सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. हर महीने में 2 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत का खासा महत्व शास्त्रों में बताया गया है. इसे वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए रखा जाता है.

कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को 10 हजार साल तप के बराबर फल मिलता है. इसलिए इस व्रत को सनातन धर्मावलंबी पूरे श्रद्धा भाव से रखते हैं. राजा मानधाता ने भी इस व्रत को रखा था जिसके प्रभाव से उन्हें बैकुण्ठ प्राप्त हुआ था.

ये लोग जरूर करें व्रत
वरुथिनी एकादशी के व्रत से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है. इसी वजह से जो लोग आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए. इससे न सिर्फ सौभाग्य की प्राप्ति होती है बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास भी होता है.

कब है वरुथिनी एकादशी?
हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल को शाम 4 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो अगले दिन यानी 24 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल के दिन ही रखा जाएगा.

ऐसे लें संकल्प
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर पूरे दिन व्रत रखकर अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए. इस दौरान सिर्फ फलाहार का ही सेवन करना चाहिए.