एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ही नहीं, सबसे बड़ी ईदगाह भी है भोपाल में, पढ़ते हैं एक लाख लोग एकसाथ नमाज
भोपाल । शहर ए भोपाल की शाही ईदगाह का निर्माण नवाब काल में हुआ था। बड़ी तादाद में पुरुष नमाजियों के नमाज अदा करने की गुंजाइश के साथ यहां उस दौर में महिलाओं के लिए भी खास इंतजाम किए गए थे। नवाब बेगमों के लिए भी यहां खास व्यवस्था थी। हालांकि अब ईद की नमाज के दौरान यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित होता है।
पहली नमाज ईदगाह में
राजधानी भोपाल में दर्जनों मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की जाती हैं। लेकिन ईद की पहली नमाज ईदगाह में ही अदा की जाती है। काजी ए शहर द्वारा यहां नमाज अदा कराई जाती है। नमाज से पहले शहर काजी द्वारा देश दुनिया के हालात पर तकरीर करते हैं। नमाज के बाद ईद का खास खुतबा (धार्मिक प्रवचन) दिया जाता है। इसके बाद देश दुनिया के लिए दुआएं की जाती हैं और एक दूसरे को मुबारकबाद देते हुए लोग अपने घरों के लिए रुखसत होते हैं।
पहुंचते हैं सीएम शुभकामना देने
ईदगाह पर होने वाली नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों को मुबारकबाद देने के लिए प्रदेश के मुखिया पहुंचते रहे हैं। ईदगाह परिसर में बनाए जाने वाले बड़े मंच पर सत्तरूढ़ दल के नेताओं के अलावा विपक्षी दलों के नेता भी यहां पहुंचते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से ये सिलसिला थमा हुआ है। इस बार भी आचार संहिता के चलते यह आयोजन होना संभव नहीं लग रहा है।
हर शख्स का रुख ईदगाह
ईद की नमाज ईदगाह में अदा करने का बड़ा क्रेज शहरवासियों में होता है। अल सुबह होने वाली इस नमाज के लिए शहर के हर कोने से लोगों के हुजूम समय पूर्व ही ईदगाह की तरफ बढ़ जाते हैं। इस स्थिति से शहर की हर सड़क पर टोपियों से सजे और इत्र से महकते लोग दिखाई देते हैं। नमाज से फारिग होकर घरों को लौटते लोगों से भी यही नजारा बनता है।
ऐसे होता है ट्रैफिक मैनेजमेंट
ईदगाह के अलावा शहर की बाकी बड़ी मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की जाती है। ईदगाह, ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद और जामा मस्जिद के एक ही कतार में होने से इनकी तरफ जाने वालों के लिए खास ट्रैफिक प्लान बनाया जाता है। पहली नमाज ईदगाह पर होने के बाद अगली नमाज जामा मस्जिद में होती है। इसके बाद ताजुल मसाजिद और फिर मोती मस्जिद में ईद की नमाज अदा की जाती है। इस समय पालन के चलते शहर का यातायात व्यवस्थित भी रहता है और लोगों को किसी तरह की परेशानी भी नहीं होती है।