(Advisornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर) :
भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश सरकार इन दिनों अपना आख़री चुनावी चंदा एकत्र करने के लिये मध्यप्रदेश के अन्य जिलों की भांति राजधानी में भी सारे नियम, कानून, कायदों को एक तरफ रखकर, हर घर के पीछे शराब की दुकानों का आवंटन पर आमादा है। शराब माफ़िया, राजधानी की किसी भी सरकारी ज़मीन में रातोरात शेड बनाकर शराब बेचने के धंधे को सामान्य से सामान्य व्यक्ति के पास तक पहुंचा रहा है। आश्चर्य यह है कि, जिले के कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, सत्तापक्ष के और विपक्ष के छोटे से बड़े सभी जनप्रतिनिधि इस कार्यवाही में मुख दर्शक बनकर अपने-अपने हिस्सें को बटोरने में लगे हुये हैं। 
राज्य सरकार को राजधानी के सर्वाधिक सुरक्षित कहे जाने वाले क्षेत्र, पॉलिटेक्निक चौराहे के पास एक शराब की दुकान को अनुमति देना है। शराब ठेकेदार से संबंधित लोगों का दावा है कि इसके लिये सारी औपचारिकताएं जिसमें सब तरह का लेनदेन शामिल है, पूरी की जा चुकी है। शराब के ठेकेदार द्वारा इस नई शराब की दुकान के लिये पहले गांधी भवन स्थित नशामुक्ति केन्द्र के बगल में स्थान का चयन किया गया, जिस पर शेड का निर्माण प्रारंभ कर दिया गया। शायद थोड़ी बहुत शर्म बची होगी सरकार में, इसलिये गांधी के नाम पर बने प्रतिष्ठान को इस शराब की दुकान से दूर कर दिया गया। इसके बाद हवाई अड्डे को राजभवन से जोड़ने वाले राजपथ मुख्य मार्ग पर दुकान स्थापना का प्रयास किया गया। जब तीन-चार स्थानों पर यह प्रयास किसी गंभीर कारण के सफल नहीं हो पाया तो, राजधानी के प्रोफेसर कॉलोनी में रिहायशी बस्ती के पीछे वाली सड़क का चयन ठेकेदार द्वारा किया गया, और आनद-फानन में इस स्थान पर अस्थायी शेड का प्रांरभ कर दिया गया। स्थानीय निवासियों ने कलेक्टर से ले सभी जन प्रतिनिधियों तक उक्त संदर्भ में सूचना और शिकायत भेजी, पर सरकार कृत संकल्पित है कि करोड़ों रूपये में शराब की दुकान स्थापित करने का लिया गया उसका संकल्प पूरा होकर रहेगा। यह बात अलग है कि शासकीय नियमों में शराब की दुकान की स्थापना के सारे कायदे टूट रहे हैं। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष खामोश है, महापौर अस्तित्वहीन है, कलेक्टर, प्रशासन संबंधी संवेदनशील विषयों को छोड़कर उज्जैन प्रवास पर बताये जाते हैं।
कुल मिलाकर राजधानी में शराब की नदियां बहा देने का शिवराज सरकार का संकल्प पूरा होता नज़र आ रहा है, और हो भी क्यों न। शराब के इन ठेकेदारों के माध्यम से अपने अंतिम सांस गिन रही भाजपा सरकार, चुनावी चंदे के रूप में करोड़ों रूपये चुनाव के लिये ही इकट्ठा करना चाहती है। इसके लिये राजधर्म की मर्यादा को उसे छोड़ना भी पड़ता है तो उसमें संकोच कैसा। 
वास्तव में शराब के विस्तार का यह कार्यक्रम पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को उनकी हैसियत बताने का अभियान है। सरकार भंलिभांति जानती है कि यदि एक मुश्त राशी रातोरात एकत्र की जा सकती है तो, उसे शराब के ठेकेदारों का ही सहारा लेना होगा। हिन्दु चरित्र और राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़ने का दावा करने वाली भाजपा सरकार इन दिनों आंतरिक असंतोष और अंतिम क्षणों में सरकार के माध्यम से सब कुछ बटोर लेने पर आमादा है। यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार को आगामी चुनाव में सामान्य मतदाता से अब कोई उम्मीद नहीं रही है। वो भंलिभांति जानती है कि 20 सालों की अकर्मण्यता और घोटालों की लम्बी लीस्ट से जनता बुरी तरह त्रस्त है। शिवराज भले ही मंच पर छाती पीटकर दावा करें कि बहन, बेटियों के लिये उनके दिल में बहुत सम्मान है। पर राज्य का प्रशासन तंत्र राजनीति की आर्थिक मजबूरियों को समझ कर इन दिनों दोनों हाथों से प्रदेश का लूटने में लगा हुआ है। भले ही उससे आम आदमी के जीवन पर किसी भी तरह का कोई भी खतरा खड़ा हो जाय। सरकार के शराब प्रेम और शराब से हो रही उगाही यह स्पष्ट संकेत करती है कि 20 सालों की सरकार से स्वयं वर्तमान के प्रभावशाली नेता ऊब चुके है, और अंतिम क्षणों में किसी भी तरह अपने घरों को भरने के लिये प्रयत्न कर रहे हैं। शराब के ठेकेदारों का यह जाल उमा भारती के मुह में भी एक सरकार का तमाचा है, जो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये शराब कारोबारियों के विरूद्ध एक बहुत बड़े अभियान को चलाने का दांवा कर ही थीं, फिलहाल उमा भारती शांत है, और शराब कारोबारी राज्य में राजनैतिक संरक्षण के साथ पूरी तरह प्रभावशील है। प्रशासनीक अधिकारियों का उपेक्षापूर्ण व्यवहार सरकार के भविष्य को ओर संकट में डाल रहा  है।