(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमण्डल में फेरबदल के संकेत मिलने शुरू हो गये है। लगभग 20 वर्ष पूरे कर चूकी शिवराज की सरकार ने राज्य में इतने लम्बे समय तक एक ही मुख्यमंत्री के सत्ता में रहने का ऐसा रिकार्ड कामय कर लिया है जिसे संभवतः भविष्य में कोई चुनौती दे सकें। इस बार के मंत्रिमण्डल पुर्नगठन की संभवित सूची में सिंधिया समर्थकों पर बिजली गिरने की सम्भावना अधिक बताई जा रही है। वैसे भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गये सिंधिया समर्थकों को 45 महीनें बाद भी एक सहज अनुभूति नहीं हो रही है। मध्यप्रदेश मंत्रिमण्डल में फिलहाल 04 पद खाली है। 
यह उम्मीद बताई जा रही है कि नानपरफॉर्मेंस के चलते मौजूदा मंत्रियों में से लगभग 10 की छुट्टी की जा सकती है। यदि केबिनेट के जातिय समीरण को देखा जाय तो वर्तमान मंत्रिमण्डल में 30 प्रतिशत क्षत्रिय, 25 प्रतिशत पि.वर्ग शामिल है। शिवराज मंत्रिमण्डल का 03 साल में तीसरी बार विस्तार किया जा सकता है। नानपरफॉर्मेंस वाले मंत्रियों में विवादास्पद सिंधिया समर्थक गोविन्द सिंह राजपूत के अलावा अन्य मंत्री शामिल है। 
शिवराज मंत्रिमण्डल के पुर्नगठन की संभावना के पूर्व इस बात पर भी विचार किया जा रहा है, कि गुजरात फार्मूले के तहत क्या मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों का परिवर्तन किया जाए, और 20 वर्ष की सरकार के दौरान कार्य को लेकर पैदा हुई विसंगतियों को ढांक दिया जाए। इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने है, यह चुनाव पिछलें वर्षो में हुये चुनाव से अलग होगें। जब भाजपा को दल के अंदर ही भारी अंतर्विरोध का सामना करना होगा। वर्तमान में भी बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता और नेता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों की गतिविधियों एवं योजनाओं से सहमत नहीं है। दूसरी ओर सिंधिया समर्थक मंत्रियों द्वारा हो रही उपेक्षा भाजपा के लिये चिंता का विषय है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि विभिन्न क्षेत्रों के प्रभावशील नेताओं को जो लम्बे समय से उपेक्षित है, को सक्रिय कर कार्यकर्ताओं के मध्य पुनः कैसे सक्रिय किया जाय। स्वयं मुख्यमंत्री के विरूद्ध सार्वजनिक तौर पर कई बार अवैध सम्पत्ति अर्जित करने संबंधी दस्तावेज सोशल मीडिया और टीवी चैनल के माध्यम से प्रसारित होते रहते है। इन तथ्यों का प्रसारण समय यदि गौर किया जाए तो इस तरह का कैम्पेन तब चलाया जाता है जब राष्ट्रीय स्तर की कोई बड़ी गतिविधि राज्य में संचालित होने वाली हो।
सिंधिया समर्थक मंत्रियों को हटाकर अन्य सिंधिया समर्थकों केबिनेट में स्थान दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रभाव का तुल्नात्मक अध्ययन भी बहुत कुछ संकेत देता है। भाजपा का हाई कमान मध्यप्रदेश के चुनाव को गंभीरता से ले रहा है। किसी भी स्थिति में हाई कमान इस राज्य को खोने के लिये तैयार नहीं है। इसलिए भाजपा सर्वेक्षणों के अलावा 5 फरवरी से 25 फरवरी के बीच विकास यात्राएं निकालने जा रही है। 
इस बार के पुर्नगठन में विन्ध्य क्षेत्र, महाकौशल क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दिये जाने के संकेत मिल रहे है। इसके साथ ही लम्बे समय से मंत्री रहे कुछ सदस्यों को जिनका आचरण जनविरोधी और कार्यकर्ता विरोधी माना गया है, को मंत्रिमण्डल से मुक्त भी किया जा सकता हैं। वास्तव में यह फेरबदल आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाना है। देखना यह है कि भाजपा गुजरात फार्मूले के तहत मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमण्डल को बदलने की ओर बढती है या केवल मंत्रिमण्डल में परिवर्तन करके 20 वर्षो के क्रियाकलाप पर  पुनः रंग-रोगन करती है।