छत्तीसगढ़ में गेहूं की फसल के लिए घरेलू उपायों से बढ़ाएं उपज और गुणवत्ता, डॉ. बीरेंद्र अनंत का सुझाव

राजनांदगांव: अगर आप छत्तीसगढ़ में गेहूं की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. खास उपाय अपनाकर गेहूं की उपज और मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. पिछेती गेहूं की फसल में बालियां आनी शुरू हो गई हैं और जल्द ही पकने लगेंगी. इस समय कुछ उपाय करने से न केवल पैदावार बढ़ेगी, बल्कि दानों का वजन और गुणवत्ता भी बेहतर होगी. सहायक संचालक डॉक्टर बीरेंद्र अनंत ने बताया कि किसान सरल घरेलू उपाय अपनाकर गेहूं के दानों का वजन बढ़ा सकते हैं.
ये उपाय सस्ते, सुरक्षित और फसल की गुणवत्ता सुधारने वाले हैं. खास बात यह है कि इसके लिए किसी भारी खर्च की जरूरत नहीं होती, बल्कि घर या खेत में उपलब्ध चीजों से ही गेहूं के दानों को पोषण दिया जा सकता है. फसल के आखिरी 30 दिनों की देखभाल जरूरी है, ताकि दाने मोटे और चमकदार बनें. किसान आसान और किफायती उपाय अपनाकर गेहूं की फसल को बेहतर बना सकते हैं. ये उपाय न केवल पौधों को पोषण देते हैं, बल्कि दानों का वजन बढ़ाने में भी मदद करते हैं.
ऐसे करें देखभाल
नीम की पत्तियों को उबालकर तैयार किया गया पानी फसल पर स्प्रे करने से पौधों में रोग नहीं लगते और दाने भरने में सहायता मिलती है. एक बाल्टी पानी में आधा किलो गुड़ और दो लीटर छाछ मिलाकर छिड़काव करने से फसल को पोषण मिलता है और दाने भारी होते हैं. लकड़ी या उपलों की राख खेत में छिड़कने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और गेहूं के दानों का वजन बढ़ता है. एक लीटर पानी में 10 मिली नीम का तेल और 5 ग्राम गंधक मिलाकर स्प्रे करने से फसल की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और दाने मजबूत बनते हैं. इन प्राकृतिक उपायों से किसान गेहूं की उपज बढ़ा सकते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी और दाने मोटे व चमकदार बनेंगे.
बाजारों में मिलेगी अच्छी कीमत
डॉ. अनंत ने बताया कि इन घरेलू उपायों को गेहूं की बालियां बनने के समय से ही शुरू करना चाहिए ताकि दानों को सही समय पर पोषण मिल सके. यदि किसान सप्ताह में एक बार इन उपायों को अपनाते हैं, तो फसल में सकारात्मक बदलाव दिख सकता है. रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से फसल को नुकसान हो सकता है, जबकि ये प्राकृतिक उपाय न केवल लागत घटाते हैं बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनाए रखते हैं. समय पर सही देखभाल से गेहूं के दाने वजनदार और चमकदार बनते हैं, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है और किसान की आय बढ़ती है.