(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
क्रिकेट के जानकार चाहे वह दर्शक हो, विशेषज्ञ हो या स्वयं खिलाड़ी इस बात को भली भांति जानते है कि किसी भी प्रतिष्ठापूर्ण मैच में जब निर्णायक क्षण आते है तो टीम अपने वरिष्ठ अनुभवी और जाबाज़ खिलाड़ी पर ही भरोसा करती है। इन स्थितियों में जब दबाव जरूरत से ज्यादा हो इस अनुभवी खिलाड़ी का दायित्व बन जाता है, कि वह मैदान में चारों ओर विरोधी टीम की रणनीति को समझते हुये अपनी बल्लेबाजी या गेंदबाजी को नियंत्रित कर सकें। अपने प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुये विरोधी टीम की भविष्य की योजनाओं के प्रति भी इस खिलाड़ी को सतर्क रहना होता है। जब यह जिम्मेवारी खिलाड़ी स्वयं टीम का कप्तान हो, तो उसकी जिम्मेवारियां कही अधिक हो जाती है। अक्सर क्रिकेट के मैदान में यह स्थितियां किसी भी पारी के अंतिम क्षणों में उपस्थित होती है। इन स्थितियों में कप्तान को स्वविवेक से निर्णय लेना होता है और आक्रमक और सुरक्षात्मक दोनों ही शैलियों का उपयोग करते हुये अपनी टीम को विजय की ओर ले जाने की पूरी रणनीति बनानी पड़ती है।
ऐसा ही कुछ दृष्य इन दिनों मध्यप्रदेश राज्य में राजनीति के मैदान पर चल रहा है। भाजपा और कांग्रेस के मध्य खेला जा रहा यह मैच अब अपने अंतिम ओवर्स की ओर बढ़ रहा है। भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है, घोषणाओं के अलावा सत्ताधारी दल होने का विशेष लाभ भाजपा को इस खेल के दौरान मिल रहा है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केन्द्रीय मंत्रियों और पदाधिकारियों को बहुत बड़ा समूह राज्य में लड़खड़ाती हुई भाजपा की पारी संभालने की दिशा में तेजी से कदम बडा रहा है। सरकार की ओर से घोषणाएं इतनी अधिक है कि सामान्य व्यक्ति चुनाव के बाद उन घोषणाओं का विश्लेषण भी नहीं कर सकता। प्रत्येक जनसभा में एक नई घोषणा होती है, जो आम आदमी को यह स्वप्न दिखा जाती है कि उसका भविष्य आने वाले कल में ओर कितना सुरक्षित हो जा रहा है।
दूसरी ओर विरोध में खड़ी हुई कांग्रेस केवल कमलनाथ के अनुभव, उनकी रणनीति और दूरदर्शिता के भरोसे इस चुनाव में सत्ताधारी दल को परास्त करने के लिय प्रयासरत है। कमलनाथ के बारे में अलग-अलग राजनैतिज्ञों की राय के अनुसार उनकी प्रवृत्ति दूर के खतरों को काफी समय पहले समीप से देख लेने की अदभूत क्षमता है। अनुशासीन कार्यशैली और कम बाते और ज्यादा काम की कार्य प्रणाली उनकी विशेषता है। कमलनाथ मध्यप्रदेश के इस मैच को कितना बारीकी से देख रहे हैं उसकी पुष्टि होना उनकी अगली चालों पर निर्भर है। परंतु राजनीति के जानकारों के अनुसार कमलनाथ ने अपनी समस्त शक्तियों को अभी अपने तक केन्द्रीत कर संकलित कर रखा है। चुनावी योजना के रूप में कार्यकर्ताओं के मध्य स्वाभिमान की भावना और विजयी होने का आत्मविश्वास केन्द्रीय करने में अभी कमलनाथ का पूरा ध्यान है। यह बात सही है पूरी कांग्रेस पार्टी वर्तमान में केवल कमलनाथ के इशारों पर उनके दिये गये मार्ग दर्शन के आधार पर कार्य कार्य रही हैं। इन स्थितियों का राजनीति लाभ भी है और नुकसान भी। यदि कांग्रेस अपनी वर्तमान रणनीति के अनुसार विधानसभा के चुनाव को जीत लेती है तो उसका सेहरा कमलनाथ के सर पर बंधेगा,जो निश्चित तौर पर इस पके हुये राजनीतिज्ञों को भविष्य की गंभीर राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका देगा और यदि इन चुनाव में किसी तरह का नुकसान होता है तो उसका सारा श्रेय भी पूरी कांग्रेस पार्टी कमलनाथ के सर पर डाल देगी। कमलनाथ के बारे में यह तो तय है कि वे राजनीति या व्यवहारिक जीवन में कोई उधार नहीं रखते। 15 महीने की सरकार को जिस तरह गिराया गया था उस कर्जे से बाहर निकलने के लिये कमलनाथ निश्चित तौर पर इन चुनाव में कुछ विशेष उपक्रम करेंगे। चुनाव जैसे-जैसे अंतिम दौर में पहुंचेगा कमलनाथ की रणनीति का खुलासा होने की उम्मीद कही ज्यादा है। सबसे बड़ी बात यह है कि समूचे मध्यप्रदेश में कांग्रेस हाई कमान का सबसे विश्वास पात्र व्यक्ति राज्य में कोई है तो उन्हे कमलनाथ ही कहा जा सकता है। कांग्रेस के लोगों को भी इस बात की पूरी उम्मीद है कि कमलनाथ की अचुक चाले अंतिम क्षणों में भाजपा के लगातार किये जा रहे वरिष्ठ प्रयासों का जवाब अंतिम क्षणों में दे सकेगी।