(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश के आगामी चुनाव के लिये, यदि कांग्रेस के अंदर माहौल सामान्य नहीं है तो भाजपा भी अंतरविरोध से अछूती नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ मंत्री एवं संगठन के महत्वपूर्ण व्यक्ति दबी जुबान में इस तथ्य को स्वीकार कर रहें हैं कि पिछले चार चुनाव से जो माहौल क्रमशः पार्टी के पक्ष से घटता गया हैं उसका व्यापक प्रभाव इन चुनाव के दौरान देखने को मिल सकता है। भाजपा के जानकार नेताओं का मत है कि चुनाव को देखते हुये मुख्यमंत्री लगातर सार्वजनीक मंचों से जनहितकारी और लोक लुभावन घोषणाएं कर रहें हैं। परंतु प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि जनता को यह विश्वास दिलाया जा सकें कि चुनाव जीतने के तुरंत बाद भाजपा अपनी इन घोषणाओं को तत्काल पूरा कर सकेगी। भाजपा के नेताओं का यह मत है कि लगातार सरकार चलने के बावजूद छोटे कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के मध्य एक दुर्भावना का वातावरण निर्मित हुआ है। 
राजधानी में लगातार प्रवास करने वाले नेता अब कद में इतने बडें हो गये हंै कि उनके द्वारा अर्जित की गई धनसम्पदा और अहंकार आम कार्यकर्ताओं के पहुंच से बहुत दूर हो चुका है। दूसरी ओर भाजपा में उन लोगों ने अपनी पकड़ अधिक मजबूत बनाली है, जिनका दल के सिद्धांतों और संस्कारों से कोई वास्ता नहीं है। वे व्यवसायिक रूप से एक चलती हुई सरकार के साथ बेहतर सामंजस्य बनाकर स्वयं का व्यवसाय कर रहें हैं और अपने आप को वर्षो से समर्पित भाजपा कार्यकताओं से कहीं अधिक प्रभावशील दिखा रहें है।
भाजपा में संगठन की गतिविधियां घोषित तो बड़ी मात्रा में होती हैं, परंतु अब इन्हें पूरा करने के लिये कार्यकर्ताओं की जिम्मेवारी तक जिम्मेवारियां नहीं भेजी जाती। संगठन के नेता भी सत्ता के साथ चलते हुये अब ऐसा व्यवहार करने लगे है कि कार्यकर्ताओं के लिये भाजपा मुख्यालय कर्मक्षेत्र न होकर एक भव्य महलनुमा इमारत रह गया है। 
भाजपा के नेताओं का मानने कि वो तो भला हो कांग्रेस का जहां स्वयं प्रादेशिक नेता अपने-अपने स्वार्थ के लिये राजनीति की संरचना कर रहे हैं और भाजपा की किसी भी गतिविधि पर उनका कोई अंकुश नहीं है। कुछ कागजी बयानों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस की ओर से ऐसा कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया जा रहा जो भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को अपनी नाव छोड़ने के लिये प्रेरित कर सकें। कांग्रेस की इसी कमजोरी का भाजपा को हर कदम पर लाभ मिल रहा है। वास्तविक स्थिति यह है कि जमीनी नेता के आभाव में योजनाविहिन कांग्रेस भाग्य के भरोसे भाजपा को गालियां देते हुये विजय की एक स्वाभाविक कल्पना कर रही है। भाजपा की सरंचना इन दिनों इस कदर चरमराई हुई है कि आंतरिक और बाहरी दोनों ही समन्वय कर पाने में दल अपने आपको सक्षम नहीं पा रहा है। प्रदेश में एक मात्र प्रभावशील नेता के रूप में मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान है जिनकी बनाई हुई नीतियों को स्वीकार करना भाजपा जैसे दल की नियती हो चुकी है। भाजपा की इस अग्निवेशशील और गैर व्यवहारिक राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को झाबुआ और अलीराजपुर का प्रभाव सौपना है। हर राजनेता जानता है कि भील बाहुल्य क्षेत्र में गोंड आदिवासियों का प्रभाव नही के बराबर है। फिर भी भाजपा एक अभिनव प्रयोग करने जा रही है जिसके परिणाम संभवतः इस क्षेत्र परिणामों के साथ भाजपा को भुगताने पड़ेंगे।