सनातन धर्म में अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) के पर्व का विशेष धार्मिक महत्त्व है. हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ये महापर्व मनाया जाता है. शास्त्रों में इस तिथि को ईश्वरीय तिथि कहा गया है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य काम का अक्षय फल मिलता है. इस बार अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि करीब 82 साल बाद ऐसा अद्भुत योग है, जो इस दिन को और शुभ बना रहे हैं. वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अक्षय तृतीया का महापर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन योग का संयोग भी बन रहा है. इस दिन रवि योग भी है, जो पूरे रात्रि रहेगा.

सभी सिद्धियों की प्राप्ति
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय कहते हैं कि सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. 30 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से शोभन योग की शुरुआत हो रही है. शाम 4 बजकर 16 मिनट से रवि योग भी लग रहा है.

हर काम के लिए शुभ

पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल 2025 को शाम 5 बजकर 32 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया के पर्व मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है. इसलिए इस दिन बिना मुहूर्त के शादी, मुंडन, अन्नप्रासन सहित सभी मांगलिक कार्य किए जाते हैं.