(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
चुनावी मौसम में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तौमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पुरानी जोड़ी के एक बार फिर साथ होने से भाजपा में उम्मीदें काफ़ी बढ़ गई हैं। पिछले लम्बे समय तक सत्ता में रहने के बाद कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय नेताओं का पड़ने वाले प्रभाव का अब मूल्यांकन किया जा रहा है। बल्कि संयुक्त रूप से आपसी मतभेदों को भूलाने और एकजुट बने रहने की कोशिशों को परिणाम मूलक बनाये जाने की कोशिश की जा रही है। 
भाजपा की ओर से ये संकेत मिलने लगे है कि कुछ बड़ बोले और अति महत्वाकांशी नेताओं को कुछ समय के लिये मौन करके सामान्य कार्यकर्ता को प्राथमिकता देना और उसकी प्रत्येक बात को सुना जाना धीरे-धीरे सामान्य घटना क्रम बनाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं ने मौन व्रत ले लिया है, पर वे पार्टी का साथ नहीं दे रहे हैं। इस कारण कई स्तरों पर पार्टी आम व्यक्ति के मन में अपने आप को कमजोर महसूस कर रही है। 
दूसरी ओर प्रियंका गांधी की 21 तारिख को प्रस्तावित ग्वालियर यात्रा को लेकर पूरे राज्य में कमलनाथ का तंत्र पूरी तरह सक्रिय है। यह कोशिश की जा रही है कि प्रियंका की यह यात्रा और जनसभा लाखों लोगों की उपस्थिति में ग्वालियर में आयोजित की जा सकें। ग्वालियर के स्थानीय नेताओं के अनुसार ग्वालियर क्षेत्र में कमलनाथ ने अपने तंत्र को इतना मजबूत और सक्रिय बना लिया है कि चप्पे-चप्पे पर अब सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और कमलनाथ की व्यक्तिगत भावनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिये बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं टीम ताजी सूचनाओं के साथ सक्रिय है। 
ग्वालियर क्षेत्र में कमलनाथ के बढ़ते हुये हाथों और सक्रियता के परिणाम स्वरूप प्रियंका गांधी की यह यात्रा अविस्मरणीय होगी इसमें संदेह नहीं रहा है। पिछले दिनों में ग्वालियर क्षेत्र में इस यात्रा को लेकर छोटी-छोटी बैठकों का आयोजन न सिर्फ सफल रहा है बल्कि कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने में भी कामयाब रहा है। ग्वालियर क्षेत्र के स्वीकार्य नेताओं में प्रभावी रूप से कमलनाथ का नाम इसलिये भी लोकप्रिय है कि सिंधिया के पराभव के बाद इस क्षेत्र में एक नये नेता की तलाश है। ग्वालियर का यह राजनैतिक अखाड़ा बहुत कुछ छिन्दवाडा से मिलता-जुलता है बस एक ही अंतर है कार्यकर्ताओं में स्वाभाविक रूप से व्याप्त उग्रता का। 
यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी चुनाव को देखते हुये नरेन्द्र सिंह तौमर और शिवराज सिंह चौहान की वर्षो पुरानी जुगलबंदी भाजपा को नये उत्साह से भरेगी और कार्यकर्ताओं की संगठित टीम भाजपा की दो दशक पुरानी सत्ता को निरंतर बनाये रखने के लिये पूरा संघर्ष करेगी। दूसरी ओर ग्वालियर सहित समूचे मध्यप्रदेश में कमलनाथ की योजनाएं उनका सर्वेक्षण, अनुभव और राजनीति में कल पैदा होने वाली समस्याओं का पूर्ण आकलन करने की अभूतपूर्व क्षमता के मध्य एक रोचक मुकाबला होगा। यह बात अलग है कि सरकार बनाने के लिये आवश्यक विधायक संख्या में दोनों दलों के मध्य कोई बड़ा अंतर होने की संभावना से जानकार इंकार कर रहें है।