संभावनाओं के बाद भी निष्क्रिय है कांग्रेस
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव में मजबूत भारतीय जनता पार्टी के सामने किस तरह की कांग्रेस विरोध में खड़ी होगी इसका सहज अनुमान लगा पाना वर्तमान स्थितियों के अनुसार मुश्किल नहीं है। कांग्रेस योजनाविहीन और दिशाविहीन होकर वरिष्ट नेताओं के गिरोह में बटी हुई है। इस कांग्रेस को युवा शक्ल देने के लिए भी जिन नेताओं को पैदा किया जा रहा है उनमें संभावनाओं की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती।
यदि कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में अपनी वरिष्ठ पंगती को तोड़ कर युवाओं पर भरोसा करती है तो वो युवा जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, बाला बच्चन जैसे होंगे जो वरिष्ठ नेताओं की छत्र छाया में अपने आपको विकसित कर रहे है या वे युवा होंगे जो मैदान में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की हर लड़ाई को और उसके सिद्धांतों को जिंदा करते रहे है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कही मजबूत है पर उसके पास एक मजबूत संगठन नहीं है और नाही योजना कारो की कोई फ़ोज है जो इन स्थितियों में भी कांग्रेस की राह को मजबूत बनाने का काम कर सके।
कांग्रेस के सभी प्रकोष्ठ पूरी तरह निष्क्रिय है, कांग्रेस को जरूरत है राज्य में अपनी पहचान जीवित करने की। इन स्थितियों में सेवा दल की गांधी टोपी कांग्रेस के लिए शायद उपयुक्त है पर सेवा दल कांग्रेस का वह सबसे नकारात्मक संगठन है जो सिर्फ सेल्यूट करने, झंडा उतारने या वरिष्ठ नेताओं के घर गांधी टोपी लगाकर चैकीदारी करने तक सिमित है। सेवा दल की उपियोगिता समाज के साथ क्या है इसे कांग्रेस कभी नहीं समझ सकी। आज जब बड़े से बडे़ कांग्रेसी नेता का चेहरा आम वोटर के लिए पराया हो चुका है तो उसे कांग्रेस नितियों और समर्पण के साथ जोड़ने के लिए सेवा दल की जरूरत है। महिला कांग्रेस, किसान कांग्रेस, युवा कांग्रेस, राष्ट्रीय छात्र संगठन सारी इकाईयां पूरी तरह निष्क्रिय हैं। कोई एक संगठात्मक सोच कांग्रेस की आधार शिला को मजबूत करने के लिए सक्रिय नही है। अपने बेटों, रिश्तेदारों या अन्य समर्थकों को संगठन के विभिन्न पदों पर बिठा कर भविष्य में अपने परिवार का मुख्यमंत्री बनाने की कल्पना राज्य में कांग्रेस के पतन का सबसे बड़ा कारण है।
अब सुनने में आ रहा है कि विन्ध्य प्रदेश से शुरू होकर राज्य के अन्य भागों में कांग्रेस को सक्रिय करने के लिए बड़े नेताओं के दौरे आयोजित किये जायेंगे, जिसकी कमान स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ संभाली है, इन दौरो का परिणाम क्या होगा यह अज्ञात है। विन्ध्य क्षेत्र में जब सामर्थवाद और जननेता के रूप में वर्तमान में स्थापित कांग्रेस का सदस्य उपेक्षित रहेगा उसकी भूमिका का निर्धारण नहीं होगा। तब इन दौरों का लाभ कांग्रेस को नही के बराबर मिलेगा क्या एक औपचारिकता जिसे निभाया जायेगा। मंडल स्तर तक संगठन की मजबूती के लिए कोई कितने भी कठोर निर्देश जारी कर दे, प्रदेश के भावी नेता को पूरे राज्यों को सड़क मार्ग से एक बार नापना जरूरी होगा। कार्यकर्ताओं से सम्पर्क करना होगा और स्वयं एक नई टीम का निर्माण करना होगा जो केवल कांग्रेस के लिए जिए उन बडे नेताओं के लिए नहीं जो आने वाली पीढ़ियों को राज्य का दायित्व कृतिम रूप से सौपना चाहती है।
इस संघर्ष में उन अनुभवी नेताओं को केवल गुटबाजी के कारण अलग रखा जाना अनुचित है, जो विवेकशील और और वर्षो से कांग्रेस के योजनाकार रहे है, वर्तमान में उपेक्षा का शिकार होकर निर्वासन का जीवन व्यतित कर रहे है। कांग्रेस की संयुक्त शक्ति का आकलन करना और भविष्य के हिसाब से निष्पक्ष होकर संगठन को मजबूत करना बेहतर योजनाकारों के साथ मिलकर 2023 की मुहीम को कल्पना में ही सही परिणाम मूलक बनाना इन गुणों का समावेश करने वाला नेतृत्व ही राज्य को कांग्रेस के पक्ष में ले जाने में सक्षम है। जहां यह भी स्मरण भी रखना होगा कि धनबल, बुद्धिबल और व्यवहारिक सोच का सामंजस्य एक नेतृत्व की परिभाषा है। इसमे से किसी भी चीज की कमी का होना वर्तमान में कांग्रेस की स्थितियों जैसी संभावनाओं और परिणामों को जन्म देता है। यह सत्य है कि आज कांग्रेस कहीं नहीं है चंद बंगलों में सिमट कर रह गई है, जिसके चलाने वाले कुछ लोग ही है जिनकी व्यक्तिगत महत्वकांशाएं है। भविष्य की कांग्रेस कैसी होगी यह हाई कमान से सोच के परे का विषय है पर राज्य 2023 के लिए कांग्रेस के पक्ष में खड़ा होने को तत्पर नज़र आता है।