सुधीर पाण्डे

भोपाल(एडवाइजर): मध्यप्रदेश में वर्षो से निष्क्रिय पड़ी हुई कांग्रेस के हाथ अपने आप अचानक एक मुद्दा खरगोन की हिंसक वारदात और उस भाजपा सरकार द्वारा चलाए गये बुल्डोजर के रूप में हाथ में आ गया है। कांग्रेस को स्वयं उम्मीद नहीं थी कि 20 सालों से सत्ता में बैठी भाजपा कानूनी दांव-पेचों और जिनेवा प्रावधानों से इनती अपरिचित होगी, कुछ क्षण के लिए कांग्रेस स्वयं ठहर गई। विपक्षी दल होने के नाते उसे पूरे राज्य में एक आंदोलन खड़ा करना था, पर फिर एक बार कांग्रेस के विरिष्ठ नेता दिग्गिविजय सिंह ने एक फर्जी फोटो लगाकर एक ट्वीट कर दिया। जिसने समूचे मामले को कांग्रेस के पक्ष से समाप्त कर दिया। अब बारी भाजपा की थी सो उसने निष्क्रिय कांग्रेस और उसके नेताओं पर गहरे आघात करने शुरू कर दिये। चर्चा यह चल निकली की दिग्गिविजय द्वारा किया गया ट्वीट कोई गलती थी या जानबूझकर कांग्रेस को मुद्दा विहीन रखने का एक षडयंत्र।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस को कांग्रेस ही हरायेगी, भाजपा की कोई जरूरत है ही नहीं। कितना भी प्रयास कर लिया जाए कांग्रेस संगठन की नासमझी और मुर्खतापूर्ण हरकते मध्यप्रदेश में प्रत्येक दिन कांग्रेस को पीछे ढकेल रही है। खरगोन घटना पर एक समुदाय विशेष की दूकान और मकान तोड़े जाने के बाद यह लग रहा था कि कांग्रेस साम्प्रदायिक एकता को बनाये रखते हुए अपनी वास्तिविक नीतियों को जनता के सामने प्रभावी ढंग से रखेगी और साम्प्रदायिकता के एक नये खेल को उजागर करेगी। परंतु हुआ उसका उल्टा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्गिविजय सिंह जिन्हें मध्यप्रदेश का चाणक्य कहा जाता है ने खरगोन घटना को लेकर एक ट्वीट किया। जिसमें तथ्य खरगोन के थे और फोटो किसी अन्य राज्य में हुए साम्प्रदायिक उत्पात की थी। इस ट्वीट का आना था और भाजपा ने इसे लपक लिया। वैसे भी दिग्गिविजय सिंह की छवि राज्य में अब जनता से जुडे़ करिश्माई नेता की नहीं है। कांग्रेस का प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि उनकी राजनीति एक निश्चित लक्ष्य को लेकर हो रही है, जिसके लिए उन्हें अभी लम्बे समय तक कांग्रेस को विपक्ष में बनाये रखना है।

क्या यह संभव था कि उड़ती चिड़िया के पर गिन लेने वाले दिग्गिविजय सिंह इतनी बड़ी राजनीति भूक कर बैठे है प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के हाथ बमुश्किल आया हुआ एक मौका इस तरह निकल जाने देते। इसके पूर्व भी कई बार दिग्गिविजय सिंह ने राजनीतिक घटना को अचानक मोड़ दिया है। इसके लिए उन्होंने कभी आंदोलन का सहारा लिया, कभी बयानों का तो कभी कार्यकताओं के मध्य अपनी बेबाक टिप्पणी का। कमलनाथ सर के बल खड़े हो जाये तो कांग्रेस के दिग्गिविजय सिंह रूपी राजनैतिक संकट से बाहर नहीं निकल सकते। वैसे भी कांग्रेस बहुसंख्यक नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानने है कि बिना दिग्गिविजय के कमलनाथ का एक-एक पैर बढ़ा पाना भी नामुमकिन है। इसलिए कमलनाथ को दिग्गिविजय सिंह की सार्वजनिक उपेक्षा झेलनी पडे़ तो भी उन्हें मंजूर है। कांगे्रस इस संकट को एक स्वभाविक रूप दे रही है, परंतु वास्तविकता यह है मध्यप्रदेश में भविष्य की हार की पृष्ठभूमि कुछ इस तरह तैयार हो रही है कि सिमित ओवर के मैच में पहले ही ओवर में हाथ में आया हुआ कैच दिग्गिविजय सिंह ने अपने हाथों से उझाल कर सीमारेखा के पार छक्के रूप में परिवर्तित कर दिया है। टूटे हुए मनोबल के सहारे कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा के प्रत्येक नेताओं की समीक्षा को सुन और समझ रहा है। उसे यह ज्ञात है कि मैदान में निष्क्रिय रह कर यदि भाग्य के भरोसे पेड़ से कोई फल कांग्रेस के पक्ष में गिर भी पडे तो उसे वरिष्ठ नेता ही कुचल डालेंगे। मुद्दो के अभाव में भटक रही कांग्रेस पिछले दिनों हुए इस घटना क्रम से बूरी तरह परेशान है। कार्यकर्ता को आश्वासन देने के नाम पर और निहित स्वार्थ की इस राजनीति को छिपाने के लिए अलग-अलग विषयों पर कुछ समितियों तक के गठन की घोषणा हुई है परंतु उसका कोई व्यापक प्रभाव राज्य की राजनीति में नहीं पड़ रहा। सही बात तो यह है कि कांग्रेस के पास वर्तमान में एक सक्षम विद्वान और जागरूर प्रवक्ता तक नहीं है जो प्रचार माघ्यमों में छपने वाले या प्रसारित होने वाले तथ्यों को कांग्रेस के पक्ष मे प्रगट कर सके।