(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में विधानसभा के निर्वाचन की तिथि करीब आती जा रही है, हर दिन आने वाले पांच साल के लिये नई सरकार की संरचना कर रहा है। वास्तव में किसी भी राजनैतिक दल के लिये, यह समय मूल्यवान और भविष्य के संरक्षण के लिये मजबूत योजना बनाने और क्रियान्वयन का होता है। सरकार में होने के बावजूद भाजपा अगले चुनाव के लिये एक प्रभावशील और अधिकार सम्पन्न तंत्र के साथ प्रति दिन आगे सरक रही है। यह बात अलग है कि दल का आंतरिक विरोध उसके लिये चिंता का विषय बना हुआ है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में भी गुजरात मॉडल के प्रयोग की संभावना भाजपा को राजनैतिकरूप से स्थिर नहीं होने दे रही। अंतर विरोध का एक बहुत बड़ा पक्ष उमा भारती के रूप में भाजपा के सामने आ खड़ा हुआ है। अब मजबूरी यह है कि उमा भारती की जिद के आगे या तो राज्य सरकार झुके और अपने शराब से मिलने वाले राजस्व का नुकसान करें या शराब लॉबी को नाराज करके मध्यप्रदेश के अगले चुनाव में एक बड़ा खतरा मोल लें।
राजनीति के जानने वालों का यह मत है, कि उमा भारती का भगवा वस्त्रों में एक नया राजनैतिक मंच खोलना यह संकेत करता है, कि अंतिम क्षणों में भाजपा को भी किसी बड़े विस्फोट से राज्य स्तर पर गुजरना होगा। जिसका पूर्वाभास होते ही वर्तमान प्रभावशाली वर्ग कूटनीति के माध्यम से उमा के इस अभियान को ठंडा कर देना चाहता है। भाजपा हाईकमान प्रदेश में चुनावी बिसात को रोकने में अपने निर्णयों का सहारा ले रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री अपनी लगभग 20 साल की सत्ता को बचाने के लिये प्रयासरत है। पर इन गोपनीय रिपोर्टो का वे कुछ नहीं कर सकते, जो उनके लगातार शासन के परिणाम स्वरूप भाजपा की हार को प्रदर्शित कर रहे है।
दूसरी तरफ, हमेशा की तरह कांग्रेस राज्य में घिसट-घिसट कर चल रही है। कमलनाथ के अलावा राज्य में अन्य कोई नेता कांग्रेस के पक्ष में नाम मात्र को भी सक्रिय है ऐसा नजर नहीं आता। पदाधिकारियों का परिवर्तन करके, अपने लोगों को बिठाने का सिलसिला यह संकेत कर रहा है, कि मध्यप्रदेश की राजनीति के रेगिस्तान में कांग्रेस बर्फ में स्कीनिंग करने का स्वप्न देख रही है। आश्चर्य तो यह है कि 45 माह तक सत्ता खोने के बाद भी निष्क्रिय रही कांग्रेस के इस मुर्दे में अभी भी लेश मात्र भी हलचल नजर नहीं आती, न कोई आंदोलन है, ना ही कोई जुलूस ना ही राज्य के किसी भाग में किसी सभा सम्मेलन की कोई आहट। पूरा प्रदेश मृत पडे़ हुये संगठन के नेतृत्व में केवल सपनों का संसार बसा के बैठा है, कि भाजपा अपनी मौत मरेगी और प्रदेश का मतदाता कांग्रेस के अलावा जायेगा कहां। 
विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस को जमीन में दिखना चाहिये था, परंतु कम्प्यूटर की दुनिया में खोये हुय कांग्रेसी प्रतिदिन अपने राजनैतिक विडियो गेम में एक युद्ध की रचना करते है, और उसमें विजयी होकर स्वयं फूल माला से लदा हुआ सत्ताधारी मान लेते है। 
एक ओर भाजपा का मुख्यमंत्री, अब राजधानी के दौरे पर आता है। दूसरी ओर विपक्ष के नेता राजधानी को छोडिये पूरे प्रदेश में हफ्तों तक अपना चेहरा दिखाने को तैयार नहीं होते। जानकारों के अनुसार विन्ध्य, महाकौशल, निमाड और ग्वालियर क्षेत्र में सभी सम्भावनाओं के अनुकूल होने के बाद भी हर दिन कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है, बड़े नेता या तो दिल्ली में या अपने घरों में कैद है। राज्य के इतिहास में चुनाव की इतनी  अभूतर्पूव तैयारी कभी नहीं देखी गई। जहां सरकार चलाने वाला अपनी विजय के प्रति घोर शंका में है और विपक्ष की धूल फाक रहे लोग कल्पना लोक में गैंदे और गुलाब की माला की खुशबू लगातार महसूस कर रहे है।