भोपाल ।    मुख्यमंत्री का ओएसडी बताकर शासकीय कर्मचारियों का ट्रांसफर करवाने और रुकवाने का झांसा देकर ठगी करने वाले दो जालसाजों को सायबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को निवाड़ी से पकड़ा गया है। उनके पास से वारदात में उपयोग किए गए दो मोबाइल फोन और सिमकार्ड जब्त किए गए हैं। आरोपी ठगी की रकम प्राप्त करने के लिए गांव के आसपास मनी ट्रांसफर करने वाले कियोस्क संचालकों की मदद लेते थे। प्रारंभिक जांच में आरोपियों द्वारा करीब बीस लाख रुपये की ठगी करने के साक्ष्य पुलिस को मिले हैं। पुलिस के मुताबिक शिक्षा विभाग में पदस्थ एक अधिकारी ने इस मामले की शिकायत जनवरी महीने में सायबर क्राइम ब्रांच में की थी। पीड़ित अधिकारी ने शिकायत में बताया कि स्वयं को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताते हुए एक व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और बताया कि आपका ट्रांसफर भोपाल से बाहर दूसरे जिले में हो गया है। यह ट्रांसफर रुकवाना चाहते हैं तो तीन लाख रुपये देने होंगे। अधिकारी को भोपाल से बाहर नहीं जाना था, इसलिए उन्होंने ट्रांसफर रुकवाने का निवेदन किया। इस पर फोन करने वाले ने अपने अधिकारी से बात कराई, जिसने डेढ़ लाख रुपये एक खाते में ट्रांसफर करवा लिए। उसके बाद एक लाख रुपये और ट्रांसफर करवाए। ढाई लाख रुपये देने के बाद अधिकारी को दोनों पर शंका हुई तो उन्होंने जानकारी हासिल की। तब पता चला कि उनका ट्रांसफर कहीं नहीं किया गया है। अधिकारी की इस शिकायत पर सायबर क्राइम ब्रांच ने अज्ञात जालसाजों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।

तकनीकी जांच के बाद दोनों आरोपी निवाड़ी से गिरफ्तार

सायबर क्राइम ब्रांच ने तकनीकी जांच के बाद आरोपी सौरभ बिलगैया (32) और हरबल कुशवाह (23) दोनों निवासी पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी को गिरफ्तार किया है। उनके पास से वारदात में प्रयुक्त मोबाइल फोन और सिमकार्ड जब्त हुए। आरोपी सौरभ अपने मोबाइल के वाट्सएप डीपी पर मध्यप्रदेश शासन का लोगो लगाए हुए था, ताकि लोग उसे शासकीय अधिकारी समझें। वह गूगल के माध्यम से शासकीय अधिकारी के नंबर खोजकर उन्हें फोन लगाता और ट्रांसफर होने पर रुकवाने अथवा करवाने का झांसा देता। बात में अपने साथी हरबल को अधिकारी बताकर बात कराता था। हरबल काम करने के लिए रुपयों की मांग करता था।

कियोस्क संचालकों के खाते में डलवाते थे रुपये

ठगी की रकम प्राप्त करने के लिए आरोपी अपने बैंक एकाउंट्स का इस्तेमाल नहीं करते थे। वह अपने गांव के आसपास के मनी ट्रांसफर करने वाले कियोस्क संचालकों के एकाउंट में रुपए डलवाते थे और बाद में नकद रुपये प्राप्त कर लेते थे। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि आरोपी अब तक करीब बीस लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं। पुलिस इस मामले में कियोस्क संचालकों की भूमिका की भी जांच कर रही है।