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दौड़ में भाजपा से आगे है - कांग्रेस ...
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश विधानसभा के लिये कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद कुछ ही दिनों के लिये ही सही प्रचार अभियान प्रारंभ हो गया। यह बात अलग है कि टिकिट के विरोध में जगह-जगह बागी स्वर दोनों ही राजनैतिक दलों में सुनने को मिल रहे है। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि कांग्रेस द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची भाजपा के उम्मीदवारों पर अधिक भारी और सटीक बैठती है। कांग्रेस ने जिस तरह उम्मीदवारों का चयन किया है उसमें धर्म, जाति, उम्र, अनुभव आदि का समावेश बेहतर तरीके से किया गया नज़र आता है। उम्मीदवारों का चयन कई सर्वेक्षणों के बाद किया गया है, इसके बावजूद भाजपा की लिस्ट का कमजोर होना उसमें बगावत के कई बीज बो रहा है। भाजपा की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इस चुनाव में उसके पास मुख्यमंत्री तक का चेहरा नहीं है। 18 साल सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान किसी भी स्थिति में चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के प्रत्यशी नहीं बन सकते। दूसरी ओर भाजपा हाई कमान ने सार्वजनिक मंच से शिवराज सिंह चौहान को कटस्थ करना शुरू कर दिया है। स्वयं शिवराज सिंह लगातार चलती हुई जनसभाओं मध्य दो बार अलग-अलग स्वयं को मुख्यमंत्री पुनः बनाये जाने की मांग उठाते देखे गये, जिस पर आम जनता और कार्यकर्ताओं का व्यापक सहयोग उन्हें नहीं मिला। भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर के नेता केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों को बड़ी तादात में टिकिट देकर चुनाव के समीकरण को बदल दिया है। यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव के पश्चात राज्य के संचालन की जिम्मेवारी किस स्तर के नेता को किस हद तक दी जाती है। यही कारण है कि टिकिट वितरण के बाद भाजपा में असंतोष कांग्रेस से कहीं ज्यादा स्थायी नज़र आता है। वास्ताव में मध्यप्रदेश के अगले चुनाव का निर्धारण भाजपा हाई कमान स्वयं कर रहा है। उसमें किसी भी तरह का राज्य स्तरीय हस्तक्षेप शायद वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा।
दूसरी ओर कांग्रेस कमलनाथ के अगुवाई में राज्य में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः स्थापित करने के लिये कदम बड़ा रही है। जिस तरह कांग्रेस ने सैकड़ों सर्वेक्षणों का आधार बनाकर उम्मीदवारों के चयन की दोनों सूचियां जारी की है। उससे कांग्रेस के वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों ही आयु वर्ग के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एक नई राजनैतिक राह विकसित हुई है। पहले यह माना जा रहा था कि मात्र सर्वेक्षण कांग्रेस को उसकी वास्तविकता से पूरी तरह परिचित नहीं होने देंगे, यह तथ्य जारी किये गये उम्मीदवारों की सूची देखने के बाद गलत प्रमाणित होता है। अब स्थिति यह है कि कांग्रेस यदि राजनैतिक क्षेत्र में अंतिम मजबूत धक्का लगाने के लिये तैयार हो तो बहुमत का आंकड़ा कांग्रेस से दूर नहीं हो सकता। कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर फिलहाल कोई विवाद नहीं है, यह तय है कि कांग्रेस जीतेगी तो कमलनाथ ही राज्य की राजनीति को संभालेंगे। कांग्रेस द्वारा जारी किये गये उम्मीदवारों में भविष्य के मंत्रिपरिषद की स्पष्ट छवि नज़र आती है। यही कारण कि कांग्रेस का उत्साह भी भाजपा से आगे है।