(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
चेतावनियों के बीच राज्य में कांग्रेस और भाजपा का चुनाव प्रचार अप्रत्यक्ष रूप से शुरू हो चुका है। विपक्षियों के सबसे अधिक चेतावनी सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को दी जा रही है और उनके कर्मो का निर्णय चुनाव के बाद करने की प्रतिज्ञा की जा रही है। कमलनाथ अपनी सभाओं में सार्वजनिक रूप से कह रहें हैं कि मेरी चक्की बहुत बारीक पिसती है। वस्तुतः कमलनाथ की चक्की के इस अभूतपूर्व दावे का राज्य में न कभी परीक्षण हुआ है और ना ही इसकी पुष्टि होती हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कई अवसरों में सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी देते हुये बार-बार यह दावा कर रहें हैं कि चुनाव के बाद हम ही आने वाले है। इनके आने से कर्मचारियों की स्थिति में कोई लाभकारी परिवर्तन हो या न हो, इस वर्ग को अभी इस बात के लिये सतर्क रहना होगा कि ऐसी कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया इनकी ओर से न जाए जो कमलनाथ की चक्की के लायक बन सकें। कमलनाथ का दावा है कि प्रदेश की जनता शिवराज को विदा करने के लिये तैयार है। बीजेपी के पास पुलिस, पैसा और प्रशासन सिर्फ चार महीने के लिये शेष है, इसके बाद अप्रत्यक्ष दावा यह है कि पुलिस, पैसा और प्रशासन तीनों कमलनाथ के पास पहुँच जायेंगे। 
कमलनाथ सार्वजनिक सभाओं में सभी कर्मचारियों-अधिकारियों को कान खोलकर सुनने की हिदायत देते हैं। यह फरमान जारी करते हैं कि कल के बाद परसों भी आ रहा है, कर्मचारी छोटा हो या बड़ा हो सबका हिसाब किया जायेगा। इसी तरह की चेतावनियों के साथ यह माना जाता है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में पर्याप्त जोश भर गया है। पिछले कई अवसरों में कमलनाथ और कांग्रेस के चाणक्य दिग्विजय सिंह भी चेतावनियों की एक श्रृंखला जारी कर चुके है। राज्य की राजनीति में समझने वाली बात यह है कि धमकियों के सहारे अपनी भविष्य की योजनाओं के खतरनाक पहलुओं को जाहिर करके कांग्रेस आखिर क्या संदेश देना चाहती है। कांग्रेस यह मानती है कि 160 सीटों का आकड़ा उसके लिये अगले चुनाव के लिये असंभव नहीं है। अति आत्म विश्वास की पराकाष्ठा यह है कि लिखे लिखायें भाषणों को जनता के सामने प्रस्तुत करने के पहले वक्ता उसकी सत्यता का परीक्षण तक नहीं करना चाहता। कुछ भी हो, कही भी हो, कैसे भी हो उपस्थित जन समूह और कार्यकर्ताओं में एक अनावश्यक उत्साह पैदा करने के लिये घिसे-पिटे शब्दों का सहारा लिया जा रहा है।
दूसरी ओर भाजपा इस चुनाव को रचनात्मक और हिन्दु धर्म समर्थक छवि के साथ आगे बढ़ाने में लगी है। कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा के कार्यकर्ताओं का उत्साह और उनके मध्य गुटबाजी कई अधिक है। इन स्थितियों में मंच पर केवल मुख्यमंत्री शिवराज कई किमी तक चक्कर लगाकर अलग-अलग नृत्य की मुद्राओं में अपने जोहर प्रदर्शित करते रहते हैं। भाजपा के लिये राज्य में जमीन कि राजनीति की जिम्मेवारी धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्वयं संघ लेता जा रहा है। पिछले दिनों में कई महत्वपूर्ण अधिकारी और नेता राज्य के विभिन्न छोट-बडे स्थानों में एक संगठित मुहिम चलाने के लिये लगतार दौरा कर रहे हैं। कुल मिलकार यदि नाट्य आयोजन की शैली में कहा जाए तो स्टेज में कलाकार भाजपा में है और बेक स्टेज की पूरी जिम्मेवारी संघ संभालता जा रहा है। इन सभी गतिविधियों के होने के बावजूद पार्टी में आंतरिक असंतोष एक दूसरे के प्रति ईष्र्या की भावना प्रबल है। जिसका एहसास दीपक जोशी और धु्रव नारायण सिंह जैसे भाजपा नेताओं के पलायन से सिद्ध होता है। इसके बावजूद भाजपा का यह दावा है कि सरकार उसी की बनेगी राजनीति की प्रक्रिया क्या होगी इस पर भाजपा पूरी तहर मौन है। इतना ही नहीं अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर पार्टी में संनाटा छा जाता है। यही एहसास दिलाता है कि आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा के लिये कितने महत्वपूर्ण है और राज्य की राजनीति में उसका कितना व्यापक असर पड़ने वाला है।