हम नंगन के नंग हमारे
आओ सीडी सीडी खेलें

भोपाल (एडवाइजर) : एमपी में इन दिनों एक बार फिर सीडी चर्चा में है। कांग्रेस के दो बड़े नेता कह रहे हैं कि उनके पास एक सीडी है जिसमें बीजेपी के नेता मादा के साथ अपने "मूल स्वरूप" में देखे जा सकते हैं। इस दावे पर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष ने चुनौती दी है कि अगर औकात है तो दिखाओ सीडी! जवाब आया कि घर आ जाओ दिखा दूंगा! मैं सार्वजनिक रूप से ऐसी चीजों का प्रदर्शन नही करता। सरकार के प्रवक्ता ने एक कदम आगे बढ़कर कहा - बुढ़ापे में कांग्रेस के नेता गजल क्यों सुन रहे हैं। भजन सुनना चाहिए!
बीजेपी इससे थोड़ा और आगे बढ़ी! वह बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी को बीच में ले आई। उसके एक प्रवक्ता कांग्रेस नेता को हनुमान चालीसा और भजन की किताब देने पहुंच गए!
दोनों ओर से चल रहे इस वाकयुद्ध ने एक बार फिर एमपी के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड को चर्चा में ला दिया है। करीब तीन साल पहले अचानक सामने आए इस कांड को सरकार और पुलिस ने बर्फ से ढक दिया था। अदालत भी आंख पर पट्टी बांधे बैठी है। लेकिन कड़कड़ाती ठंड में दो बुजुर्ग कांग्रेसी नेताओं के दो वाक्यों ने इस बर्फ को पिघला दिया है। चुनावी साल में सब यह जानना चाहते हैं कि देश में अपने तरह के इस पहले कांड में आखिर क्या हुआ!
आगे बात करने से पहले आपको यह बता दें कि इस कांड में लोकतंत्र के चारो स्तंभ शामिल थे। विधायिका,कार्यपालिका और मीडिया तो बीच खेत खड़े थे! उधर न्याय की देवी की आंखों की पट्टी ने भी सबका भरपूर सहयोग किया। शायद यही वजह रही होगी कि हर स्तर पर इसे भुलाने और दबाने की भरपूर कोशिश हुई। लेकिन कांग्रेस के एक देसी नेता ने इसे उघाड़ दिया।
पहले बात हनी ट्रैप की। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। कमलनाथ सीएम थे। 17 सितम्बर 2019 को इंदौर के पलासिया थाने में नगर निगम के जूनियर इंजीनियर हरभजन सिंह ने यह शिकायत की कि उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है। उन्होंने पुलिस को बताया कि राजनीतिक रसूख वाली एक महिला उनसे तीन करोड़ रुपए मांग रही है। महिला उनकी अश्लील सीडी सार्वजनिक करने की धमकी दे रही है।
हालांकि हरभजन के सामने आने से पहले इस ट्रैप की चर्चा पूरे प्रदेश में थी। लेकिन शिकायत करने की हिम्मत सरदार ने ही जुटाई!
चूंकि इस कांड में अफसरों के साथ साथ बीजेपी नेताओं के नाम आ रहे थे। इसलिए कमलनाथ सरकार ने इसकी जांच के लिए एक सप्ताह के भीतर 23 सितम्बर 2019 को एक एसआईटी बना दी। सरकार शायद ज्यादा जल्दी में थी इसलिए 24 घंटे के भीतर एसआईटी के मुखिया को बदल दिया गया। कुछ समय बाद डीजी स्तर के एक अधिकारी को एसआईटी का चीफ बनाया गया। उन्होंने ही इस पूरे मामले को एक बंद लिफाफे में अदालत को सौंपा।
इस कांड के सामने आने के करीब 6 महीने बाद कमलनाथ की सरकार जाती रही। उसके साथ ही यह मामला भी  दब गया।
उधर पलासिया थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने सागर के एक रसूखदार परिवार की एक महिला को गिरफ्तार किया। एक जमाने में बीजेपी से जुड़ी रही उक्त महिला के साथ करीब आधा दर्जन महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया। ये सभी लम्बे समय तक जेल में रहीं।
जांच के दौरान उनके "उद्योग" और "कारोबार" से जुड़े अनेक किस्से सामने आए। अपने आर्थिक बल के चलते देश की सरकार के फैसलों को बदलवाने की ताकत रखने वाले समाज से जुड़ी इस महिला ने अफसरों और नेताओं के मादा के प्रति प्रेम को समझते हुए एक ऐसा कारोबार खड़ा किया जिसमें लागत शून्य थी और आमदनी बेहिसाब!एक नाम की दो महिलाओं ने अपने उद्योग में अपने पतियों को भी शामिल किया। बड़े पदों पर बैठे अफसर और नेताओं को "सेवा" दी। बदले में जो चाहा सो हासिल किया।
पुलिस जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए उनके मुताबिक सागर की इन दोनों महिलाओं ने सरकारी ठेके दिलाने, मंत्रालय में सरकारी फाइलें क्लियर कराने, मनचाहा तबादला कराने और राजनीतिक फायदा दिलाने के लिए मादा जिस्म का इस्तेमाल किया। साथ में कैमरा भी रखा। इन्होंने करीब दो दर्जन लड़कियों को अपनी कंपनी से जोड़ा और अपने पतियों की मदद से जम कर कमाई की।
जिन दिनों इनका कारोबार तेजी से चल रहा था उन दिनों राज्य में बीजेपी की सरकार थी। इसलिए इनके जाल में ज्यादातर नेता भी बीजेपी के ही फंसे। सांसद विधायक,मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री तक के नाम उछले।खूब चर्चा हुई।
लेकिन सीडी सामने आई कुछ आला अफसरों की। अतिरिक्त प्रमुख सचिव और मुख्यसचिव स्तर के कई अफसरों की कलई खुल गई। कहते हैं कि एक बड़े साहब और एक एमपी साहब तो खुदकशी के कगार पर पहुंच गए थे।
इस उद्योग में भूमिका मीडिया की भी रही। एक आला अफसर, जिनकी सीडी बाजार में घूमी,ने बीजेपी के एक कद्दावर नेता के माध्यम से समझौता करने की कोशिश की। उनके लिए मीडिया कर्मियों ने बिचौलियों का काम किया। उन्होंने इधर से पैसे लिए उधर पहुंचाए।पुलिस की एफआईआर में उनके नाम भी आए।
बताते हैं कि एक आला अफसर ने इंदौर के एक मीडिया मुगल को इसी वजह से नेस्तनाबूद करा दिया क्योंकि वह उन्हें ब्लैकमेल कर रहा था।
उस दौरान तत्कालीन डीजीपी पर भी सवाल उठे। सवाल उन्ही के सहकर्मी ने उठाए। लेकिन सहकर्मी को ही किनारे कर दिया गया। तमाम अटकलों के बीच एसआईटी के तीसरे मुखिया ने इस पूरे कांड के दस्तावेज और सबूत पेनड्राइव और सीडी के साथ एक बंद लिफाफे में अदालत को सौंप दिए।
इस कांड के ठीक 6 महीने बाद कमलनाथ की सरकार चली गई। उनके दो दर्जन से ज्यादा  विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए! सरकार बदलने के साथ ही यह कांड भी अदालत की फाइल और एसआईटी की जांच में दब गया।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक नई सरकार में जांच की गति धीमी हुई। सी आर पी सी की धारा 173(8) के तहत जो चार्जशीट पेश की जानी थी वह अभी तक पेश नही हुई है। कारण अज्ञात है। कोई बताने को तैयार नहीं है। बस इतना कहा जा रहा है जांच चल रही है। इसी बीच गिरफ्तार हुई सभी महिलाएं  जमानत पर जेल से बाहर आ गई हैं।
सरकार गिरने के करीब एक साल बाद कमलनाथ ने 21 मई 2021 को मीडिया के सामने यह दावा किया कि हनी ट्रैप की पेन ड्राइव उनके पास है। इस पर बीजेपी सरकार बिगड़ गई। एसआईटी ने उन्हें तत्काल नोटिस देकर पेन ड्राइव मांगी। उनसे पूछताछ करने की भी बात हुई। लेकिन बाद में वे अपना बयान घुमा गए और बात आई गई हो गई।
लेकिन अब विधानसभा में विपक्ष के नेता डाक्टर गोविंद सिंह ने फिर इस मामले को उठा दिया है। पिछले सप्ताह गोविंद सिंह ने कहा - बीजेपी नेताओं की सीडी मेरे पास है। लेकिन मैं हलकी राजनीति नही करता। इसलिए कुछ नही कर रहा हूं।
इसके दो दिन बाद कमल नाथ ने सतना में मीडिया से कहा कि उन्होंने भी बीजेपी नेताओं को सीडी देखी है। लेकिन उसे सार्वजनिक इसलिए नही किया क्योंकि उससे एमपी की बदनामी होती।
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने बदनामी की बात कह कर सीडी को सार्वजनिक न करने की बात कही है। जबकि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सीडी दिखाने की खुली चुनौती दे रहे हैं। इस बीच भाजपा हनुमान जी को भी इस मामले में ले आई है।
उधर दूसरी ओर विश्वस्त सूत्र कह रहे हैं कि हनी ट्रैप में दोनों ही पक्षों की नसें दबी हुई हैं। बीजेपी के नेताओं ने भी "शहद" चखा है और उस समय के आला अफसरों ने भी। यह "उद्योग" चलाने वाली महिला भी उन सब के बहुत करीब रही थी। वह संगठन की महिला इकाई से भी जुड़ी रही थी। इस कांड के सामने आने से पहले ही उसकी अपने ही ड्राइवर के साथ संबंधों की सीडी सोशल मीडिया में आ गई थी। इस वजह से पार्टी ने उससे दूरी बना ली थी। अगर ऐसा न होता तो कुछ बड़े नेता उसे विधान सभा का चुनाव लड़ाने वाले थे। 
सूत्रों के मुताबिक इस कांड के तार कांग्रेसियों के करीबियों से भी जुड़े हैं। इसी वजह से मामला ठंडा कर दिया गया था। चूंकि गोविंद सिंह खांटी जमीनी नेता हैं इसलिए उन्होंने सीडी अपने पास होने की बात कहकर जिन्न को बोतल से बाहर कर दिया है। कमलनाथ की मजबूरी यह है कि वे अब पीछे नहीं हट सकते हैं। क्योंकि उनके मुख्यमंत्री रहते ही इसका खुलासा हुआ था।
उधर इस मामले की जांच से जुड़े रहे एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि बड़ी संख्या में वीडियो जब्त किए गए थे। यह सब अदालत को सौंप दिए गए थे। उनके मुताबिक बड़े बड़े लोग इस गिरोह के चंगुल में फंसे थे। उन्होंने कमसिन लड़कियों से संबंध बनाने की एवज में बड़े बड़े काम किए थे। उससे इस गिरोह ने करोड़ों की कमाई की थी। इन बड़े लोगों में नेता अफसर और ठेकेदार शामिल थे।
कुल मिलाकर सच्चाई यह है कि भले ही कांग्रेस नेता यह कहते रहें कि सीडी उनके पास है। लेकिन वे न तो उसे सार्वजनिक करेंगे और न ही इस मामले को अंत तक पहुंचाने की ईमानदार कोशिश करेंगे। क्योंकि इस "मादा गिरोह"  के तार कहीं न कहीं दोनो ओर जुड़े हुए हैं।
इसलिए दोनो ही पक्ष बाजू तो चढ़ा रहे हैं लेकिन मीडिया के सामने तक। वैसे वे हम नंगन के नंग हमारे की कहावत को चरितार्थ करते हुए सीडी सीडी खेल रहे हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाहते हैं कि सच सामने आए। लेकिन उन पर अपनों का ही दवाब है। इसीलिए तीन साल से मामला कछुए की चाल चल रहा है। वैसे एसआईटी ने भी जम कर बीरबल वाला रस्सी डंडे का खेल खेला है। जांच के दौरान बहुत से नाम और चेहरे विलोपित किए गए हैं।
अब देखना यह है कि डाक्टर गोविंद सिंह की यह कोशिश क्या रंग लाती है। फिलहाल तो यही कह सकते हैं -अपना एमपी गज्जब है। है कि नहीं! यहां एक महिला ने कुछ महिलाओं और एक कैमरे के जरिए बड़े बड़े और ताकतवर लोगों से करोड़ों कमा लिए! उसे कमाई का मौका देने वाले नेता और अफसर मुंह छिपा रहे हैं। लेकिन उनके साथी बाहें चढ़ा रहे हैं।  है न गज्ज़ब!
अरुण दीक्षित की ओर से साभार ..