(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
कांग्रेस की अखिल भारतीय स्तर की नेता श्रीमती प्रियंका गांधी, आगामी 12 जून से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में चुनाव अभियान का संचालन करने का दायित्व अपने हाथ में ले रही हैं। ऐसी सूचना विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिये कांग्रेस के प्रत्येक कार्यकर्ता तक पहुंच रही हैं। कांग्रेस के पक्ष में श्रीमती प्रियंका गांधी का यह अभियान जबलपुर से प्रारंभ होना बताया गया है। प्रियंका गांधी महाकौषल के इस गढ़ में रोड शो और जनसभा करने जा रही हैं। इस प्रस्तावित अभियान से मध्यप्रदेश के कांग्रेसजनों का हौसला और उत्साह निश्चिततौर पर बड़ा है।
प्रियंका गांधी का मध्यप्रदेश में पड़ाव मध्यप्रदेश की बिखरी हुई कांग्रेस को एकजुट कर, कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरने और व्यक्तिगत स्वार्थ की राजनीति कर रहें वरिष्ठ नेताओं के स्थान पर सक्रिय और कर्तव्यनिष्ठ छोटे कार्यकर्ताओं तक एक संदेश पहुंचाना है। राजनीति को जानने वाले यह स्वीकार करते है कि इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए केवल उन्हीं परिस्थितियों आसान और विजय योग्य होगा, जब कांग्रेस के वरिष्ठ प्रादेशिक नेतृत्व द्वारा नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में धोखाधड़ी की जाय। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की राजनीति संगठन के पक्ष में नहीं चलती, यहां की राजनीति अपनी पुश्तैनी दुश्मनी को निभाने के लिऐ अपनी आने वाली पीढ़ी को श्रेष्ठ साबित कर उसे मुख्यमंत्री बनाने की आंकाशा के साथ संचालित होती है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में बैठा हुआ श्रेष्ठ युवा नेतृत्व कांग्रेस की नेताओं की भीड़ में शामिल होने से कहीं पीछे रह जाता है। प्रियंका गांधी यदि अपने प्रवास के दौरान हवाई यात्राओं के जरिये आसमान से मध्यप्रदेश को नापेगीं तो उसका कोई अर्थ नहीं होगा। प्रियंका गांधी यदि अपने स्वाभाविक रूप में मध्यप्रदेश की राजनीति में स्वार्थी तत्वों के मंसूबो को दर किनार कर निकम्में और आधारहीन नेताओं से पल्ला छुडाकार आम मतदाता को स्पर्श कर सकेंगी तो राजनीति का रूप बदल जायेगा। 
महाकौषल क्षेत्र से यदि यह प्रयास प्रारंभ होता है तो यह नहीं भुलना चाहिए कि महाकौषल का एक बड़ा भू-भाग आदिवासी अंचल के रूप में पहचाना जाता है। सिर्फ छिन्दवाड़ा को ही आदिवासी जिला बताकर यदि प्रियंका गांधी की गतिविधियों को सीमित कर दिया जायेगा तो इस पूरे अभियान का लाभ कांग्रेस को नहीं मिल सकेगा। 
मध्यप्रदेश की यह राजनैतिक परम्परा रही है कि बड़े नेता कृतिम रूप से पैदा किये हुये अपने समर्थकों की एक बड़ी लोबी को आने वाले किसी विशिष्ट व्यक्ति के पक्ष में माहौल बनाने के लिये सक्रिय कर देते हैं। कृतिम तौर पर पैदा किया हुआ यह आधारहीन तंत्र प्रदेश की राजनीति को बदलने की चाहत रहने वाले किसी भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का भ्रम में डाल देता है। आज घोषित किये गये अनुमानित कार्यक्रम के अनुसार वरिष्ठ स्वार्थी नेताओं का यह भ्रम जाल सक्रिय हो चुका है। अलग-अलग कार्यक्रम और आयोजनों के माध्यम से प्रियंका गांधी के इस प्रवास को भी अधूरा बनाये रखने की पूरी कोशिश की जायेगी। इतना ही नहीं उम्मीदवारों के तौर पर श्रेष्ठ का चयन करने के स्थान पर अपने घटिया प्रत्याशी को सर्वश्रेष्ठ बताकर विधानसभा चुनाव में एक नया वातावरण तैयार किया जायेगा।
प्रियंका गांधी को मध्यप्रदेश में प्रवास के दौरान, मध्यप्रदेश जानने वाले और यहां की राजनीति को वास्तविक रूप से समझने वालें सहयोगियों की आवश्यकता होगी, जो कांग्रेस में रहते हुये भी पिछले पांच वर्षो से निश्क्रियता बनाये हुये हैं। यह तय है कि प्रियंका गांधी के माध्यम से आला कमान द्वारा किया जा रहा यह प्रयास, भाजपा को ओर चिंता में डाल देगा। यह कुछ ऐसा ही है कि सुलगती हुई चिंगारी के ऊपर कांग्रेस अचानक पेट्रोल फेंक देगी और भाजपा का सम्पूर्ण अस्तित्व चुनाव के पूर्व से ही घबराता नजर आयेगा। वैसे भी भाजपा से पलायन करने वाले संभवित लोगों की संख्या इन दिनों तेजी से बढ़ रही है। कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले नेताओं की संख्या की तुलना में यह संख्या दोगुना से अधिक है। कांग्रेस यदि इस समय ईमानदारी के साथ प्रियंका गांधी की राज्य में चुनाव के दौरान उपस्थिति को भुना सकें तो इसमें संदेह नहीं होना चाहिये कि इस चुनाव के बाद कांग्रेस एक बेहतर भविष्य की ओर आगे कदम बढ़ा सकेगी। प्रियंका गांधी का यह प्रवास उन कांग्रेसियों को भी आवाज दे देगा जो प्रभावशील होने  के बावजूद हाशिये पर डाल दिये गये है और कांग्रेस मध्यप्रदेश के सभी क्षेत्रों में केवल एक चाणक्य के बनाये हुये माया जाल में फ़सकर अपनी विजय की कल्पना कर रही है।