(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
कांग्रेस के सामने इस बार जीत की संभावना अधिक है। पर बड़े नेताओं का अति आत्मविश्वास इस मौके को कहीं गवा न दे। यह चिंता मध्यप्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक वरिष्ठ नेता असलम शेर ख़ान ने पिछले दिनों एक टीवी इंटरव्यू के दौरान व्यक्त की है। उनका मानना है कि स्वाभाविक तौर पर इस बार भाजपा के विरूद्ध एक माहौल बन रहा है इसका पूरा लाभ कांग्रेस उठा सकती है। पार्टी कार्यकर्ताओं को पर्याप्त टिकिट के अवसर देकर और अपने विश्वास को जिन्दा रखते हुये यदि चुनाव की तैयारी की जायगी तो कांग्रेस विजय से दूर नहीं है। पिछले दिनों राजधानी में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अज़ीज़ कुरैशी और असलम शेर ख़ान ने अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं के मिटिंग को भी संबोधित किया था। उक्त बैठक के दौरान कार्यकर्ता आये हुये इन अवसर को अपने पक्ष में लपक लेने की चुनौती प्रस्तुत की गई थी। असलम शेर ख़ान ने चर्चा के दौरान सर्वेक्षण की राजनीति को आर्थिक लेन-देन से जोड़ते हुये सर्वे में चयनीत किये जाने वाले विजयी उम्मीदवारों की क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा किया। उनके अनुसार उम्मीदवार की आर्थिक स्थिति ही सर्वेक्षण में उसके विजय होने या न होने की संभावना मानी जाती है। इस तरह के सर्वेक्षण चुनावी रणनीति का आधार बनते है, पर यही राजनैतिक दलों की कमजोरियों का कारण भी बनते है। 
असलम शेर ख़ान ने कहा कि अल्पसंख्यकों पार्टी की विचार धारा के साथ खड़े होना चाहिये न की जनसंख्या के आधार पर अपने लिये प्रतिनिधित्व की मांग करनी चाहिए। प्रदेश नेतृत्व का कर्तव्य है कि वह अल्पसंख्यक की भावना के अनुरूप उन्हे उचित प्रतिनिधित्व मिले। यदि एक बार मुसलमान यह घोषित कर दे कि वह पार्टी की सहमत धारा से मतदान करेगा फिर चाहे पार्टी कोई भी हो तो कमलनाथ के लिये भी भारी मुश्किल खड़ी हो सकती है। असलम शेर ख़ान ने चर्चा के दौरान सही अवसर पर अपना अपना कौशल प्रदर्शन करके अपने अस्तित्व को प्रदर्शित करना चाहिए। ख़ान ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी में अब वरिष्ठ नेताओं या राजनैतिक अनुभव की कोई पूछ नहीं रह गई है। यही कारण है कि पार्टी के क्रियाशील किन्तु वरिष्ठ नेता अब पार्टी से दूर हो चुके है। कांग्रेस किसी भी मामले में कोई सलाह नहीं करना चाहती है और ना ही एक स्पष्ट नीति बनाकर चुनाव की ओर बढ़ना चाहती है। 
असलम शेर ख़ान के अनुसार दिग्विजय सिंह ज़मीनी नेता है, और उनको ज़मीनी सच्चाई भलिभांति पता है। दूसरी ओर कमलनाथ है जिन्हें मध्यप्रदेश का नेता नहीं कहा जा सकता, वे बाहर से आये थे हेलिकाप्टर व हवाई जहाज से उन्होंने मध्यप्रदेश को जाना और समझा है। यह जरूर है कि उन्होंने छिंदवाड़ा को अपना चुनाव क्षेत्र बनाकर उसके विकास में पूरा योगदान दिया है। पर मध्यप्रदेश, मध्यभारत, महाकौशल, बुंदेलखंड, बघेलखंड मिलाकर छिंदवाड़ा नहीं हो सकते। मध्यप्रदेश की संस्कृति अलग-अलग क्षेत्रों में विपरीत है और इन क्षेत्रों के विकास की अवधारणायें भी बिलकुल अलग है। मध्यप्रदेश को समग्र रूप से यदि किसी ने समझ कर विकास करने की क्षमता दिखाई थी तो वे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे। इसके बाद मध्यप्रदेश में कोई नेता ऐसा नहीं हुआ जिसने मध्यप्रदेश को समग्र रूप में विकसीत कर राज्य के विकास की अवधारणा सच की राह पर लेकर चल सका हो। 
असलम शेर ख़ान ने अपने साक्षात्कार में कहां कि सिंधिया की राजनीति को स्पष्ट करते हुये कहा कि वास्तव में सिंधिया को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने निकाला है ना की सिंधिया स्वयं कांग्रेस छोड़कर गये है। ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की गई जिससे सिंंिधया के पास कोई विकल्प ही नहीं था, सिंधिया की उपस्थिति के कारण कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की राजनीति का मध्यप्रदेश में साकार हो पाना असंभव था। सिंधिया की उपस्थिति हमेशा विकल्प की राजनीति को बनाये रखती, इससे दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के पुत्रों की राजनैतिक भविष्य पर भी असर पड़ सकता था। परिणामतः वो स्थितियां पैदा की गई जिससे सिंधिया को कांग्रेस से गुट बनाकर अलग हटने के और भाजपा की सदस्यता लेने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं रहा।
असलम शेर ख़ान के इस बेबाक इंटरव्यू ने मध्यप्रदेश की राजनीति वर्तमान स्थिति पर विस्तृत विवेचन है। असलम शेर खान अपनी राजनीति में स्वतंत्र माने जाते हैं और वैचारिक रूप से एक मजबूत कांग्रेसी नेता है। उन्होंने अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर हाॅकी खेलते हुये भारत जीत के लिये अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।