(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश के राजनैतिक दलों में, चुनाव के करीब आने के साथ-साथ एक प्रतिस्पर्धा एक असंतोष को लेकर चल रही है। भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कारण पार्टी में किया गया बालात प्रवेश असंतोष का प्रमुख कारण बन रहा है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, संघ और भाजपा की परम्पराओं की दुहाई देकर अपने दावों को छोड़ना नहीं चाहते। पार्टी में लम्बें समय तक मुख्यमंत्री के पद पर किसी एक व्यक्ति को बिठाये रखने की जो परम्परा शुरू हुई है, वह भी असंतोष का मुख्य कारण बनी हुई है। पार्टी के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके कुछ चहेते अधिकारियों और परिवारजनों के ऊपर वित्तीय अनियमितता तथा अधिकारों के दुरूपयोग का आरोप लगातार लगा रहें हैं।
भाजपा के इन वरिष्ठ नेताओं को यह उम्मीद है कि सिंधिया समर्थक आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के समर्पित नेताओं के अधिकारों पर अतिक्रमण करेंगे। यह आरोप भी लगातार लगाये जा रहे है कि कांग्रेस छोड़कर 45 महीने तक सत्ता का सुख भोगने वाले सिंधिया समर्थक अभी तक पार्टी द्वारा स्थापित मापदण्ड के अनुरूप काम करने में सफल नहीं हुये हैं। इसके ऊपर की ओर बढ़ने वाले कार्यकर्ता, भाजपा के साथ अचानक मिश्रित हुई कांग्रेस संस्कृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहें हैं। यह भी आरोप है कि सिंधिया समर्थकों के कारण जिलों में भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के अधिकरों का हनन हुआ है। कुल मिलाकर 45 माह तक भाजपा पार्टी सत्ता में बनी जरूर रही, पर अनाधिकृत अतिक्रमण के कारण बदली हुई पार्टी संस्कृति ने एक असंतोष को जन्म दे दिया हैं। 
राष्ट्रीय स्वयं संघ और भाजपा संगठन यह नहीं समझ पा रहें है कि इन परिस्थितियों को किस तरह सम्भाला जाए। अधिकारों से दूर पुराने कार्यकर्ता और नेता जिस स्थिति की वापसी चाहते है वह सिंधिया समर्थकों की उपस्थिति में संभव नहीं है। कहां तो यह भी जाता है कि सिंधिया की उपस्थिति के बावजूद इस बार ग्वालियर का क्षेत्र भाजपा के लिए उतना सुरक्षित नहीं है जितना उसे होना चाहिए था।
दूसरी ओर कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं को एक बार पुनः सक्रीय करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के भरोसे अगले विधानसभा चुनाव को समाने देखकर, कमलनाथ अब अपने अनुभव के आधार पर अन्य नेताओं को भी प्राथमिकता दे रहें है। राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर अलग-अलग वचन पत्र जारी किये जाने की सम्भावनाओं को खोजी जा रही है। जिससे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेता आम आदमी के करीब पहुंच सकें। इन बदली हुई कांग्रेस को यह आभास है कि राज्य में राजनैतिक माहौल उसके पक्ष में हो सकता है। पंरतु इसके लिये यह जरूरी है कि पार्टी वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बेबाक बयानों पर सही समय पर रोक लगा सकें। कांग्रेस ने इन चुनावों में अंतः सेवा दल की मदद लेने का जो निर्णय लिया है उससे कम से कम जिला और ब्लाक स्तर तक कांग्रेस की गांधी टोपियां कांग्रेस के सक्रीय होने का आभास दिला सकेगी। इसके बावजूद जिन मुद्दों पर फिलहाल कांग्रेस को पहुंचना है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण जिला और ब्लाक स्तर के कार्यकर्ताओं के मध्य राजनैतिक अनुशासन और प्रतिदिन नये मुद्दों की खोज करके उन्हें जन आंदोलन बनाने की प्रेरणा देना शामिल है। राजनैतिक को जानने वाले मानते है कि आगामी चुनाव में भाजपा से अधिक मजबूत स्थिति कांग्रेस को देखते है। इसके साथ ही कमलनाथ के स्पष्ट निर्णय लेने की क्षमता और निर्विवाद छवि मददगार सिद्ध हो सकती है।