(Advisrnews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
कर्नाटक में चुनाव प्रक्रिया में प्रारंभ होने के एक माह पूर्व से ही यह आभास हो गया था कि इस बार यह राज्य कांग्रेस के पक्ष में चला जायेगा। इसके बावजूद प्रधानमंत्री सहित कई दर्जन नेताओं ने हर तरह की राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक और चुनावी पैतरेबाजी का सहारा लिया। पर कर्नाटक की जनता परिवर्तन के फैसले पर अडिग रही, चुनाव परिणामों के साथ राज्य में कांग्रेस के नये शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। 
कुछ यही हालात मध्यप्रदेश की राजनीति में भी स्पष्ट नज़र आ रहे हैं। पता नहीं क्यों, श्री दिग्विजय सिंह को अपने राजनैतिक जीवन का पूरक मानने वाले कमलनाथ को बार-बार दिग्विजय सिंह के बयान ही संकट में डाल रहे है। राजनैतिक के जानकार मानते है कि मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन दोनों ही नेताओं के मध्य एक साझेदारी रही है। जिसमें कमलनाथ मैदानी राजनीति और ज़मीन के संगठात्मक दांव पेचों के लिये दिग्विजय सिंह पर आश्रित रहते हैं। 
दिग्विजय सिंह, पिछले कुछ वर्षो के दौरान समय-समय पर अपने बयानों के माध्यम से कमलनाथ को यह एहसाह दिलाते रहें हैं कि उनकी राजनैतिक शक्ति का असली श्रोत वे ही हैं। इस असमय परिचय की परम्परा का कोई कारण नज़र नहीं आता, पर दिग्विजय सिंह के द्वारा किये जाने वाले इस तरह के कार्यो पर कमलनाथ ने भी कभी खुलकर विरोध नहीं किया है। मध्यप्रदेश में 15 महीनों की कांग्रेसी सरकार के अचानक चले जाने का एक कारण कमलनाथ ने स्वयं बाद में दिग्विजय सिंह को बताया था। इसके साथ ही वर्तमान में दिग्विजय सिंह ने एक बयान के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि वे एक व्यक्ति एक पद के हिमायती हैं। जानकारों ने इन बयान को कमलनाथ के द्वारा एक समय में दो पद रखने से जोड़कर देखा, परंतु इसके बावजूद कमलनाथ ने इस बयान का स्पष्टीकरण स्वयं के पक्ष में देना उचित नहीं समझा। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरूद्ध असमय बार-बार बयान देकर राजनैतिक विसंगतियों को पैदा करने के कारण दिग्विजय सिंह कई बार पार्टी के क्रिया कलापों को पार्टी को संकट में डाल चुके हैं, इसके बावजूद कमलनाथ पूरी तरह दिग्विजय सिंह पर आश्रित है। कमलनाथ के निकट के लोगो का मानना है कि कमलनाथ के दैनिक कार्यो में कई बहरूपिये प्रतिदिन हस्तक्षेप करके उनके द्वारा किये जाने वाले प्रयासों के परिणामों को ही परिवर्तित कर देते हैं। इतना ही नहीं कमलनाथ के बंगले में होने वाली किसी भी गुप्त योजना संबंधी बैठक की जानकारी बैठक समाप्त होने के साथ ही कई लोगों तक पहुंचादी जाती है। वास्तव में कमलनाथ जिस राजनीति के आदी है उस राजनीति में गोपनीयता और दिर्घकालीन योजना की जरूरत है। कमलनाथ हर काम को व्यवस्थित ढंग से करना चाहते है, यह बात अलग है कि उनकी नियमित राजनीति में कुटनीति का सर्वदा आभाव रहता है जो एक राजनेता की सबसे बडी कमज़ोरी है। कमलनाथ के आसपास एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जा चुका है जहां उन्हें अपने और पराये लोगों के बीच भेद करना भी असंभव हो गया है। परिणाम यह है कि सजधज कर चाटुकारिता करने वाले या बदनाम सरकारी सेवा पूर्ण करके सेवा में निवृत्ति के बाद राजनीति सम्भालने आये लोगों का समूह कमलनाथ के आसपास मौजूद है। 
कमलनाथ का पूरा जीवन एक केलेण्डर पर निर्धारित है। उनके पास एक वर्ष के बाद की तिथि में मिलने वालों लोगों का समय आरक्षण आज से होता है। कार्पोरेट की दुनिया में कहा जाता है कि बिजनेसमेन किसी स्थान पर घुसने के पहले वहां से निकलने का रास्ता जरूर खोज लेता है और अपने प्रत्येक कार्य में चाहे वह किसी भी प्रवृत्ति का हो अपने व्यवसायिक हितों को जरूर संरक्षित कर लेता है। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग कमलनाथ जी की दिग्विजय सिंह के प्रति  निर्भरता के कारण दुखी और पिड़ित है। दूसरी ओर प्रतिदिन अलग-अलग बयानों के माध्यम से कमलनाथ को यह एहसास दिलाया जा रहा है कि उनमें जिस शक्ति का आभाव है उसका वास्तविक श्रोत स्वयं दिग्विजय सिंह है। मजे की बात यह है कि यह एहसास उन्हें स्वयं दिग्विजय सिंह दिला रहे है जिसका प्रतिरोध कर पाने के क्षमता स्वयं उनमें नहीं है।