सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर)
: मध्यप्रदेश कांग्रेस में महिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर परिवर्तन के बाद कोई नई नियुक्ति ने कांग्रेस में एक उत्साह की लहर का संचालन कर दिया है। भोपाल की पूर्व महापौर और कट्टर कांग्रेसी परिवार की सदस्या श्रीमती विभा पटेल महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नियुक्त हुई है। इसके पूर्व कांग्रेस संगठन ने गति तब आई थी जब संगठन के सहकारिता प्रकोष्ठ में पूर्व सहकारिता विशेषज्ञ और मंत्री रहे भगवान सिंह यादव की नियुक्त कि गई थी। भगवान सिंह यादव और विभा पटेल दोनो ही पिछड़ वर्ग से आते है, इस तरह कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग को पर्याप्त नेतृत्व संगठन में दे दिया है। 
मध्यप्रदेश का कांग्रेस संगठन बाल कांग्रेस की संरचना कर चुका है। जिसके अध्यक्ष के पद पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति के पुत्र को अध्यक्ष के रूप में स्थापित किया गया है। बाल कांग्रेस के निमार्ण का उद्देश्य क्या था और उसकी गतिविधियां किस तरह मैदान पर क्रियान्वित होंगी इस बारे में आम कांग्रेसी कार्यकर्ता को भी संक्षय है। युवक कांग्रेस पद पर पूर्व केन्द्रिय मंत्री रहे कांतीलाल भूरिया के पुत्र की स्थापना पूर्व में की जा चुकी है। भविष्य में भी स्थापित नेताओं के परिवारों से चुन-चुन कर वे युवा प्रतिनिधि निकाले जायेंगे जिनके हाथों में पीढ़ियों से कांग्रेस सुरक्षित है और सुरक्षित रहेगी।
कांग्रेस में नई गति देने के लिए महिला कांग्रेस में जिस तरह नियुक्ति की गई है उसके दूरगामी और असरदार परिणाम होंगे। विभा पटेल अपने समूचे जीवन काल में सपरिवार कांग्रेस के लिए तन-मन-धन से समर्पित रही है। भोपाल के महापौर के पद पर काम करते हुए उन्होंने भोपाल में कांग्रेस को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। विभा पटेल किसी भी राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले नेताओं में से है। पिछड़े वर्ग से संबंधित होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनकी ख़ासी पकड है जिसका लाभ कांग्रेस को जरूर मिलेगा। अपने इस कार्यकाल के दौरान संगठन को यह उम्मीद करनी चाहिए कि महिलाओं को पर्याप्त अवसर देने की दिशा में विभा पटेल लगातार मेहनत करेंगी और उसका लाभ महिला कार्यकताओं और नेताओं सहित पार्टी को भी मिलेगा।
पिछले दिनों संगठन को लेकर कई तरह की टिप्पणियां राजनैतिक क्षेत्र की की जाती रही है जिसमें सबसे प्रमुख संगठन का प्रभावशील न होना था। संगठन ने ये सारी नियुक्तियां पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के पहले की गई है ताकि वर्तमान चुनाव से मुक्त होने के बाद कांग्रेस हाई कमान को मध्यप्रदेश का संगठन पूरी तरह मजबूत और भरा पूरा नज़र आए। संगठन में अभी भी कुछ पदों पर विशिष्ट नियुक्तियां किया जाना शेष है। कांग्रेस के बहुसंख्यक का मानना है कि वर्तमान में की गई नियुक्तियों में दिग्गिविजय सिंह गुट प्रभावशाली रहा है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि भविष्य में कांग्रेस दिशा निर्धारण की पक्रिया में अनुभवी वरिष्ठ नेता दिग्गिविजय सिंह की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी। वैसे भी मध्यप्रदेश में अपने प्रवास के दौरान दिग्गिविजय सिंह कार्याकर्ताओं को यह चेतावनी दे चुके है कि 2033 तक कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आयेगी यदि कार्यकर्ता ऐसे ही गुटों में बटे रहें।
एक अनुभवी नेता की इस चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, 2033 वह वर्ष होगा जब कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता प्राप्त करने की दिशा मे वास्तविक संघर्ष करेगी। इस अंतरात के दौरान यदि कांग्रेस को प्रभावी रखना है तो दिग्गिविजय सिंह के अनुभव और राज्य में उनके प्रभाव का व्यापक उपयोग करना ही कांग्रेस के लिए हितकर होगा। वैसे भी दिग्गिविजय सिंह राज्य में अकेले ऐसे नेता है जो पैदल चलकर या गाड़ियों के माध्यम से चलकर पूरे राज्यों में कार्यकर्ताओं के समूहों को आंदोलित कर सकते है। यह बात अलग है कि स्वयं दिग्गिविजय सिंह यह मानते है कि वे जिस विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने जाते है वह क्षेत्र कांग्रेस हार जाती है ऐसी आम धारणा है। विभा पटेल की नियुक्ति के बाद शेष पदों पर भी नियुक्ति पांच राज्यों के परिणामों की धुंध हटने के पहले आवश्यकरूप से कर दी जायेगी ऐसा अनुमान है। जिससे उत्तर प्रदेश पराजय की हताशा में कांग्रेस हाई कमान को मध्यप्रदेश का संगठन भरा पूरा और हरा भरा नजर आए भले ही वह आधारहीन हो।