सुधीर पाण्डे

भोपाल(एडवाइजर): शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में अपनी पांचवी पारी लगातार खेलने का रिकार्ड बनाने जा रही है। चुनाव के 15 महीनें पूर्व से ही मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की गतिविधियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे किसी भी शर्त पर हारने के लिए तैयार नहीं है। जनसम्पर्क के माध्यम से गांव-गांव तक जहां भाजपा का संगठन अपनी पहुंच बना रहा है, वहीं संघ के नियत्रंण वाले अन्य संगठन भी मतदाता के मध्य अपनी गहरी पैठ कायम कर रहे है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा ध्यान प्रदेश के सामान्य मतदाता को भाजपा की नीतियों के प्रति व्यवहारिक विश्वास दिलाने पर केन्द्रित हो चुका है। वैसे भी भाजपा को अगले चुनाव में विपक्ष की और से कोई भी चुनौती मिलने की सम्भावना नहीं है। इस बार भाजपा चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है उसका प्रमाण यह है कि राज्य विभिन्न स्वयं सेवी संगठन के साथ भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधे वार्तालाप करके उन्हें रचनात्मक कार्यो से जुड़ने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। किसान, मजदूर, छात्र, महिलाएं सभी वर्गो में लगातार पैठ बनाने का सिलसिला तेजी से जारी है। इस बीच धार्मिक आधार पर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और उनका व्यापाक प्रचार निरन्तर किया जा रहा है। 

15 महीने पहले से शुरू किए गये इस अभियान का मुख्य आकर्षण यह है कि भाजपा का छोटा से छोटा कार्यकर्ता भी राज्य में 5वीं बार अपनी सरकार बनते हुए स्पष्ट रूप से महसूस कर रहा है। दल का प्रत्येक कार्यकर्ता राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजना का प्रचार-प्रसार जमीनी स्तर पर जा कर करने में संलग्न है। एक संगठित स्वरूप में सत्ता और संगठन दोनों ही राज्य में कार्य करते हुए नजर आ रहे है। इस प्रक्रिया के कारण चुनाव प्रारंभ होने के पूर्व दल पर पड़ने वाले अत्याधिक काम के बोझ से भाजपा कई महीने पहले ही अपने आप को मुक्त कर देना चाहती है। जैसी की उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के पद को लेकर इस कार्यकाल में ही कुछ असंतोष पैदा होगा यह धारणा क्रमशः गलत प्रमाणित होती जा रही है। भाजपा कार्यकर्ता समूचे प्रदेश में अपने लगभग 20 साल के सुशासन की दुहाई दे रहें है और भविष्य में अन्य सभी योजनाओं के अत्यंत सरलीकरण की बात भी कर रहे है। जिसका स्पष्ट अर्थ यह है कि अगले 5 सालों में भी सत्ता प्राप्त होने के बाद भाजपा की योजना आम व्यक्ति तक सीधे पहुंच बना लेगी।

भाजपा के सामने एक टूटे हुए मनोबल को लिया हुआ विपक्ष है, जिसकी संगठात्मक क्षमता शून्य है और राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने की प्रणाली निहित स्वार्था से जुड़ी हुई है। भाजपा और कांग्रेस के अतिरिक्त इस बार मध्यप्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी के दखल से भी भाजपा पूरी तरह सतर्क है। हर स्तर पर यह प्रयत्न किया जा रहा है कि भविष्य के राजनैतिक गणित को वर्तमान में ही इतना संतुलित कर लिया जाए कि हर गली-चैराहे और मकान में भाजपा का एक समर्थक स्वयं-भू होकर प्रगट हो सके। इशारा यह कहता है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने विराट स्वरूप में, राज्य में, अस्तित्व में आ सकती है और प्रदेश के विकास को निरन्तर रखते हुए मध्यप्रदेश के इतिहास में एक नई इबारत लिख सकती है।