनैतिक प्रश्नों से स्पष्ट परिलक्षित होने लगे हैं।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीधी कार्यवाही करके दिल्ली के आम जन मानस में अपनी छवि बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने पंजाब में उसी इतिहास को दौहराना शुरू कर दिया है। स्थानीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पंजाब का भ्रष्टाचारी तंत्र इन दिनों दहशत में है। आम आदमी एक मोबाइल नम्बर लेकर घुम रहा है और इन भ्रष्टाचार अधिकारियों-कर्मचारियों की सारी सूचनाएं पंजाब सरकार तक न सिर्फ पहुंच रही है बल्कि चेतावनी और कार्यवाही का सिलसिला भी शुरू हो गया है। सूत्र बताते है कि पंजाब राज्य में दिल्ली राज्य की तरह ही काम के बदले कुछ मांगने की परम्परा इन दिनों गहरे संकट में है। भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों के कायम होने के बाद से लेकर उसकी समीक्षा तक के समय में भ्रष्टाचारी को जिन परेशायिों से गुजरना पडता है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
दोनों ही राज्यों में सरकार की इस कृत्य की दहशत इतनी ज्यादा है कि एकाएक सरकारी तंत्र साफ बहते हुए पानी तहर नजर आने लगा है। इतना ही लंबित पड़े हुए सरकारी कार्यों में निपटारें में भी असाधारण तेजी आई है। यह मुद्दा मूलतः आम व्यक्ति से सीधा जुड़ा हुआ है। जिसके परिणामों की समीक्षा के लिए किसी आकडें की जरूरत नहीं है। यह आम मतदाता के द्वारा स्वयं अनुभव किया जाने वाला वह प्रमाण है जो आम आदमी पार्टी केे प्रति विश्वास को बिना किसी विज्ञापन के बढ़ाने में मदद कर रहा है। आम आदमी पार्टी द्वारा चुनाव में की गई घोषणा के क्रियान्वन के लिए पंजाब में एक केलेण्डर निर्धारित किया गया है जिसके तहत आम आदमी को विश्वास में लेकर समस्याओं के निराकरण का कार्यक्रय संचालित किया जाना है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में केवल दो दलों के अपनी सरकारें राज्य स्थापना के बाद से अभी तक चलाई है। दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे के मध्य इतनी समझदारी विकसित कर चुके है कि परस्पर विरोधी होने के बावजूद वे झूठे आश्वासनों के भरोसे आम मतदाता को अपनी पहुंच में बनाये रखने में सफल होते है। इन स्थितियों में यदि आम आदमी पार्टी ने मतदाताओं के मध्य से ही नये प्रतिनिधियों को चयन करना शुरू कर दिया और और समस्याओं के निराकरण की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया तो इन राजनैतिक दलों का अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा। मतदाता दोनों ही राज्यों पंजाब और दिल्ली राज्यों की तरह ही परेशान है। विकल्प के अभाव में दोनों ही राज्यो में मतदाता किसी एक पक्ष मे जाने के लिए मजबूर हो जाता है। 90 के दशक में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जब केवल आदिवासी मतदाताओ के मध्य अपना प्रभाव स्थापित कर लिया था, तो दोनों ही राजनैतिक दल भारी कुशंकाओं से ग्रस्त हो गये थे। इन स्थितियो में यदि आम आदमी पार्टी ने आम मतदाता की नस को ईमानदारी से स्पर्श कर लिया तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कम से कम पहली बार मतदाता निर्भीक होकर अपने मताधिकार का उपयोग अपने लिए स्वयं करेगा। उसे उम्मीद होगी कि पंजाब और दिल्ली की भांति ही उसके पास भी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मोबाइल नम्बर होगा और राज्य की सरकार उसकी समस्याओ को गम्भीरता से समझ कर निराकरण की और बढे़गी।