(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भाजपा में आत्मविश्वास की नई लहर दौड़ गई। यह सच है कि पार्टी को एकजुट रखने में शाह का यह दौरा महत्वपूर्ण रहा है। पर भाजपा का राष्ट्रीय स्तर का नेता में यह आत्मविश्वास कहां से आ गया कि 15 साल ओर 45 महीनें चली भाजपा की प्रदेश सरकार एक बार पुनः इसी तरह बहुमत की ओर चली जायेगी। अमित शाह के दौरे के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा में कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच दूरियों को कम करने के लिये विशेष अभियान और निर्देश पार्टी हाई कमान द्वारा चलाये जाने है। इन अभियानों के माध्यम से दूर दराज गांव तक बैठा हुआ कार्यकर्ता एक बार फिर पार्टी अनुशासन के नाम पर भाजपा की जीत के नाम कमर कस लेगा। आश्चर्य इस बात का है कि किस आधार पर भाजपा के छोटे नेता भी अब यह दावा कर रहे हंै कि सरकार तो हम ही बनायेंगे। व्यक्तिगत बातचित के दौरान इन नेताओं का दावा है कि अभी भाजपा ने ट्रम्प की चाल नहीं चली है। इस चाल के चलने के बाद बड़े-बड़े कांग्रेसी नेता राज्य में धाराशाही हो जायेंगे। राजनैतिक क्षेत्र में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आखिर वो कौन से चाल हो सकती है जो भाजपा को अंतिम क्षणों में अमृत का बोध कराकर राज्य में होने वाली निर्वाचन प्रक्रिया को उसके पक्ष में मोड दे।
राजनैतिक पंडितों का मानना है कि इस तरह का चमत्कार कुछ परिस्थितियों में हो सकता है, जैसा कि राज्य में भाजपा के प्रति एक असंतोष का वातावरण बना हुआ है। पर विपक्ष के नेता अभी भी पांच दिन के विधानसभा सत्र के दो दिन में निपट जाने पर पूरी तरह संतुष्ट है। विपक्ष अभी भी बड़े-बड़े मामलों को लेकर भाजपा सरकार के विरूद्ध कोई मोर्चा नहीं खोल रहा। इन स्थितियों में या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव के दौरान कमजोर होंगे या कोई अज्ञात ताकत इस पूरी चुनाव प्रक्रिया को कांग्रेस में विद्रोह न होने के बावजूद भाजपा के पक्ष में पलट देगी। जानकारों का कहना है कि पिछले 20 वर्षो के दौरान कांग्रेस ने कभी भी आम चुनाव के पहले चुनाव का माहौल नहीं बनाया है और ना ही चुनाव जीतने की इच्छा शक्ति को निर्मित मैदान में कदम रखा है। कांग्रेस हाई कमान ने भी कांग्रेस के राज्य में पराजय को नियती मान लिया। अब भाजपा के लिये यह आवश्यक है कि चार राज्यों के विधानसभा के दौरान वो मध्यप्रदेश में अपने प्रभाव को न सिर्फ कायम रखे बल्कि मजबूत करें। यह बात अलग है कि भाजपा के अंदर आंतरिक विद्रोह की चिंगारी किसी हवा का इंतजार कर रही है। परंतु हवा देने वाला विपक्ष शांत वातावरण में भविष्य में मिलने वाले राजनैतिक फल के सकारात्मक होने का इंतजार कर रहा है। भाजपा नेताओं का यहां तक कहना है कि अंतिम क्षणों में आप ऐसा चमत्कार देखने जा रहे है जो मध्यप्रदेश की राजनीति को एक नई परिभाषा दे देगा। भाजपा अगले पांच सालों तक राज्य से नहीं हटने वाली और उसके लिये किसी भी आंतरिक विद्रोह को अनुशासन के नाम पर दबा देना कोई बड़ी बात नहीं है। वैसे भी चुनाव का संचालन धीरे-धीरे भाजपा हाई कमान ने ले लिया है।  अमित शाह और प्रधानमंत्री जैसे दिग्गज नेता अब हर पल की रिपोर्ट अपनी टेबल पर चाहते है, इसके लिये पूरे राज्य में सूचना का एक ऐसा गुप्त और व्यवहारिक तंत्र स्थापित किया गया है जिसके आधार पर पार्टी अपने भविष्य की योजनाओं को साकार रूप देने जा रही है। भाजपा के नेताओं दावा गलत नहीं है प्रतिदिन बदलती हुई परिस्थितियां यह संकेत तो जरूर कर ही है भाजपा ने कोई न कोई ऐसी मणी हसील कर ली है जो कांग्रेस के नेताओं को ठीक चुनाव के पहले स्वयं अस्तित्वहीन हो जाने के लिये बाध्य कर देगी। चुनावी उठा पटक के इस दौर में एक संघर्ष होना तय है, परंतु उसमें भाजपा की विजय के प्रति उनके नेताओं के मन में पैदा हुआ नया आत्मविश्वास कांग्रेस के लिये चेतावनी का संदेश हो सकता है।