(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के 85वें सम्मेलन में आज मध्यप्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ द्वारा दिया गया उद्बोधन, मध्यप्रदेश की राजनीति के भविष्य की योजना को बहुत हद तक स्पष्ट करता है। कमलनाथ ने अपने भाषण में पार्टी के मूल सिद्धांतों के संरक्षण और वर्धन के लिये, पूर्व गतिविधियों एवं वर्तमान के तर्कों के अलावा भविष्य की एक संगठित राजनीति की ओर संकेत किया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के विधानसभा के चुनाव बहुत करीब है, और इन स्थितियों प्रदेश का प्रत्येक कार्यकर्ता यह जानना चाहता है, कि आगामी चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश की संगठन की भूमिका और मार्गदर्शन किस तरह का होगा।
कमलनाथ ने अपने उद्बोधन में कार्यकर्ताओं की सक्रियता को अधिक बलवती बनाने के साथ-साथ कांग्रेस के संसकारों और आज़ादी के बाद से लेकर आज तक कांग्रेस द्वारा तय किये गये लोकतांत्रिक मार्ग का जिक्र किया। कमलनाथ का भाषण धार्मिक कट्टरता से दूर एक ऐसे समाज की रचना की ओर इशारा करता है, जिसकी परिकल्पना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा की गई थी। कमलनाथ ने अपने उद्बोधन में धर्म, कर्म और व्यवहार के आचरण को संतुलितकर आम मतदाताओं तक कांग्रेस की पहुंच को बनाने के लिये एक रास्ता तैयार करने की बात कही है। एक लम्बे समय के बाद ऐसा महसूस होता है, कि कमलनाथ खुल कर बोले है। उनके भाषण के दौरान उनकी चरित्रगत विशेषता सामने आयी है, जो कमलनाथ आज मंच पर बोल रहे थे वे स्वतंत्र थे। किसी राजनैतिक षंड़यंत्र के भागीदार नहीं थे और ना ही उन पर किसी का प्रभाव नज़र आ रहा था।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में युवाओं को प्राथमिकता देने की बात की गई। परंतु मध्यप्रदेश के युवाओं में नेतृत्व की कमान दिग्विजय सिंह के पुत्र, कमलनाथ के पुत्र और कांतिलाल भूरिया के पुत्र के हाथों में ही सीमित दिखी। सम्मेलन के दौरान सामान्य कार्यकर्ता के रूप में सज्जन सिंह वर्मा द्वारा दिया गया बयान इस दौरान चर्चा का केन्द्र रहा। जिसमें कोई पद न मिलने की दशा में उनकी हम्माली करने की मजबूरी स्पष्ट रूप से सामने आयी। इस माह अधिवेशन के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस कितनी संयुक्त होकर किस हद तक, आम आदमी की रसोई तक, अपना प्रभाव स्थापित कर पाती है इसका परीक्षण होगा। वैसे मध्यप्रदेश के राजनीति के चाणक्य के रूप में श्री दिग्विजय सिंह  का प्रचार रथ व्यक्तिगत हैसियत से मध्यप्रदेश के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचना प्रारंभ हो गया है। परंतु चिंता की बात यह है कि विजय यात्रा के इस पर्व में उनके भाई लक्ष्मण सिंह ही उनसे अलग खड़े नज़र आते है। हरदा में कार्यकर्ता गुटबाजी के कारण आपस में भीड़ जाते है, तो बुदनी में कुछ समय पहले विरोध पैदा करने वाले बयान को दोहराकर दिग्विजय सिंह, कमलनाथ का ही नेतृत्व सरकार बनने के बाद होने की विवादास्पद घोषणा कर देते है। मध्यप्रदेश की राजनीति से कुछ नेताओं का लुप्त हो जाना षड़यंत्रकारियों के लिये सफलता है, और कांग्रेस के लिये आने वाले समय में नये दुर्दिन की शुरूआत मानी जा सकती है। केन्द्रीय नेतृत्व के हमेशा उपेशा झेलने वाले मध्यप्रदेश को अब यदि सहारा है, तो अखिल भारतीय अखिवेशन में कमलनाथ द्वारा दिये गये उद्बोधन का, जो यदि 50 प्रतिशत भी मैदान पर व्यवहारिकता का जामा पहनता है तो कांग्रेस की दिशा सुधर सकती है। वैसे भी कांग्रेस इस भ्रम में है कि भाजपा से नाराज मतदाता आखिर उसे छोड़कर और किसे वोट देगा, बस यही तथ्य और सोच कांग्रेस के भविष्य की जीत का आधार है।