(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी ने यह मुनादी कर दी है कि मध्यप्रदेश में अगली सरकार केवल कांग्रेस बनायेगी भाजपा तो कही पीछे छुट जायगी। इस मुनादी का आधार निश्चित रूप से वे सर्वेक्षण होंगे, जो कम्प्यूटर के माध्यम से निजी संस्थानों द्वारा नियमितरूप से कराये जा रहे हैं। यह भी संभव कि राहुल गांधी जैसे नेता को राज्य के बड़े नेताओं द्वारा यह आश्वासन दे दिया गया हो कि मध्यप्रदेश में यदि कुछ शेष है तो वो केवल कांग्रेस है। यह भी तय है कि इन नेताओं ने यह भी बताया होगा कि भाजपा को राज्य किसी भी विधानसभा सीट पर अच्छे उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे है, जबकि कांग्रेस के प्रति आम मतदाताओं का आकर्षण अपनी चरम सीमा में है।
इस सूचना से राहुल गांधी जैसे नेता का प्रभावित होना स्वभाविक है। बिना कुछ जमीनी जानकारी लिये हुये राहुल गांधी ने यह मुनादी कर दी कि मध्यप्रदेश में केवल कांग्रेस ही है किसी को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यदि कांग्रेस संगठन पर ध्यान न भी दे अपनी आम मतदाताओं के बिच साख को और मजबूत ना भी करें तो भी केवल कांग्रेस ही है, जो मध्यप्रदेश के मतदाताओं को नई कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये बाध्य कर देगी।
इस दावे के पश्चात पूरे प्रदेश में उत्साह से भरे हुये कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नया साल नई सरकार के बैनर और पोस्टर टांग दिये। यह माया जाल आम मतदाता को राहुल गांधी के विश्वास के प्रति निष्ठा पैदा करने के लिये किया गया। कांग्रेस के चाटूकार नेताओं ने बिना जमीनी कसरत किये हुये यह मान लिया कि कार्यकर्ता का मनोबल बहुत बड़ा हुआ है और मतदाता की उंगलियां वोटिंग मशीन में कांग्रेस को वोट देने के लिये बेचैन है। 
समझ लिजिये चुनाव होने के एक साल पहले ही कांग्रेस के आत्मविश्वास के आगे भाजपा की जमीनी तैयारियां कितनी असफल प्रमाणित हो गयी है। यह बात अलग है कि कांग्रेस को अभी यह भी ज्ञात नहीं है कि चुनाव के पूर्व कांग्रेस से अलग होकर अपना अस्तित्व खोजने वाले कितने नेता और कार्यकर्ता सही समय की प्रतिक्षा कर रहे है। बंद कमरों में चलते हुये कम्प्यूटर और सर्वेक्षण में लगे हुये युवा एक-एक आकड़े को बार-बार परीक्षित कर रहे हैं, पर इसका जमीन की सच्चाई से कोई लेना देना रही है। वास्तव में कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनाव में बाजी मार सकती है यह सत्य है, पर इसके लिये कांग्रेस के पास न बुनियादी ढ़ाचा है और नाहीं विशेष क्षेत्र मे लोकप्रिय कोई स्थानीय नेता। केवल कमलनाथ के चेहरे को आधार बनाकर प्रदेश की जनता ने पिछली बार भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस को बागडोर सांैपी थी। परंतु 15 महीनें के कार्यकाल में उस सरकार में क्या-क्या हुआ इसका विस्तृत वर्णन कांग्रेस द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के उत्तर में भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भलीभांति दे चुके है।
राहुल गांधी जैसे राष्ट्रीय नेता को बिना तथ्यों और सच्चाई को जाने हुये एक बयान दे देना स्वयं उनकी मांन और प्रतिष्ठा को आघात पहुँचता है। राजनैतिक विचारक मानते है कि चुनाव आते-आते कई ऐसी चाले चली जाना अभी शेष है, जिससे कांग्रेस का बिखरा हुआ मनोबल खण्ड-खण्ड हो जायेगा। उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा स्वयं के उत्थान के लिये पार्टी के उत्कर्ष की हत्या करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। यदि कांग्रेस जीत गई तो राहुल गांधील के बयान को सरमाथे पर रखकर उनके विश्लेषण को अभूतपूर्व बताया जायेगा, पर चुनाव में यदि कांग्रेस पिछड़ गई तो राहुल गांधी के बयानों पर भारत की आम मतदाता की आस्था कमजोर पड़ जायेगी। राहुल गांधी को अपने अधिकार और वरिष्ठता को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश का आकलन करना चाहिये था। जिसमें जय और पराजय में फिलहाल भाजपा की कुटनीतिक चालों का व्यापक असर पड़ता दिख रहा है, इतना आसान नहीं है कि भाजपा मध्यप्रदेश में अस्तित्वहीन होकर कांग्रेस के सामने गुम जायेगी।