(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
इंदौर में आयोजित अप्रवासी भारतीयों के सम्मेलन में मध्यप्रदेश में खुलकर भारत के विदेशी अतिथियों का उनके ही देश में स्वागत किया। दावे चाहे कितने लाख करोड़ के व्यावसायिक अनुबंध के किये जाये हर व्यक्ति जानता है, कि दावे में व्यक्त की गई राशि का दस प्रतिशत भी यदि मध्यप्रदेश में आ जाये तो बड़ी उपलब्धि होगी। अप्रवासी भारतीयों का स्वागत के परम्परा के बिच कई अतिथियों को उचित सम्मान न मिलने की शिकायत भी दर्ज हुई। यहां तक कि कई अतिथि तो कार्यक्रम के चलते ही बिना किसी गतिविधि में भाग लिये हुये वापस भी हो गये।
इतने बड़े आयोजन में छोटी-मोटी अराजकता का होना स्वाभाविक है। पर जब यह पता था कि आने वाले अतिथियों की संख्या कितनी है, तब एक छोटे हाल को कार्यक्रम स्थल बनाना कितना उचित था। बताया तो यह जाता है कि मध्यप्रदेश में प्रभावशील कई बड़े नेताओं के परिवारजन जो विदेश में अपना व्यवसाय संचालित कर रहे हैं। इस आयोजन के दौरान अतिथि बनकर उपस्थित हो गये। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के काबिल अधिकारियों, राजनेताओं जिनका भले ही इस आयोजन से कोई लेना-देना न हो, अतिथियों की उपेक्षा का कारण बन गये। कार्यक्रम में भाग लेकर लोटे कुछ अतिथियों का दावा है कि अपने परिवारजनों को एक माह का विज़ा दिलवाकर उन्हें निःशुक्ल यात्रा की सुविधा देकर अप्रवासियों के नाम पर एक भीड़ जोड़ी गई। इस भीड़ का संबंध व्यवसाय से नहीं था और ना ही यह भीड़ किसी व्यापारिक अनुबंध को करने के लिये मध्यप्रदेश आई थी। 
केन्द्र सरकार ने इस आयोजन में हुई अराजकता को आलोचना मानकर गंभीरता से लिया है। सत्ताधारी दल के उन नेताओं को जिन्होंने अपने विदेशी रिश्तेदारों को प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में प्रवेश दिलाकर अपने राजनैतिक रसूख को बनाने की कोशिश की है कि गतिविधियों को जांच के दायरे में माना है। इस तरह के मेहमानों ने प्रधानमंत्री के आगमन के पूर्व आगे की सीटों पर कब्जा कर लिया और पूरा हाल भर गया। लिहाजा सुरक्षाकर्मियों ने अन्य सामान्य आमंत्रित अतिथियों को बाहर ही रोक दिया जिससे वे नाराज हो गये थे। 
सूचना के अधिकार के तहत अब राज्य शासन से उक्त आयोजन के संदर्भ में अलग-अलग माध्यमों से कई जानकारियां मांगी गई है। इसमें कार्यक्रम के दौरान सम्पादित किये गये अनुबंध की अलग-अलग एवं कुल राशि का विवरण और अप्रवासी भारतीययों को मध्यप्रदेश तक लाने और छोड़ने की व्यवस्था में किये गये खर्च की जानकारी शामिल है। प्रथम जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में हुआ यह आयोजन लगभग 200-300 करोड़ रूपये के मध्य पूरा किया गया। राज्य शासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश के अग्रणी उद्योगपतियों अम्बानी, अडानी, बिड़ला सहित कई समूहों के साथ बड़े-बड़े अनुबंध हस्ताक्षरित किये गये। पिछले वर्षो में आयोजित की गई इसी तरह की गोष्ठियों में हस्ताक्षरित किये गये अनुबंधों का अभी तक का कोई पता नहीं है, और ना ही राज्य में किसी बड़े औद्योगिक समूह ने विशेष रूची के साथ अपने नये उद्योग लगाने की पहल की है।
कुल मिलाकार इंदौर में हुआ यह आयोजन एक झांकी की तरह था। जिसमें मध्यप्रदेश को सर्वाधीक खुशहाल और विकसित राज्य दिखाने की कोशिश की गई। यह बात अलग है कि आयोजन के सम्पन्न होने के साथ ही कल तक लंदन दिख रहे इंदौर से तम्बू और कनातों को समेटा जाना तत्काल प्रारंभ हो गया। हरे रंग के पेंट से पोती गई सुखी घास एकाध सप्ताह के अंदर ही अपने वास्तविक स्वरूप में आ जायेगी। सिर्फ यादें रह जायेंगी कि एक सप्ताह के लिये ही सही इंदौर ने अपने स्वरूप को विदेशों की संस्कृति के अनुरूप ढाल लिया, भले ही आयोजन के दौरान कई विवाद पैदा होते रहें।