(Advisiornews.in)
सुधीर पाण्डे
भोपाल(एडवाइजर): राहुल गांधी की पदयात्रा भारी जनसमर्थन के बाद भी कांग्रेस के अंदल अलग-अलग राज्यों में बगावत करने के इच्छुक प्रान्तीय एवं राष्ट्रीय नेताओं के खुली बगावत का कारण बनती जा रही है। पार्टी को मजबूत करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर हजारों कि.मी. पैदल यात्रा कर पार्टी को नई पहचान देने की कोशिश ऐसा लगता है असफल सिद्ध होने जा रही है। इसके पीछे कोई राजनैतिक षड़यंत्र है या पार्टी के बगावती नेताओं का अहंकार और निजी स्वार्थो की अनदेखी करने का कोई कारण। 
राजस्थान में राजनैतिक उपद्रव्यों के दौरान परिवेक्षक बनाकर भेजे गये वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजय माकन ने आज अपनी जिम्मेवारी से त्याग पत्र देते हुये मुह मोड़ लिया। बताया जाता है कि परिवेक्षकों की यात्रा के दौरान अशोक गेहलोत गुट द्वारा की गई उनकी उपेक्षा और बगावतियों के विरूद्ध अनुशासन की कार्यवाही न कर पाने की हाई कमान की मजबूरी के विरूद्ध माकन ने अपना मत इस तरह दिखाया है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के बाद राहुल गांधी की यात्रा राजस्थान से गुजरने वाली जहां यह उम्मीद की जाती है प्रदेश में कांग्रेस सरकार की उपस्थिति में यात्रा को अलौकिक सफलता प्रदान करेगी। माकन का जाना सामान्य दृष्टि से कोई घटना नहीं है, इसे वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष खडगे अपने स्तर पर दिल्ली में हल कर सकते थे। परंतु एक लम्बी पदयात्रा से संजीवनी ले रही कांग्रेस के लिये वर्तमान समय में माकन का इस्तीफा एक बड़ी चोट है।
यात्रा अभी मध्यप्रदेश पहुंची ही नहीं, इसके पहले ही मध्यप्रदेश के निर्दलीय विधायक को राहुल गांधी की यात्रा कि भोजन व्यवस्था और स्वागत सत्कार की जिम्मेवारी स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को हटाकर सौप दी गई। असंतोष की आग यात्रा के साथ-साथ चल रही है, यह बात अलग है कि वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के स्वाभिमान की रक्षा के नाम पर मामले को रफादफा करने की कोशिश की, जिसमें काफी हद तक वे सफल भी रहे। इसके पूर्व कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान कांग्रेसी राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह ने यात्रा के दौरान लगने वाले पोस्टरों से अपनी छायाचित्र को विलोपित करने की मांग रख दी। दिग्विजय सिंह के बगैर मध्यप्रदेश में कंग्रेस सौची भी नहीं जा सकती। इसका कारण यह नहीं है कि वे देश के आम मतदाता के मध्य बहुत लोकप्रिय है और राज्य में कांग्रेस की लगभग 20 वर्षो से खोई हुई सत्ता को अकेले दम पर वापस लाने की ताकत रखती है। कारण यह है हर व्यक्ति जानता है कि दिग्विजय सिंह के बगैर न 15 महीनों की सरकार चलती और नाही उनके षंड़यत्रों के आगे कांग्रेस कभी राज्य की सत्ता में पुनः वापसी कर सकती है। 
वर्तमान मे राहुल गांधी की यात्रा निरंतर चल रही है, असंतोष भी है, विद्रोह भी है। तो दूसरी ओर सामान्य कार्यकर्ता यात्रा के हर कदम के साथ यह उम्मीद भी जोड़ रहा है कि उसकी सत्ता में वापसी के दिन करीब आ रहे है। वास्तव में कांग्रेस इतने गुटों में बटी हुई है कि इतने निजी स्वार्थो से बंधी हुई है कि स्वतंत्ररूप से राजनीति कर पाना या कांग्रेस को पुनर स्थापित कर पाना असंभव होता जा रहा है। गुजरात, हिमाचल, दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का अस्तित्व दांव पर लगा हुआ है। यही हाल रहा तो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस का सूर्य अस्त होने में समय नहीं लगेगा