(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर):
मध्यप्रदेश चुनाव में भी अब राष्ट्रीय स्तर पर चल रही रियायतें देने की परम्परा प्रारंभ हो गई है। कांग्रेस ने, भाजपा के लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना कार्यक्रम के समाने नारी सम्मान और महिला सशक्तिकरण को प्रमुख मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस भी वहीं वायदे कर रही है जो भाजपा ने किये थे। यह बात अलग है कि प्रस्वावित की गई रियायतों में कुछ रूपयों की वृद्धि कर दी गई है। ऐसा लगता है कि विजय के प्रति आश्वस्त कांग्रेस कुछ 100 रूपयों की बढ़त लेकर प्रदेश की सत्ता में अपनी वापसी का एक निश्चित मार्ग बनाना चाहती है।
कांग्रेस की ओर से आज पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचैरी ने एक पत्रकारवार्ता के दौरान यह जानकारी दी कि नारी सम्मान और महिला सशक्तिकरण के इस कार्यक्रम की शुरूआत की आज ही पार्टी अध्यक्ष, कमलनाथ द्वारा छिन्दवाड़ा में की जा रही है। यह प्रश्न स्वाभाविक था कि मध्यप्रदेश की राजनैतिक राजधानी या भोपाल से सिमटकर छिन्दवाड़ा चली गई है या छिन्दवाड़ा की विजय का आकार मध्यप्रदेश की सभी विधानसभा क्षेत्रों की समाहित विजय के समकक्ष हो चुका है। जानकार कहते है कि छिन्दवाड़ा एक प्रगति का माडल बनकर प्रस्तुत हुआ है। परंतु छिन्दवाड़ा राज्य की राजनीति में इतना प्रभावशाली नहीं है कि विन्ध्य, मालवा और निमाड जैसे क्षेत्रों में छिन्दवाड़ा की राजनैतिक गतिविधियों का कोई असर पड़ सके। श्री पचैरी ने अपनी पत्रकारवार्ता में कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित नारी सम्मान संबंधी विषयों में कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित की गई कई रियायतों उल्लेख किया गया। जिसमें सरकार बनने के बाद महिलाओं को 500 रूपये में गैस सिलेण्डर और लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 1,500 रूपये की राशि दिया जाना प्रस्तावित है। भाजपा ने लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 1,000 रूपये की राशि देना प्रस्तावित की है। भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी इन योजनाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया आज से प्रारंभ कर दी है। पचैरी ने कांग्रेस कार्यकाल के दौरान विकास  में किये गये कई कार्यो का बारी-बारी से उल्लेख किया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि महिला अत्याचारों के मामले में मध्यप्रदेश, देश में नम्बर एक है, महिलाओं के साथ गेंगरेप की घटनाओं में भी प्रदेश अव्वल है, मानव तस्करी एवं नाबालिक बच्चियों के अपहरण में भी प्रदेश की ख्याति पहले नम्बर पर है। अनु.जाति-जनजाति महिलाओं के अत्याचार के मामले में प्रदेश ने अपनी अव्वल श्रेणी को नहीं खोया है, दहेज अपराध मामले में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर आ गया है। 
पचैरी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भाजपा द्वारा प्रस्तावित की गई लाड़ली बहना योजना की शर्ते इतनी कठिन है कि राज्य की बहुसंख्यक महिलाओं को इस योजना का लाभ तो छोड़िये इसके लिये पंजीकरण करवाना भी असंभव होगा। उन्होनें आश्वस्त किया कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो इन शर्तो को शिथिल किया जायेगा।
कांग्रेस द्वारा की गई घोषणाएं यह स्पष्ट करती है कि मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश का वातावरण अब लोकतंत्र को लोक और तंत्र में विभाजित करके प्रलोभन की राजनीति की और बढ़ रहा है। भारी टेक्स आरोपित कर जनता को पहले महंगाई से दबाया जाय, उसके बाद चुनावी वादों के  रूप में आंशिक तौर कुछ रियायत तंत्र को अपने कब्जे में कर लिया जाए। राष्ट्रीय स्तर पर चल रही राजनैतिक यह संकेत भी देती है राजनैतिक दलों का मौलिक सोच और आम व्यक्ति से जुडने की संभावनाएं क्रमशः कम होती जा रही है। आम मतदाता बड़ी हुई वस्तुओं के दाम कम होने की सूचना को ही राहत मान लेता है। इतना ही नहीं एक राजनैतिक दल एक हजार रूपये देने की बात करता है तो दूसरा पन्द्रह सौ रूपये देने का विश्वास दिलाता है। ऐसा महसूस होता है कि जनता के माध्यम से इक्कट्ठा किया गया कोष अब जनता को ही भीख के रूप में ही टुकडों-टुकडों में बांटा जा रहा है। किसी भी राजैनति दल के पास जन समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं है। इन स्थितियों में सांपनाथ या नागनाथ में से किसी एक को चुनने के मजबूरी मतदाता को मतदान केन्द्र तक ले जाती है। मध्यप्रदेश जैसे राज्य में जहां दो दलीय शासक प्रणाली अप्रत्यक्षरूप से काम करती है, कोई और विकल्प मतदाता के सममुख शेष नहीं रह जाता है।
दूसरी ओर नारी सम्मान के दायरे में राजनैतिक दलों की चिंताए व्यर्थ नजर आती है। आधी आबादी को लेकर कोई भी ऐसा ठोस योजना विकल्प किसी राज्य या केन्द्र सरकार के पास नहीं है जो महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा, रोजगार और सफल जीवन यापन के लिये स्थायी सहारे के रूप में नजर आए, ऐसा नहीं है कि विकल्पों आ आभाव है। बस राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी और दूरगामी परिणामों को पहले से परीक्षण करने की क्षमता राजनैतिक दलों में समाप्त हो गई है। नारी सम्मान का यह उद्घोष आज अचानक होना कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती प्रियंका गांधी के मध्यप्रदेश के प्रस्तावित दौरे से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ भी हो पर किन्ही भी परिस्थितियों में मतदाताओं को उलझाकर विषयों को भ्रमित करके आगामी चुनाव की व्यूह रचना में दोनों ही दल पूरी तरह सक्रिय है।