(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
पिछले पांच वर्षो से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की राजनीति को धार्मिक बनाने और कांग्रेस की सफलता के लिये तंत्र विज्ञान की पूजा को प्रमाणिक बनाने वाले कांग्रेस के दो महासंत इन दिनों राजनीति से पूरी तरह बाहर है। तांत्रिक मिर्ची बाबा, तांत्रिक कम्प्यूटर बाबा सहित जंगलों में बने हुये अपने आश्रमों में धार्मिक क्रियाओं में संलग्न, 10 से अधिक बाबाओं ने कमलनाथ की सरकार को विजय दिलाई थी, और 15 महीनों तक उसके सफल संचालन में बकायदा राज्यमंत्री का पद लेकर तंत्र के राजनैतिक प्रभाव को प्रदर्शित किया था। 
इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में तांत्रिक बाबाओं और उनके अनुष्ठान की भारी कमी दिख रही है। एक समय वह भी था, जब राज्य की राजनीति का निर्धारण तांत्रिक बाबाओं के दिशा निर्देश पर किया जाता था। मध्यप्रदेश की राजनीति में खुले रूप में तंत्र के प्रदर्शन की यह पहली घटना थी, जिसे मध्यप्रदेश की कांग्रेसी राजनीति के पितृ पुरुष राजा दिग्विजय सिंह जी द्वारा पोषित किया गया था। धीरे-धीरे इस महत्व को कांग्रेस ने भी समझा, और तंत्र का मायाजाल कमलनाथ जी के भी तेज में वृद्धि करने के काम आने लगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय से लेकर मध्यप्रदेश के प्रशासनिक तंत्र और राजनैतिक सिस्टम में मिर्च से उपयोग किये जाने वाले तांत्रिक प्रयोग प्रभावशाली सिद्ध हो रहे थे। इन प्रयोगों को करने वाले सिद्ध तांत्रिक कार्य सिद्ध न होने की दशा में स्वयं जल समाधि लेने की घोषणा कर रहे थे। वास्तव में यह काल मध्यप्रदेश में कांग्रेस के हिन्दू बनने का कहा जा सकता है। इन तांत्रिक प्रयोगों से कांग्रेस की सरकार 15 महीने बाद ही स्वयं को बचाने में सफल नहीं हो सकी।
परंतु यह प्रयोग बंद नहीं हुये, अलग-अलग स्थानों से सिद्ध तांत्रिकों द्वारा कांग्रेस के उत्थान के लिये निरन्तर प्रयास किये जाते रहे। यह बात अलग है कि इन प्रयासों के तेज होने के साथ-साथ ही, राज्य में कांग्रेस क्रमशः कमजोर और अस्तित्वहीन होती गई। 
हिन्दू धर्म की परम्पराओं, मान्यताओं और पूजा पद्धति का लोकतंत्र में सहारा लेने का आरोप भाजपा पर हमेशा लगता रहा। पर कांग्रेस ने जिस तरह से इस समूची प्रक्रिया में अपना प्रभाव स्थापित किया था, वह भाजपा के लिये भी चिंता का विषय बन चुका था। कम्प्यूटर बाबा और मिर्ची बाबा के अतिरिक्त अन्य कई साधु, सन्यासी भी भूमि के गर्भ से भी अचानक प्रगट हुये, और अपना प्रभाव स्थापित करने के लिये इनके मध्य ही एक नये संघर्ष का जन्म भी हुआ। आम हिन्दू मतदाता, पाखण्ड की इस नौटंकी को भली-भांति देख रहा था और समझ रहा था, उसके लिये यह समझना मुश्किल नहीं था। भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति की ओर अपने अस्तित्व को बचाने के लिये बढ़ चली है। 
वर्तमान में मध्यप्रदेश की कांग्रेस की राजनीति में तांत्रिक क्रियाओं में लिप्त महायोगी की अंतिम उपस्थित का प्रमाण राहुल गांधी की मध्यप्रदेश की पद यात्रा के समय में मिलता है। जब राज्य के महायोगी कम्प्यूटर बाबा ने श्री दिग्विजय सिंह की उपस्थिति में राहुल गांधी को कर्म का ज्ञान सड़क में चलते-चलते दिया था। वास्तव वह ज्ञान कितना पूरा था और उस ज्ञान के कारण, मध्यप्रदेश में अपने राजनैतिक प्रभाव को कौन-कौन सा नेता अधिक मजबूत कर पाया इस पर शोध जारी है। कम्प्यूटर बाबा के साथ रास्ते में चलते हुये राहुल गांधी को यह जरूर ज्ञात हो गया होगा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस ने हिन्दू धर्म की राजनीति को कितना सरल और सहज बना लिया है। जहां इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के नामधारी महात्मा राष्ट्र की चेतना के लिये कांग्रेस के साथ चलने को बाध्य है। वास्तव में संत शिरोमणियों के आभाव में मध्यप्रदेश की राजनीति कहीं दिशाहीन न हो जाए डर इस बात का है। वैसे भी कश्मीर में कांग्रेस की यात्रा को दफन करके मध्यप्रदेश के नेता वापस अपने राज्य में प्रगट होने वाले है। उम्मीद की जानी चाहिए कि तंत्र विज्ञान का व्यापक प्रभाव 2023 में पुनः कार्यकर्ताओं के निश्क्रिय होने के बाद भी कांग्रेस को प्रचंड विजय की ओर ले जायेगा।