BYD का भारत में प्रवेश: क्या यह भारत के EV इकोसिस्टम के लिए गेम चेंजर साबित होगा?

चीन की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माता कंपनी BYD अब भारत में अपनी पहली फैक्ट्री लगाने जा रही है। Business Standard की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले को यूनिट के लिए चुना है। यह जगह हैदराबाद से करीब 60 किलोमीटर दूर है। BYD यहां इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण की यूनिट लगाएगी। बताया जा रहा है कि यह कदम कंपनी की ग्लोबल विस्तार योजना का हिस्सा है। पश्चिमी देशों में बढ़ते टैरिफ के चलते चीनी कंपनियों को वहां दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब वो नए बाजारों की तलाश में हैं, और भारत को एक बड़े मौके के तौर पर देखा जा रहा है।
BYD को क्यों भाया भारत? यूरोप-अमेरिका के टैक्स से तंग आकर अब भारत में बढ़ाएगा कदम
पिछले साल सितंबर से यूरोपीय यूनियन (EU) ने चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 35.3 फीसदी का भारी टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। BYD को वहां 17 फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना पड़ रहा है, जो 10 फीसदी बेस इम्पोर्ट ड्यूटी के साथ मिलकर कुल 27 फीसदी हो जाता है। वहीं, अमेरिका ने तो BYD के लिए और मुश्किल खड़ी कर दी है। वहां चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी सीधे 25 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी गई है। ऐसे में BYD के लिए इन देशों में टिके रहना मुश्किल हो गया है।अब कंपनी की नजर ऐसे उभरते हुए बाजारों पर है, जहां EV की डिमांड बढ़ रही है और नियम-कानून थोड़े आसान हैं। भारत इसमें एक बड़ा मौका बनकर उभरा है। यहां टैरिफ तुलनात्मक रूप से कम हैं और सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई इंसेंटिव भी मिल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, BYD को भारत सरकार से अनौपचारिक मंजूरी मिल गई है, बशर्ते वह किसी भारतीय कंपनी के साथ पार्टनरशिप करे। इस प्रोजेक्ट में हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को बड़ा स्टेकहोल्डर माना जा रहा है, जो भारत के नियमों के अनुसार साझेदारी की शर्तें पूरी करेगा।
BYD: टेस्ला को पीछे छोड़ने वाली EV कंपनी की कहानी
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी BYD की शुरुआत 1995 में वांग चुआनफू (Wang Chuanfu) ने की थी। पहले यह कंपनी केवल बैटरी बनाने का काम करती थी, लेकिन 2003 में ऑटोमोबाइल सेक्टर में कदम रखा। दो दशक के अंदर ही BYD ने टेस्ला को पीछे छोड़ते हुए EV सेगमेंट में टॉप पोजिशन हासिल कर ली है। BYD ने तकनीक के मामले में भी बड़ी बढ़त बनाई है। कंपनी की Blade Battery, जो एक लीथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) बैटरी है, सुरक्षा और एनर्जी एफिशिएंसी दोनों के लिहाज से बेहतर मानी जाती है। इसके अलावा कंपनी की सप्लाई चेन पूरी तरह से वर्टिकली इंटीग्रेटेड है, जिससे बाहरी सप्लायर्स पर निर्भरता कम होती है और प्रोडक्शन कॉस्ट भी घटती है।
BYD की ब्लेड बैटरी ने बदले EV सुरक्षा के मानक, क्या कीमत और इनोवेशन में पीछे छूटेंगे भारतीय प्रतिद्वंद्वी?
चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनी BYD ने अपनी ब्लेड बैटरी टेक्नोलॉजी के ज़रिए EV सेगमेंट में नई मिसाल कायम की है। यह बैटरी न सिर्फ ज्यादा सुरक्षित है, बल्कि पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में अधिक एफिशिएंट भी है। ब्लेड बैटरी ने बेहद कठोर परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित साबित किया है। नेल पेनिट्रेशन टेस्ट के दौरान इस बैटरी में न तो धुआं निकला और न ही आग लगी। टेस्ट के दौरान बैटरी की बाहरी सतह का तापमान महज 30 से 60 डिग्री सेल्सियस तक ही पहुंचा। इसके उलट टर्नरी लिथियम बैटरी का तापमान 500 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और उसमें ज़ोरदार आग लग गई। वहीं, पारंपरिक लिथियम आयरन फॉस्फेट ब्लॉक बैटरी में भले ही आग या धुआं नहीं निकला, लेकिन उसका तापमान 200 से 400 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरे का संकेत है। BYD की ब्लेड बैटरी न सिर्फ थर्मल स्टेबिलिटी में बेहतर है, बल्कि यह वाहन की एनर्जी एफिशिएंसी भी बढ़ाती है। इसकी संरचना EV के अंदर जगह के इस्तेमाल को 50% तक बेहतर बनाती है। इन खूबियों के चलते BYD इंडियन EV मार्केट में इनोवेशन और सेफ्टी के मामले में भारतीय कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है। अब देखना ये होगा कि क्या स्थानीय खिलाड़ी कीमत और तकनीक दोनों में इस चीनी दिग्गज को टक्कर दे पाएंगे।
BYD की नई टेक्नोलॉजी: सिर्फ 5 मिनट में चले 470 KM, टेस्ला को भी छोड़ा पीछे
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में BYD ने अपनी नई Super e-Platform के जरिए चार्जिंग स्पीड को लेकर बड़ी छलांग लगाई है। कंपनी का दावा है कि उसकी नई टेक्नोलॉजी सिर्फ 5 मिनट की चार्जिंग में 470 किलोमीटर (292 मील) की रेंज देती है। यह टेस्ला की तुलना में तेज है, जो इतनी ही रेंज के लिए करीब 15 मिनट लेती है। BYD ने न केवल चार्जिंग स्पीड में तेजी दिखाई है, बल्कि उसने बैटरी की सेफ्टी और एनर्जी डेंसिटी को भी बरकरार रखा है। इसकी नई टेक्नोलॉजी से EV यूजर्स की सबसे बड़ी चिंता – स्लो चार्जिंग – को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। कंपनी के मुताबिक, उसकी नई बैटरी टेक्नोलॉजी 1,000 किलोवॉट तक की पीक चार्जिंग स्पीड को सपोर्ट करती है। कंपनी की अगली बड़ी योजना 2027 तक ऑल-सॉलिड-स्टेट बैटरियों को लॉन्च करने की है, जिससे EV की परफॉर्मेंस और बेहतर हो सकेगी।
भारत में क्या है हालात?
भारत में फिलहाल ज़्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम-आयन बैटरियों का इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि इनमें एनर्जी डेंसिटी ज्यादा होती है और ये लंबे समय तक चलती हैं। 2025 तक भारत में सबसे तेज़ चार्ज होने वाली EV Tata Curvv है, जो DC फास्ट चार्जर से 10% से 80% तक की चार्जिंग सिर्फ 40 मिनट में कर सकती है।
BYD की ग्लोबल EV मार्केट में पकड़ मजबूत, बिक्री में टेस्ला को छोड़ा पीछे
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बनाने वाली चीनी कंपनी BYD ने 2024 में वैश्विक बाजार में अपना दबदबा और मजबूत किया है। कंपनी ने इस साल 4.27 मिलियन यानी करीब 42.7 लाख वाहन बेचे, जो अमेरिकी कंपनी टेस्ला की बिक्री (17.9 लाख यूनिट) से लगभग दोगुना रही। इसी साल BYD का कुल वार्षिक राजस्व $107 अरब से ज्यादा रहा। कंपनी का सबसे बड़ा बाजार अब भी चीन ही है, जहां उसका न्यू एनर्जी व्हीकल (NEV) सेगमेंट में 32% मार्केट शेयर है। हालांकि, BYD अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेजी से पैर पसार रही है। 2024 में BYD की कुल बिक्री का लगभग 10% हिस्सा एक्सपोर्ट से आया। कंपनी ने थाईलैंड, ब्राज़ील और हंगरी जैसे देशों में उत्पादन इकाइयां स्थापित की हैं और अब भारत में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी कर रही है। BYD की ग्लोबल सफलता की एक बड़ी वजह उसकी आक्रामक प्राइसिंग स्ट्रैटेजी मानी जा रही है। कंपनी चीन में अपने एंट्री-लेवल मॉडल्स की कीमत $10,000 से थोड़ी ज्यादा रख रही है, जिससे यह आम लोगों की पहुंच में भी आ रहे हैं।
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन हिस्सेदारी अभी भी कम
भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बाजार अभी शुरुआती दौर में है। 2024 में कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 2.5% रही। हालांकि, इस सेगमेंट में तेजी से ग्रोथ देखने को मिल रही है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत का EV बाजार 2030 तक हर साल 43% की दर से बढ़ेगा और तब तक कुल बिक्री 9.32 लाख यूनिट तक पहुंच सकती है। 2030 तक इलेक्ट्रिक SUV की डिमांड सबसे ज्यादा रहने की उम्मीद है, जो कुल EV बिक्री का करीब 61% हिस्सा हो सकती है। वहीं 2024 में भारत में सिर्फ 1.07 लाख EV पैसेंजर व्हीकल ही बिके। जबकि कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री (सेडान और SUV मिलाकर) करीब 43 लाख यूनिट रही। सरकार ने 2030 तक कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री में EV की हिस्सेदारी 30% तक पहुंचाने का टारगेट रखा है। इसके लिए FAME स्कीम और EV कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने जैसे कदम उठाए गए हैं। स्थानीय उत्पादन में भी तेजी आ रही है। S&P Global Mobility की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2024 में 1.25 लाख EV पैसेंजर व्हीकल बने, जो 2023 के मुकाबले 22.5% ज्यादा है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 में यह उत्पादन 1.40 लाख यूनिट बढ़कर 3.01 लाख यूनिट तक पहुंच सकता है। तब EV प्रोडक्शन कुल पैसेंजर व्हीकल उत्पादन का 6% होगा, जो अनुमानित रूप से 51.6 लाख यूनिट रहेगा।
भारत में EV की रेस में कौन है आगे?
भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बाजार में इस वक्त टाटा मोटर्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक, एमजी मोटर इंडिया और हुंडई जैसी कंपनियां आगे चल रही हैं। टेस्ला ने भी भारत में एंट्री की घोषणा कर दी है, जिससे मुकाबला और तेज होने की उम्मीद है। वहीं, ग्लोबल लेवल पर BYD और टेस्ला की टक्कर चर्चा में रही है। साल 2023 के अंत में BYD ने पहली बार बिक्री के मामले में टेस्ला को पीछे छोड़ दिया था। जनवरी 2025 में भारत के EV बाजार में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। इस दौरान कंपनी ने 5,037 EV बेचे, हालांकि यह आंकड़ा पिछले महीनों से थोड़ा कम रहा है, जिसका कारण बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा बताया जा रहा है। वहीं, एमजी मोटर इंडिया ने तेजी से अपना दायरा बढ़ाया है और अब उसकी हिस्सेदारी EV मार्केट में करीब 29 फीसदी हो गई है। जनवरी 2025 में कंपनी ने 4,455 इलेक्ट्रिक व्हीकल बेचे, जिसमें नए मॉडल्स की लॉन्चिंग का भी बड़ा योगदान रहा। महिंद्रा इलेक्ट्रिक की हिस्सेदारी इस समय करीब 16 फीसदी है। कंपनी लगातार अपने EV प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाने और बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
Tesla vs BYD in India: किसकी होगी जीत?
दुनिया की दो बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों Tesla और BYD के बीच मुकाबला अब भारत की तरफ बढ़ रहा है। जहां Tesla ने भारत में स्टोर खोलने की तैयारी कर ली है, वहीं BYD पहले से भारतीय बाजार में मौजूद है। अब सवाल उठ रहा है कि चीन में बाजार गंवाने के बाद Tesla भारत में BYD को टक्कर दे पाएगी या नहीं। Tesla का चीन में मार्केट शेयर 2022 में 16% से ज्यादा था, जो घटकर 2025 की शुरुआत में महज 4.3% रह गया। दूसरी ओर, BYD ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए चीन में 32% NEV (New Energy Vehicle) बाजार पर कब्जा जमा लिया है, जबकि Tesla यहां सिर्फ 6.1% हिस्सेदारी तक सिमट गई है। 2023 के आखिरी महीनों में पहली बार BYD ने वैश्विक तिमाही बिक्री में Tesla को पीछे छोड़ दिया। साल 2024 में Tesla की कुल डिलिवरी 1.1% घटकर 17.9 लाख यूनिट पर आ गई, जबकि BYD की डिलिवरी 29% बढ़कर 42.7 लाख यूनिट तक पहुंच गई, जिसमें हाइब्रिड गाड़ियां भी शामिल हैं।
BYD के भारत में कदम रखने से घरेलू EV कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?
चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता BYD की भारत में एंट्री से देश की EV इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। इसका सीधा असर टाटा मोटर्स, मारुति सुज़ुकी और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियों पर पड़ सकता है। BYD की मौजूदगी से बाजार में कीमतों को लेकर मुकाबला तेज हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को किफायती विकल्प मिलेंगे। इसके साथ ही तकनीक में तेजी से सुधार और EV कंपोनेंट्स की मांग में इजाफा भी हो सकता है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि BYD के निवेश से भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की स्वीकार्यता बढ़ेगी। हालांकि, कंपनी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि उसे नियामकीय मंजूरी कितनी जल्दी मिलती है, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कितना मजबूत होता है, कीमत कितनी सुलभ रहती है और टेस्ला व स्थानीय कंपनियों से मुकाबला कैसा रहता है।