(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश के सीधी में हुये पेशाब कांड का राजनैतिक पश्च्याताप आज कैमरे के सामने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीढ़ित आदिवासी के पैर धोकर उसका सत्कार करके और हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुये किया। शिवराज सिंह चौहान ने पीढ़ित आदिवासी को कुर्सी पर बिठाकर उसके पैर धोये, उसके बाद पानी को अपने सर पर लगाया आरती उतारी, तिलक लगाया, शाल ओढ़ाकर उसका सम्मान किया और टीवी कैमरे के सामने यह कहा कि इस घटना से मैं दुखी हूं, आपसे माफ़ी मागंता हूं आप जैसे लोग मेरे लिये भगवान की तरह है। परंतु मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद इस पीढ़ित आदिवासी ने कहा कि जो हुआ सो हुआ।
इस घटना के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आरोपी को ऐसी सजा मिले की जो मिसाल बन जाये। उस पर एन.एस.ए. लगाया गया है, बुल्डोजर भी चलाया गया है, जरूरत पड़ी तो अपराधियों को जमीन में गाढ़ देंगे। उक्त घटना के आरोपी प्रवेश शुक्ला को मंगलवार की देर रात पुलिस द्वारा औपचारिक रूप से मुस्कुराते हुये सम्मान के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। इस तरह 1.75 करोड़ आदिवासी वोट बैंक का टीवी के कैमरे के सामने मानवीय और संवेदनशील रूख को प्रदर्शित करते हुये प्रशासन को भी कड़े संकेत दे दिये गये, जो कितने व्यवहारिक है यह पता नहीं।
उल्लेखनीय है कि शराब के नशे में प्रवेश शुक्ला द्वारा उक्त आदिवासी के ऊपर पेशब करने का विडियो सोशल मीडिया पर जारी हुआ था। जिससे प्रदेश की राजनीति में आदिवासी समूहों के प्रति सरकार की उपेक्षा और आंतक की कई कहानियां विपक्षी दलों द्वारा बारी-बारी से जारी कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर का लाभ उठाते हुये पीढ़ित आदिवासी को सुदामा की संज्ञा दी जिससे वे स्वयं कृष्ण के पद पर आसीन हो गये। उन्होंने आदिवासी से पूछा, क्या करते हो? सरकार की किन योजनाओं का लाभ तुम्हे मिल रहा है? बेटी को लाड़ली लक्ष्मी और पत्नी को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं? मुख्यमंत्री ने पीढ़ित की पत्नी से कहा यह मेरा भाई तुम मेरी बहन हो, कोई चिंता मत करों, तुम्हारा मकान दिलवाना है। काम धंधे के लिये पैसे का भी इंतज़ाम करा रहा हूं। इस पर पीढित की पत्नी ने मुख्यमंत्री से कहा हमीं पैसा का लालच नहीं है हमारे आदमी को भेज दो।
उपरोक्त समूची घटना आदिवासियों के सरल हृदय होने और क्षमाशील होने का उदाहरण है साथ ही यह स्पष्ट करती है कि मुख्यमंत्री के आश्वासनों के बाद भी पीढ़ित आदिवासी और उसकी पत्नी अपने घर जाने का सुरक्षित मार्ग मुख्यमंत्री से चाहते हैं न कि उनके द्वारा दी गई योजनाओं और पैसों का लॉलीपॉप। दूसरी ओर सीधी प्रशासन ने मर्दो की तरह कार्यवाही करते हुये आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर के एक तिहाई हिस्से को जो अवैध बताया गया उसे गिरा दिया गया। भाजपा के विधायक केदारनाथ शुक्ला अब इस बात से इंकार कर रहे है कि प्रवेश न तो उनका प्रतिनिधि था और न पार्टी का कार्यकार्ता। जबकि स्थानीय स्तर पर प्रवेश शुक्ला की छवि केदारनाथ शुक्ला से जुड़े हुये और पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप से बनी हुई है। 
मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहली घटना है कि इस असाधारण अपराध के लिये किसी पीढ़ित से मुख्यमंत्री ने पैर धोकर माफ़ी मांगी हो। प्रशासनिक तौर पर कमज़ोर पडे हुये मध्यप्रदेश की प्रशासन तंत्र की सभी गलतियों के लिये यदि मुख्यमंत्री पैर धोकर माफी मांगने लगे तो सम्भवतः सप्ताह में चार दिन उन्हें पैर धोने की बर्तन लेकर अपने घर के सामने सैकडों लोगों के पैर धोने पडेंगे। उनके चरणाअमृत लेने की परम्परा को भी शुरू करना होगा। राजतंत्र की मर्यादाएं टूट चुकी है केवल चुनावी काल में आदिवासी वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिये और सीधी में हुई इस असाधारण घटना के कारण भाजपा को मिलने वाली आदिवासी वोटों के आक्रोश को शांत करने के लिये टीवी कैमरा लगाकर न सिर्फ इस नौटंकी को  रिकार्ड किया गया बल्कि टीवी चैनल के मध्यम से होने वाली बातचित के आडियों को भी सार्वजनिक किया गया, इसे शिवराज की सज्जनता नहीं मजबूरी कहा जायेगा। जब प्रशासनिक अक्षमताओं के कारण पैदा हुई विसंगतियों को ढकने के लिये उन्हें इस अप्राकृतिक कृत्य को प्राकृतिक जामा पहनाकर प्रस्तुत करने के लिये मजबूर होना पड़ा।