सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने दो साल का कार्यकाल आज पूर्ण कर लिया। तीन कार्यकाल तक लगातार सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान 15 महीनों की कमजोर कांग्रेस सरकार को धाराशाही करके आज के ही दिन दो वर्ष पूर्व चैथी बार सत्ता पर काबिज़ हुए थे। अपने सम्पूर्ण कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के आम मतदाताओं के हितों संरक्षण करते हुए राज्य में एक बेहतर कानून व्यवस्था कायम की है। शिवराज सिंह अपने व्यवहार से आम व्यक्ति के सबसे करीब रहने में भी कामयाब रहे है। 
मध्यप्रदेश में चैथी पारी में अपनी सरकार के दो वर्ष पूर्ण करने के बाद भाजपा को सत्ता की सफलता का सूत्र मिल चुका है। अपने विपक्षी दलों को किस तरह तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है और सरकार बनने के उपरांत आम मतदाता के हित में किस तरह के प्रभावी निर्णय लिये जा सकते है, ये शिवराज सिंह चौहान ने भलिभांति समझा दिया है। 
मध्यप्रदेश का इतिहास जब भी लिखा जायेगा उसे शिवराज सिंह की कथा के बिना पूरा किया जाना असंभव होगा। कांग्रेस अपने 15 महीनों की सरकार के दौरान विकास के मॉडल को ही खोजती रह गई। शिवराज ने अपने समूचे मंत्रिमंडल के साथ ग्राम स्तर से लेकर शहरी स्तर तक की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कर रिकाड बना डाला। पिछले दो वर्षो के दौरान कांग्रेस को हटा कर सत्ता प्राप्त करने के साथ ही कोरोना महामारी ने नई सरकार का स्वागत किया था। इन विपरित परिस्थितियों में भी शिवराज सिंह चौहान का नेतृत्व प्रदेश के आम जन मानस तक भाजपा को निरंतर पहुंचाएं रखने में मदद करता रहा। वैसे भी पिछले दो वर्षो के दौरान विपक्ष की संख्या विधानसभा प्रभावी होने के बावजूद कोई विवादास्पद मुद्दा सरकार के विरोध में उठा पाने में कांग्रेस अक्षम रही और इसका प्रत्यक्ष लाभ शिवराज सिंह चौहान की सरकार को मिला। कुछ लोगों का तो मानना है कि पिछले दो वर्षो के दौरान जिस तरह योजना बनाकर विकास की गति को दूरगामी राजनीति लाभ के लिए उपयोग किया गया है वैसा पूर्व की कोई सरकार नहीं कर सकी है। 
मध्यप्रदेश के विकास के लिए योजनाओं के अलावा आम मतदाता से सीधा संवाद दूसरी बड़ी जरूरत है, इस संवाद को स्थापित करने में मध्यप्रदेश में शिवराज के अतिरिक्त अन्य कोई नेता सक्षम नहीं है। गरीब किसान की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आये हुए शिवराज को समाज के अंतिम व्यक्ति के साथ भी संवाद करने में पारिवारिकता का बोध होता है। इन दो वर्षो के दौरान शिवराज सिंह चौहान में प्रशासनिक आचरण और जनहितकारी कार्यो को जल्दी करने के लिए एक नई कठोरता का जन्म होता हुआ भी दिखता है। आत्म विश्वास से भरे हुए शिवराज सिंह चौहान इन दिनों लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति कढा रूख अपना रहे हैं और आम व्यक्ति के साथ अभूतपूर्व संवेदनशीलता का परिचय दे रहे है। 
वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभी चुनाव के लिए भाजपा के पास शिवराज सिंह चौहान से उपयुक्त अन्य कोई नेतृत्व नहीं हो सकता, इस बात को शिवराज भी भलिभांति समझ रहे है। सिंधिया के लोगों के आने के बाद जिस तरह की अनुशासनहीनता की संभावना जिंदा थी उसका दर्शन कही नहीं हो पाया है। कांग्रेस छोड़कर आये हुए प्रत्येक सिंधिया समर्थक को महाराज की इच्छा के अनुरूप शिवराज ने उचित स्थान दिया है। इतना ही नहीं भाजपा के संगठन से लेकर निगम मंडलों तक सिंधिया समर्थक मंत्री खुले दिल से आम व्यक्ति के सथ काम करने का एक नया प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। शिवराज सिंह के शासन काल के दौरान मध्यप्रदेश में प्रगति तेजी से हुई है। यदि कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल का परिक्षण किया जाए तो प्रदेश के विकास में भाजपा की भूमिका सहज रूप से स्पष्ट हो जाती है। यह उम्मीद की जाती है कि शिवराज सिंह के इस सफल कार्यकाल का लाभ भाजपा को वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीधे होगा, और यदि इसके लिए कांग्रेस में एक और विगठन की आवश्यकता पड़ी तो वह भी असंभव नहीं है। कुल मिलाकर दो वर्ष पूर्ण होने के उपरांत मध्यप्रदेश में चारों और मामा की सरकार के डंके बज रहे है, और विपक्षी दल के बडे़ से बड़े दल के नेता दलाल बनकर खड़े हुए नजर आ रहे है।